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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 24
जॉन रॉल्स
(John Rawls)

जॉन रॉल्स का जन्म 21 फरवरी 1921 को अमेरिका में हुआ। जॉन रॉल्स एक विलक्षण प्रतिभा रखने वाले व्यक्ति थे। जॉन रॉल्स ने 1950 में लिखना प्रारम्भ किया और उनका तात्विक रूप से प्रथम विचार न्याय उचितता के रूप में सबसे पहले 1957 में प्रकाशित हुआ। इसी विचार को आगे जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धांत के आधार के रूप में मान्यता दी। हावर्ड विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक रहते हुए जॉन रॉल्स ने अपनी न्याय की संकल्पना को विस्तृत आधार प्रदान करके अपनी प्रथम पुस्तक Theory of Justice 1971 ई० में प्रकाशित कराई। इस पुस्तक में उसने न्याय पर आधारित एक आदर्श समाज की विवेकपूर्ण तथा तर्कसंगत संरचना प्रस्तुत की। इसी पुस्तक के कारण जॉन रॉल्स को राजनीतिक चिन्तन के पुनरोद्य का जनक होने का गौरव प्राप्त हुआ। उसके बाद जॉन रॉल्स की दूसरी रचना 1993 में Political Liberalism के नाम से प्रकाशित हुई।

जॉन रॉल्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Theory of Justice में अपना न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत करते हुए उपयोगितावादियों के विचारों का खण्डन किया है।

जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धांत की शुरुआत में ही न्याय के बारे में यह तर्क दिया है कि अच्छे समाज में अनेक सदगुण अपेक्षित होते हैं और उनमें न्याय का भी महत्वपूर्ण स्थान है। न्याय उत्तम समाज की आवश्यक शर्त है। न्याय के बिना समाज की उन्नति और उत्तम समाज की स्थापना दोनों ही असम्भव है।

न्याय की अवधारणा राजनीतिक दर्शन की महत्वपूर्ण अवधारणा है। समकालीन उदारवाद ने इस अवधारणा को नए ढंग से पेश किया है। न्याय की समस्या का इतिहास काफी पुराना है। मानव चिन्तनशील प्राणी होने के नाते राजनीतिक समाज के प्रादुर्भाव से ही अपने लिए न्याय की मांग करता आया है। न्याय की समस्या मुख्यतः यह निर्णय करने की समस्या है कि समाज के विभिन्न वर्गों, व्यक्तियों और समूहों के बीच विभिन्न वस्तुओं, सेवाओं, अवसरों, लाभों आदि को आवंटित करने का नैतिक व न्यायसंगत आधार क्या हो। इसी कारण अनेक विचारकों ने स्वतंत्रता तथा समानता के विरोधी दावों को हल करने के लिए न्याय सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है। उन्हीं विचारकों में से जॉन रॉल्स है। जॉन रॉल्स ने न्याय सिद्धांत में महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार किया है, जिनमें से प्राथमिक वस्तुओं, सेवाओं और लाभों की समस्या प्रमुख हैं। जॉन रॉल्स का न्याय शुद्ध प्रक्रियात्मक व वितरणात्मक स्वरूप रखता है। भारत के संदर्भ में जॉन रॉल्स की सामाजिक न्याय की अवधारणा काफी महत्व रखती है।

जॉन रॉल्स ने अपने सिद्धांत में भेदमूलक सिद्धांत तथा अवसर की उचित समानता का सिद्धांत, दो सिद्धांत जोड़े हैं। जॉन रॉल्स का कहना है कि सम्पत्ति तथा आय का बंटवारा समान हो, यह आवश्यक नहीं है, लेकिन यह असमान वितरण ऐसा होना चाहिए कि कम सुविधा प्राप्त व्यक्तियों को भी अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो। इसी तरह अवसर की समानता के बारे में जॉन रॉल्स ने कहा है कि पद और सत्ता सभी व्यक्तियों के लिए खुली हो ताकि आम आदमी की भी उस तक पहुँच सुनिश्चित हो सके।

जॉन रॉल्स का मानना है कि न्याय के सिद्धांत की अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक परिस्थितियों का होना जरूरी है और ये आवश्यक परिस्थितियाँ ही मूल संरचना की न्याय का प्राथमिक विषय है। जॉन रॉल्स का कहना है कि न्याय के सिद्धान्त हेतु कुछ आवश्यक परिस्थितियों की आवश्यकता पड़ती है। इन पृष्ठभूमियों के बिना न्याय के किसी भी सिद्धान्त की कल्पना करना बेकार है। जॉन रॉल्स के अनुसार ये दशाएँ हैं-

(1) न्यायसंगत संविधान,

(2) राजनीतिक प्रक्रिया का उचित रूप से संचालन,

(3) अवसर की समानता एवं न्यूनतम सामाजिक आवश्यकताओं की गारन्टी।

जॉन रॉल्स ने कहा है कि सभी नागरिकों को समान स्वतंत्रताएँ प्राप्त होनी चाहिए, सरकारों का चयन और निर्माण उचित राजनीतिक प्रक्रिया द्वारा ही होना चाहिए, सभी को समान शैक्षिक, आर्थिक व राजनीतिक सुविधाएँ प्राप्त रहें तथा लोगों को समान न्यूनतम सामाजिक आवश्यकताओं की गारन्टी मिले अर्थात् परिवार भत्ता, बेरोजगारी भत्ता आदि की समुचित व्यवस्था हो। इन व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए आवंटन, स्थिरीकरण, हस्तांतरण तथा वितरणात्मक संस्थाओं का विकास किया जा सकता है।

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