बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 12
अल्पसंख्यक
(Minorities)
साधारणतया यह समझा जाता है कि किसी देश या समाज में धर्म भाषा संस्कृति का दृष्टिकोण के आधार पर जिस समुदाय की संख्या बहुसंख्यक समुदाय से कम या भिन्न हो, उसी को अल्पसंख्यक समुदाय कहा जाता है। अल्पसंख्यक का अंग्रेजी Minority शब्द लैटिन भाषा के माइनर (minor) एवं प्रत्यथा 'इटी' (Ity) से मिलकर बना है जिसका तात्पर्य होता है "दो समूहों की न्यून संख्या जो मिलकर एक 'सम्पूर्ण' का निर्माण करती है।" परन्तु सामाजिक सन्दर्भ में अल्पसंख्यकों की अवधारणा विशेष महत्व रखती है। भारतीय संविधान में 'अल्पसंख्यक' शब्द का उपयोग अनेक स्थानों पर हुआ है लेकिन परिभाषित नहीं किया गया है। फिर भी दो तरह के अल्पसंख्यकों की बात की गयी है। धार्मिक अल्पसंख्यक तथा भाषायी अल्पसंख्यक। सर्वोच्च - न्यायालय ने केरल शिक्षा विधेयक (1957) पर अपने निर्णय में कहा है कि-
"अल्पसंख्यक होने या न होने का प्रश्न एक राष्ट्र की सम्पूर्ण जनसंख्या के सन्दर्भ में निर्धारित किया जाना चाहिए।"
उपर्युक्त कथन से स्पष्ट होता है कि अल्पसंख्यक वर्ग में वह समूह आता है जिसकी जनसंख्या 50 प्रतिशत से कम हो। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि भारत में हिन्दुओं के अतिरिक्त अन्य सभी धार्मिक समूहों को धार्मिक अल्पसंख्यक कहा जा सकता है।
इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका में अल्पसंख्यक की परिभाषा है - "अल्पसंख्यक एक समूह के रूप में सामान्य अवतरण में भाषा या धार्मिक विश्वास एवं अनुभूति जो राजनीतिक सत्ता के अन्तर्गत बहुसंख्यक से भिन्न होता है बँधे रहते हैं।"
इन परिभाषा से स्पष्ट है कि-
1. अल्पसंख्यक व्यक्तियों का एक समूह है,
2. इसके निर्माण का आधार भाषा या धर्म है,
3. ये बहुसंख्यक से भिन्न विशेषता लिए होते हैं,
4. इस परिभाषा में अनुभूति पर बल दिया गया है।
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