प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- राष्ट्रकूट- चोल संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
कृष्ण तृतीय के मध्य हुए चोल संघर्ष पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर-
राष्ट्रकूट- चोल संघर्ष
राष्ट्रकूट शासकों में कृष्ण तृतीय एक कुशल सैनिक तथा साम्राज्यवादी शासक था। उसे 'अकालवर्ष' की उपाधि प्राप्त थी। सर्वप्रथम उसने चोलों के विरुद्ध संघर्ष करने की योजना बनायी। 943 ई. में उसने चोल शासक परान्तक पर आक्रमण कर दिया। उसका अभियान सफल रहा और कांची तथा तंजौर पर उसने अपना अधिकार स्थापित कर लिया। कुछ समय बाद चोल शासक परान्तक ने अपनी आन्तरिक स्थिति सुदृढ़ करके राष्ट्रकूटों पर आक्रमण कर युद्ध प्रारम्भ कर दिया। यह युद्ध 949 ई. में चोल तथा राष्ट्रकूट सेनाओं के बीच उत्तरी अर्काट जिले के तक्कोलम नामक स्थान पर हुआ। राष्ट्रकूट लेखों से ज्ञात होता है कि यह आक्रमण बड़ा भयानक था। इसमें पहले तो चालुक्य सैनिक प्रबल रहे लेकिन बाद में अपने सेनापति मणलेर तथा गंगराज भुतुग की सहायता से राष्ट्रकूटों को विजय प्राप्त हुई तथा चोल युवराज राजादित्य मारा गया। कृष्ण तृतीय चोल राज्य को जीतता हुआ रामेश्वरम् तक जा पहुँचा जहाँ उसने एक विजय स्तम्भ स्थापित किया। इस विजय के परिणामस्वरूप उसका चोल राज्य के उत्तरी भागों पर अधिकार हो गया।
कर्हाद लेख के अनुसार - कृष्ण तृतीय ने चोलों के अतिरिक्त पाण्ड्य, केरल तथा लंका के शासकों को भी पराजित किया था।
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