बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 16
जॉन स्टुअर्ट मिल
(John Stuart Mill)
जॉन स्टुअर्ट मिल जेम्स मिल का पुत्र था। उसका जन्म 20 मई, 1806 ई. को लन्दन में हुआ था। अपने पिता के संरक्षण और सख्त अनुशासन में जॉन मिल की शिक्षा का प्रारम्भ पालने से ही प्रारम्भ हो गया। जिनकी तीव्र इच्छा थी कि उसका पुत्र बेन्थमवादी परम्पराओं का सुयोग्य अनुयायी बने । मूरे के शब्दों में, “अपने पिता का प्रभाव उस पर इतना अधिक है कि ऐसा मालूम होता है कि मानो वह कभी पैदा ही न हुआ हो।" उसने 3 वर्ष की अवस्था में ही ग्रीक भाषा और 8 वर्ष की अवस्था में लैटिन भाषा पढ़ना शुरू कर दिया। इसी अवस्था में उसने प्लेटो तथा हेरोडोटस को भी पढ़ लिया। मिल तर्कशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, मनोविज्ञान, रसायन विज्ञान और अर्थशास्त्र का ग्रीक, लैटिन और अंग्रेजी भाषा के माध्यम से अध्ययन करके 16 वर्ष की आयु में वह एक प्रौढ़ विद्वान बन चुका था। मिल फ्रांस की यात्रा से लौटकर बेन्थम को पढ़ना शुरू किया और वह अपने पिता की इच्छानुसार बेन्थम का अनुयायी बन गया।
जब वह 17 वर्ष का था तब उसने एक मौलिक उपयोगितावादी संस्था बनाई जिसका काम 'रैडिकलिज्म' का अध्ययन तथा प्रचार करना था। वह 'लन्दन रिव्यू' का सम्पादक बन गया, जिसका नाम बाद में 'लन्दन एण्ड वेस्टमिनिस्टर रिव्यू' हो गया। जब वह रैडिकलिज्म के प्रचार और अन्य कार्यों में संलग्न था, उसने हृदय रोग हुआ, जिसे उसने अपने बौद्धिक इतिहास में संकट के नाम से पुकारा।
सन् 1830 ई. में उसका एक धनाढ्य, सुन्दर एवं प्रतिभाशाली महिला श्रीमती हेरियट टेलर से परिचय और मित्रता के बाद में अपने पति की मृत्यु के उपरान्त उसकी पत्नी बन गई। अब उसने वर्ड्सवर्थ और कालरिज की रचनाओं को पढ़ा और इन कवियों की रचनाओं में उसे वह मार्मिकता और मानवीयता मिली, जिसे बेन्थम कभी नहीं देख सका था। अपने पिता की मृत्यु के दो वर्ष बाद श्रीमती टेलर 1851 ई. में मिल के साथ विवाह कर लिया। मिल को एक विद्वान और विचारक के रूप में अपूर्व यश प्राप्त हुआ। सन् 1866 में वह ब्रिटिश कामन सभा का वेस्ट मिनिस्टर निर्वाचन क्षेत्र से सदस्य भी चुना गया। ब्रिटिश प्रधानमन्त्री ग्लेडस्टोन उसके व्यक्तित्व एवं विद्धता से बड़ा प्रभावित था। मिल ने कुछ दिनों ईस्ट इण्डिया कम्पनी में नौकरी भी की थी। कामन सभा में उसने महिला मताधिकार, अल्पमत प्रतिनिधित्व तथा खुले मतदान का समर्थन किया। ब्रिटिश जनता ने उनके कार्यों एवं विचारों को पसन्द नहीं किया। अत: वह कामन सभा का चुनाव हार गया। अपनी इस अत्यधिक स्वतन्त्र प्रवृत्ति के कारण ही सन् 1868.ई. में वे दुबारा नहीं चुने जा सके। मिल के संसदीय जीवन के सम्बन्ध में प्रधानमन्त्री ग्लेडस्टन ने कहा था कि, "जब जॉन मिल बोलते थे तो मुझे सदैव ऐसा प्रतीत होता था कि मैं एक सन्त की वाणी सुन रहा हूँ।"
सन् 1873 ई. में फ्रांस के अविगनॉन नगर में उसका देहान्त हो गया जहाँ उसे सन् 1852 ई. में मृत उसकी पत्नी की कब्र के पास ही दफना दिया गया।
जॉन स्टुअर्ट मिल के महत्वपूर्ण कथन
मैं इस बात को नितान्त अनुचित मानता हूँ कि कोई व्यक्ति लिखने-पढ़ने की योग्यता प्राप्त करने के पूर्व ही मतदान में भाग ले। मताधिकार को सार्वभौमि बनाने के पूर्व सभी को शिक्षा प्रदान करना नितान्त आवश्यक है।
मैं पीटर हूँ जो अपने गुरु को स्वीकार नहीं करता।
स्वतन्त्रता बन्धनों का आभाव है।
अपने ऊपर अपने शरीर और मन पर व्यक्तित्व सम्प्रभु है।
एक सन्तुष्ट सुअर होने की अपेक्षा एक असन्तुष्ट मनुष्य होना कहीं अधिक श्रेष्ठ है।
व्यक्ति के स्वसम्बन्धी कार्य में राज्य को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
महत्वपूर्ण पुस्तकें
धर्म पर तीन लेख (Three Essays on Religion - 1874)
एसेज ऑन लिबर्टी एण्ड रिप्रेजेन्ट्रेटिव गवर्नमेण्ट सबजेक्शन ऑफ वूमेन
तर्क की पद्धति (The System of logic-1843)
राजनीतिक अर्थ व्यवस्था के सिद्धान्त (The Principles of Political Economy-1848)
संसदीय सुधारों पर विचार (Thought on Parliament Reform- 1859)
उपयोगिता (Utilitarianism 1863)
नारी अधीनता (Subjection of Woman-1869)
आत्मकथा (Autobiography-1873)
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