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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 15
जेरेमी बेन्थम
(Jeremi Bentham)

जेरेमी बेन्थम अठारहवीं शताब्दी का अंग्रेज विचारक था जिसने चिरसम्मत उदारवाद को एक नया मोड़ दिया। बेन्थम का जन्म 1748 ई. में लन्दन के एक सम्पन्न वकील घराने में हुआ था। उसने शैशवावस्था में ही लैटिन, ग्रीक तथा फ्रेंच भाषाओं का अध्ययन आरम्भ कर दिया। जब वह केवल 15 वर्ष का ही था, तभी उसने ऑक्सफोर्ड के क्वीन्स कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बेन्थम की अपनी विलक्षण प्रतिभा के कारण ही छात्र जीवन में उसे अपने साथी मूर्ख तथा अध्यापक अयोग्य प्रतीत होते थे। स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद उसने लिकन्सइन में कानून का अध्ययन किया। 1772 ई. में उसने वकालत करना आरम्भ किया, किन्तु बेन्थम ने यह महसूस किया कि वह वकालत के लिए नहीं बनाया गया है और वह वकालत छोड़कर न्यायशास्त्र तथा विधिशास्त्र का अध्ययन करने में लग गया और जीवन पर्यन्त इसमें लगा रहा।

1776 ई. में उसकी प्रथम पुस्तक 'शासन पर कुछ विचार' प्रकाशित हुई। लेकिन उसका लेखन कार्य अत्याधिक अव्यवस्थित था। 1788 ई. में उसकी भेंट जेनेवा - वासी कुमारी द्युमोन्त से हुई जिसने उसकी रचनाओं का सभ्य जगत की फ्रेंच भाषा में अनुवाद किया। इससे फ्रेंच भाषा-भाषी प्रदेशों में उसकी ख्याति बढ़ी। 1821 ई. में उसे 36 वर्षीय बोरिंग नामक भक्त का सहयोग मिला जिसने उसके कुछ ग्रन्थों को 11 खण्डों में प्रकाशित किया। उसने 76 वर्ष की अवस्था में बेस्टमिन्सटर रिव्यू नामक पत्र निकाला और 79 वर्ष की अवस्था में उसने लन्दन विश्वविद्यालय के मूल यूनिवर्सिटी कॉलेज को इस उद्देश्य से स्थापित किया कि यह आक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज के वातावरण से मुक्त रहे।

बेन्थम न केवल उच्चकोटि का सुधारक था अपितु सहृदयता, भाव- प्रवणता एवं विशाल दृष्टिकोण का कोष का भी था, यही कारण था कि उसने अपने जीवन काल में ही अत्याधिक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया। 1825 ई. में जब वह फ्रांस गया तो वहाँ उसे एक विजेता जैसा सम्मान और स्वागत प्राप्त हुआ। लन्दन, पेरिस और अमेरिका में उसकी पुस्तकों की 50 हजार से अधिक प्रतियाँ बिकी। वह अपने जीवन भर लॉर्ड शैलबोर्न, जेम्स मिल आदि अनुयायियों से घिरा रहा। आनन्दपूर्वक एक दीर्घजीवन व्यतीत करने के बाद 1832 ई. में इस महान् विचारक की मृत्यु हो गयी। उसके विचारों से प्रेरित महान् सुधार बिल इसी वर्ष पारित हुआ।

बेन्थम की मुख्य उपलब्धि यह थी कि उसने दार्शनिक और राजनीतिक विचारों की संकल्पना और अभिव्यक्ति के ढंग को ही बदल दिया। यह बेन्थम की बेजोड़ प्रतिभा का ही प्रमाण है।

जेरेमी बेन्थम के महत्वपूर्ण कथन

प्रकृति ने मानव जाति को सुख और दुःख नामक दो स्वामियों के अधीन रखा है।

दण्ड निरोधात्मक एवं सुधारात्मक होना चाहिए।

अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख ही राज्य का लक्ष्य है।

सही अर्थों में अधिकार विधि की सृष्टि कहे जा सकते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति एक गिना जाय कोई भी एक से अधिक न गिना जाय।

अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम हित की धारणा ।

महत्वपूर्ण पुस्तकें

फ्रैगमेन्टस ऑफ गवर्नमेण्ट- 1776 ई.
डिफेन्स ऑफ यूजरी - 1787 ई.

इन्ट्रोडेक्शन टू द प्रिन्सिपल्स ऑफ मोरल्स एण्ड लेजिस्लेशन - 1789 ई.

प्रिन्सिपल ऑफ इण्टरनेशनल लॉ
मैनुअल ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी
चर्च ऑफ इंग्लैण्ड - 1818 ई.
ए टेबल ऑफ द स्प्रिंग ऑफ एक्शन
ए थियरी ऑन पनिशमेण्ट एण्ड रिवार्डस कन्स्टीट्यूशन कोड

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