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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2745
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 8
यादव राजवंश
(Yadava Dynasty)

प्रश्न- देवगिरि के यादव वंश की उत्पत्ति एवं उनके मूल निवास के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइये।

अथवा
यादवों की उत्पत्ति का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. देवगिरि के यादवों की उत्पत्ति किस प्रकार हुई? बताइये।
2. यादवों के निवास स्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

देवगिरि के यादव

कल्याणी के चालुक्यों की शक्ति का ह्रास हो जाने के बाद 12वीं - 13वीं शती में देवगिरि के यादव वंश का राजनीतिक प्रभाव आरम्भ हुआ । इस वंश का अभ्युदय नासिक - अहमदाबाद क्षेत्र में नवीं शती के मध्य में ही हो चुका था। प्रारम्भिक दक्कन पर कल्याणी के चालुक्यों की अधीनता में इन्होंने शासन आरम्भ किया।

उत्पत्ति - यादवों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अनेक धारणाएँ प्रचलित हैं। रामायण, महाभारत तथा पुराणों में उल्लेख मिलता है कि इनकी उत्पत्ति महाराज ययाति के पुत्र यदु से हुई थी। हेमादिकृत 'चतुर्वर्गचिन्तामणि' में यादवों को चन्द्रवंशीय क्षत्रिय कहा गया है। 13वीं शती के मराठी संत कवि ज्ञानेश्वर कृत भगवतगीता की मराठी टीका से भी यादवों के चन्द्रवंशीय क्षत्रिय होने की पुष्टि होती है। इस ग्रन्थ में यादव शासक रामचन्द्र को चन्द्रवंशीय क्षत्रिय कहा गया है। इस वंश से सम्बन्धित अनुश्रुतियों के अनुसार यादव लोग मथुरा से चलकर सर्वप्रथम द्वारिका में आये और फिर अपनी सैनिक एवं प्रशासकीय योग्यता के आधार पर यादवों का एक दल 9वीं शती के मध्य में नासिक - अहमदाबाद क्षेत्र में आकर बस गया। जैन अनुश्रुतियों से भी इस तथ्य की पुष्टि होती है। इस वंश से सम्बन्धित पुरातात्विक अथवा अन्य ऐतिहासिक साक्ष्यों का अभाव है जिससे इनके सम्बन्ध में प्रामाणिक रूप से कुछ ज्ञात नहीं है। कर्नाटक से मिले कुछ अभिलेखों से इस बात की जानकारी होती है कि 11-12वीं शती में इस प्रदेश में कतिपय यादव सामन्त शासकों का राज्य विद्यमान था।

यादवों के राजकीय ध्वज पर गरुड़ की आकृति तथा कुछ प्रमुख सिक्कों पर गरुड़ तथा हनुमान की प्रतिमाएँ उत्कीर्ण मिलती हैं जिनसे इन्हें शैव एवं वैष्णव धर्मानुयायी माना जाता है।

मूल निवास स्थान - यादवों के निवास स्थान के विषय में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। पी.बी. देसाई यादवों को मूल रूप से कन्नड़ देश के निवासी मानते हैं। उनके इस मत का प्रमुख आधार यह है कि अधिकांश यादव शासकों के अभिलेख कन्नड़ भाषा में ही लिखे गये हैं। इसके अतिरिक्त यादव शासकों द्वारा धारण किया गया विरुद 'कर्नाटकराजवंशाभिराम' तथा कन्नड़ भाषा से सम्बन्धित भिल्लम् दाडिप्प, राजुगि, वासुगि एवं वड्डिग आदि नाम भी उन्हें कन्नड़ - मूल से सम्बन्धित करते हैं। परन्तु डॉ. आर. जी. भण्डारकर तथा सी.वी. वैद्य जैसे विद्वान् यादवों को कन्नड़ मूल का नहीं मानते हैं, बल्कि मराठा क्षत्रिय मानना अधिक युक्तिसंगत मानते हैं। अल्तेकर भी भण्डारकर के समान इस मत की पुष्टि करते हैं कि यादव नरेश मूलतः महाराष्ट्र प्रान्त के निवासी थे। कालान्तर में राजसत्ता मिलने के बाद वे अपने वंश को गौरवान्वित करने हेतु मथुरा एवं द्वारिका के प्रसिद्ध यादव वंश से जुड़ गये।

अल्तेकर द्वारा प्रस्तुत उक्त विचार के विपरीत वी. के. रजवाड़े की धारणा है कि यादव राजवंश के लोग मूलतः उत्तर भारत के ही रहने वाले थे। उन्होंने दक्कन की ओर प्रस्थान किया जहाँ कालान्तर में मराठों पर विजय प्राप्त करके उन्होंने अपना शासन स्थापित किया। इस वंश के शासक स्वयं को 'द्वारावतीपुरवराधीश्वर' एवं 'विष्णुवंशोद्भव' बताते थे। हेमाद्रिरचित 'चतुर्वर्ग चिन्तामणि' में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि यादव वंश के लोग मथुरा से द्वारिका, और फिर दक्षिणापथ में जाकर बस गये। उनके द्वारा द्वारिका (द्वारावती) से चलकर चन्द्रादित्यपुर (चन्दोर, नासिक जिला) में राज्य स्थापना की सें मूल संपुष्टि उसी राजवंश के 1169 के एक अभिलेख से भी होती है। यादव वंश का उत्तरी भारतीय सम्बन्धित होने की बात जिनप्रभासूरि कृत 'नासककल्प' नामक जैन ग्रन्थ से भी प्रमाणित होती है।

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