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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 9
जे. जे. रूसो
(J.J. Rousseau)
जीन जेक्स रूसो आधुनिक युग का एक अत्यन्त प्रतिभाशाली फ्रांसीसी दार्शनिक था। वह जेनेवा में पैदा हुआ जहाँ उसके फ्रांसीसी पूर्वज सोलहवीं शताब्दी से बसे हुए थे। बचपन में उसे बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
रूसो का जन्म 1712 ई. में जेनेवा के गणतन्त्र में हुआ था। उसकी माँ की मृत्यु उसके प्रसवकाल में ही हो गयी, इसलिए उसके पालन-पोषण का भार उसके पिता पर पड़ा। उसका पिता एक कुशल घड़ीसाज किन्तु अस्थिर चरित्र का था और उसमें उत्तरदायित्व की भावना न थी, इस लिए वह रूसो की नियमित शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं कर सका, शिक्षा देना तो दूर उसने तो अपने पुत्र को अपनी गलत आदतों का साथी बना लिया। वह बालक रूसो से रात में काफी देर तक रोमांसकारी पुस्तकें पढ़वाकर सुनता था। जिसका पुत्र की शिशु भावनाओं पर निश्चित रूप से बुरा प्रभाव पड़ा। रूसो जब केवल दस वर्ष का था, तभी उसके पिता उसे चाचा के संरक्षण में छोड़कर अपनी सुरक्षा के लिए जेनेवा से भाग निकले। एक पाशविक और निर्दयी संगटराश के अधीन तीन वर्ष तक रूसो ने एक शिष्य के रूप में कार्य किया और यहीं उसने झूठ बोलने व चोरी करने की कला सीख ली। एक रात जब रूसो को नगर से लौटने में देर हो गयी, तो उसने द्वार बन्द पाया और निर्दयी स्वामी के कठोर दण्ड के भय से रूसो ने जेनेवा छोड़ दिया। 16 वर्ष की अवस्था में आवारागर्दी का युग आरम्भ हुआ, जो लगभग 14 वर्ष तक चला। इस काल में उसका कोई ठिकाना न रहा और वह दर-दर भटकता रहा। इस बीच उसे अनेक दयालू सहायक मिले, परन्तु उसे अपने अहंकार और अशिष्ट व्यवहार के कारण उसकी किसी से स्थायी मित्रता न हो सकी। रूसो के स्वभाव में अनेक दुर्गुण थे और उसे नियमित शिक्षा भी प्राप्त नहीं हो सकी थी। किन्तु उसमें जन्मजात प्रतिभा अवश्य थी। 1749 ई. में उसे अपनी प्रतिभा प्रकट करने का अवसर मिला। इस वर्ष डिजाइन की आकदमी ने सर्वोत्तम निबन्ध पर पुरस्कार घोषित किया निबन्ध का विषय था "विज्ञान तथा कला की प्रगति ने नैतिकता को भ्रष्ट करने में योग दिया है अथवा उसको विशुद्ध करने में। " रूसो जीवन की कटुताएँ भोगने के कारण समाज के विरुद्ध विद्रोही बन चुका था।
पेरिस के साहित्य क्षेत्र में रूसो को सम्मान प्राप्त हुआ, किन्तु रूसो के जीवन पर इस सम्मान की प्रतिक्रिया विपरीत हुई। उसने अब भद्र समाज में सम्बन्ध विच्छेद करके निम्न वर्ग के साथ घनिष्ठ मेल-मिलाप शुरू कर दिया। वह अपनी ओर आकर्षित धनाढ्य महिला का साथ छोड़कर एक दरिद्र और अशिक्षित महिला के साथ रहने लगा जहाँ बड़ी कठिनता से उसे रूखी सूखी रोटी मिल पाती थी। प्रतिभाशाली रूसो के मस्तिष्क में विचारों का एक तूफान-सा आया और उसने अकादमी द्वारा प्रस्तावित पुरस्कार के लिए पुन: 1754 ई. में निबन्ध लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। उसके निबन्ध का विषय था ' असमानता की उत्पत्ति और उसकी आधारशिला' उसका निबन्ध धनी वर्ग और राजतन्त्र के अनुकूल न होने के कारण पुरस्कार उसे न देकर उसे दिया गया जिसकी कृति रूसो से हीन थी। इस घटना से रूसो ने 1762 ई. में पेरिस छोड़ दिया और जीवन के शेष 16 वर्ष खानाबदोश के रूप में व्यतीत किए। इस महान् विचारक की मृत्यु 1778 ई. में हो गयी।
जीन जेक्स रूसो के महत्वपूर्ण कथन
प्राकृति की ओर लौटो (Back to Nature)।
सरकार राज्य का सजीव उपकरण है।
मात्र प्रवृत्ति के आवेग का पालन दासता है।
राज्य में व्यक्ति उतना ही स्वतन्त्र है जितना प्रकृति में अवस्था।
मनुष्य स्वतन्त्र उत्पन्न हुआ परन्तु वह सर्वत्र बेड़ियों में जकड़ा है।
प्राकृतिक अवस्था का मनुष्य समान, सन्तुष्ट आत्मनिर्भर प्राणी था।
राज्य की सदस्यता के बिना व्यक्ति के लिए नैतिक जीवन असम्भव है।
मनुष्य को स्वतन्त्र होने के लिए विवश किया जा सकता है।
कला और विज्ञान के विकास ने मानव को खराब कर दिया है।
सरकार राज्य का जीवित औजार है।
जो सामान्य हित का अनुपालन नहीं करता, उसे स्वतन्त्र होने के लिए विवश किया जायेगा।
महत्वपूर्ण पुस्तकें
डिस्कोर्सेज ऑन द मोरल इफेक्ट्स आर्टस एण्ड साइन्स
डिस्कोर्सेज ऑन आर्टस एण्ड साइन्स- 1749 ई.
डिसकोर्सेज ऑन द ओरिजिन ऑफ इनइक्वैलिटी ऑफ मैन- 1754 ई.
इन्ट्रोडेक्सन टू पॉलिटिकल इकोनामी- 1758 ई.
द सोशल कॉन्ट्रेक्ट - 1762 ई.
ईमाइल - 1762ई.
द न्यू हीलाइज
कन्फेन्सन्शन्स
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