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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2747
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 8
आतंकवाद
(Terrorism)

जब समाज के कुछ व्यक्ति या समूह विधि सम्मत तरीकों से अपने उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पाता है तो वह अपनी बात को मनवाने के लिए सशस्त्र संघर्ष करना शुरू कर देता है। ऐसे व्यक्ति या समूह का उद्देश्य क्षेत्र विशेष में हिंसा के द्वारा भय पैदा करना होता है, जिससे कि सम्बन्धित क्षेत्र की समस्त व्यवस्था पंगु हो जाए और वे अपना हित साध सके। आम जन में भय के द्वारा दबाव बनाने की यही क्रिया आतंकवाद कही जाती है।

बीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशकों में आतंकवाद सम्पूर्ण विश्व में एक अमानवीय प्रवृत्ति के रूप में बड़ी तेजी से उभरा है, जिससे लगता है कि हम आतंकवादी युग में जी रहे हैं। आतंकवादी घटनाएँ किसी देश विशेष के लिए नहीं लगभग सभी देशों के लिए अभिशाप बन गयी हैं। आतंकवाद सम्पूर्ण मानव संस्कृति का शत्रु है, जो विश्व के उदारवादी समाजों को निरंकुश राज्य शासन अर्थात् ऑटोक्रेसी (Autocracy) की ओर ढकेल रहा है।

आतंकवाद का सम्बन्ध भावना से है, क्योंकि एक जिसे आतंकवाद मानता है दूसरा उसी को आजादी की लड़ाई का मुक्ति संगम, दमन- उत्पीड़न के विरुद्ध युद्ध, संघर्ष एवं क्रान्ति तथा अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ाई मानता है, इसीलिए आतंकवाद की क्रिया एक है, किन्तु दृष्टिकोण अलग-अलग और परखने का नजरिया पृथक-पृथक होता है। सामान्य स्तर पर आतंकवाद का तात्पर्य राजनीतिक प्रेरित हिंसा, तोड़-फोड़, आगजनी अपहरण-फिरौती, सामूहिक हत्याएं तथा अन्य रूपों में उत्पन्न की गयी अस्थिरता से ही लगाया जा सकता है। सामान्यतः आतंकवाद का आश्रय धार्मिक, जातीय, भाषायी जैसे छोटे-छोटे समुदायों तथा राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं द्वारा भी लिया जाता है। जो देश, समाज या विश्व में आतंक उत्पन्न करके अपने लक्ष्यों / उद्देश्यों के बारे में व्यापक जनमत तैयार करना चाहते हैं।

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