प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न-. राष्ट्रकूटों के मूल निवास के विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
राष्ट्रकूटों की राजधानी का नाम बताइये।
उत्तर
राष्ट्रकूटों की राजधानी
दक्षिण भारत के इतिहास एवं संस्कृति में राष्ट्रकूटों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्रकूटों की उत्पत्ति तथा इनके मूल निवास का विषय विवादों से घिरा है। इनका साम्राज्य मूलतः महाराष्ट्र के इर्द-गिर्द फैला था। इनके प्रधान शाखा की राजधानी 'मान्यखेट' इसी प्रदेश में थी। इसी आधार पर महाराष्ट्र को राष्ट्रकूटों का मूल निवास मानने की सम्भावना प्रबल दिखाई पड़ती है। इनके अभिलेख भी अधिकतर इसी क्षेत्र से मिलते हैं। लेकिन यह मत सारगर्भित होते हुए भी कई कारणों से मान्य नहीं है क्योंकि इनकी मातृभाषा कन्नड़ थी जिससे ये कर्नाटक क्षेत्र के रहने वाले प्रतीत होते हैं। इनके संरक्षण में कन्नड़ साहित्य का अत्यधिक विकास हुआ। राष्ट्रकूटों की मुख्य शाखा के साथ-साथ इनकी उपशाखाओं के अभिलेख भी अधिकतर कन्नड़ भाषा में मिलते हैं।
यदि राष्ट्रकूट मूलतः महाराष्ट्र से सम्बन्धित होते तो दक्षिण गुजरात में शासन करने वाले राष्ट्रकूट शासक ऐसी लिपि का प्रयोग कभी न करते जो न तो दक्षिणी गुजरात में प्रचलित थी और न ही महाराष्ट्र में प्रचलित थी। अधिकांश लेखों में राष्ट्रकूटों को लट्टलूरपुरवराधीश्वर कहा गया है। इस साक्ष्य के आधार पर लट्टलूर वास्तव में लाटूर है जो हैदराबाद में पड़ता है। यहाँ के अनेक रट्टी परिवार तीसरी शताब्दी से पहले कर्नाटक में बसे थे। वहाँ से बढ़ती हुई इनकी मूल शाखा मान्यखेट में आई जिससे ये मान्यखेट के राष्ट्रकूट कहे जाते हैं। यहाँ से इनकी शाखाएँ दूसरे स्थानों पर पहुँची।
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