बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 18
अन्तः एवं अन्तर - पीढ़ी संघर्ष
(Intra and Inter Generational Conflict)
आयु के आधार पर एक ही समाज अथवा समुदाय अनेक पीढ़ियों में विभाजित होता है। पीढ़ी का तात्पर्य समुदाय के उस बड़े भाग से होता है जिसके निर्धारण का आधार एक विशेष आयु है। समाज में प्रजनन की प्रक्रिया द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे जब युवा हो जाते हैं तो उनसे एक नयी पीढ़ी का निर्माण होता है। आयु बढ़ने के साथ नयी पीढ़ी के युवा जब लगभग 50 वर्ष की आयु तक पहुँच जाते हैं तो स्वयं उनकी सन्तानें नयी पीढ़ी का स्थान ले लेती हैं। इस प्रकार भौतिक रूप से प्रत्येक समाज मुख्य रूप से तीन या चार पीढ़ियों में विभाजित हो जाता है जैसे युवा पीढ़ी, प्रौढ़ पीढ़ी तथा वृद्ध पीढ़ी। साधारणतया प्रत्येक 20-25 वर्ष के अन्तर से एक नयी पीढ़ी का निर्माण होता है। तथा पहली पीढ़ी दूसरी अवस्था में और दूसरी पीढ़ी तीसरी अवस्था में पहुँच जाती है।
अन्तः पीढ़ी संघर्ष की अवधारणा को समझने के लिए संघर्ष के अर्थ को समझना आवश्यक है। संघर्ष को परिभाषित करते हुए ग्रीन ने लिखा है कि, "संघर्ष किसी दूसरे व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की इच्छाओं का जान-बूझकर विरोध करने, उन्हें दबाने या उत्पीड़ित करने के लिए किया जाने वाला प्रयत्न है।" मैकाइवर एवं पेज ने भी लगभग इसी रूप में संघर्ष को परिभाषित करते हुए लिखा है, "संघर्ष में उन सभी गतिविधियों का समावेश होता है जिनके द्वारा व्यक्ति किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक-दूसरे का विरोध करते हैं।" जब प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संघर्ष एक ही पीढ़ी से सम्बन्धित लोगों के बीच बढ़ने लगता है, तब हम इसे अन्तः या आन्तरिक पीढ़ी संघर्ष के नाम से सम्बोधित करते हैं। आन्तरिक पीढ़ी संघर्ष एक सार्वभौमिक घटना है क्योंकि किसी न किसी रूप में यह प्रत्येक समाज में पाया जाता है। जब दो पीढ़ियों के बीच पारस्परिक विरोध इस सीमा तक बढ़ जाता है कि एक पीढ़ी द्वारा दबाव, धमकी या उत्पीड़न के द्वारा दूसरी पीढ़ी के लोगों को दबाया जाने लगता है तब इस दशा को हम अन्तर पीढ़ी संघर्ष के नाम से सम्बोधित करते हैं।
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