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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2743
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अधिगम असमर्थता के उपचार का उल्लेख कीजिए।

अथवा

अधिगम विकृति के उपचार हेतु एक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अधिगम असमर्थता के अन्तर्गत भाषाई उपागम को स्पष्ट कीजिए।
2. सफलता उन्मुखी उपागम अपनाकर किस प्रकार अधिगम असमर्थता वाले बच्चों की सफलता का समाधान किया जा सकता है?

उत्तर-

अधिगम असमर्थता के उपचार की दिशा में कुछ सार्थक कदम मनोवैज्ञानिकों एवं अन्य विशेषज्ञों द्वारा उठाए गए हैं। इनको दो भागों में बाँटा जा सकता है-

(1) भाषाई उपागम (Linguistic Approach) - इस उपागम द्वारा उपचार करने में मूलतः वैसे बच्चों पर बल डाला जाता है जिसमें पठन एवं लेखन कठिनाइयाँ होती हैं। लेयोन एवं मोट्स (Lyon & Moats, 1988 ) द्वारा किए गए शोधों के अनुसार इस उपागम में बच्चों को ध्यान से सुनने, ठीक से बोलने, पढ़ने एवं तार्किक क्रम में लिखने का प्रशिक्षण दिया जाता है । काफी छोटे बच्चों में पढ़ने का निर्देश देने के पहले अन्य पठन कौशल जैसे अक्षर विभेद, ध्वनिक विश्लेषण तथा अक्षर आवाज साहचर्य आदि को सिखा दिया जाता है।

हाल के वर्षों में कुछ शोधकर्त्ताओं द्वारा इस बात पर बल डाला गया है कि अंधिगम असमर्थ कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनमें सीखने की क्षमता की कमी नहीं होती है बल्कि उनमें कुछ शिक्षण योग्य कौशल की ही कमी होती है। ब्रेसवेल तथा केन्डाल (Braswell & Kendall, 1988) द्वारा इस तथ्य पर अधिक बल डाला गया है; इसका स्पष्ट आशय यह है कि ऐसे बच्चों को उत्तम अधिगम में तभी मदद की जा सकती है जब समायोजी संज्ञानात्मक साधनों को अपनाया जाए। हैरिस (1996) ने अपने प्रयोग से इसका स्पष्ट समर्थन दिया है। इन्होंने अपने इस प्रयोग में कुछ ऐसे बच्चों को आत्म- बातचीत करने का तरीका सिखलाया जबकि ऐसे बच्चों के एक नियंत्रित समूह को ऐसा नहीं सिखलाया गया। बाद में दोनों समूह को एक विशेष तरह के 'कार्य करते समय उनके द्वारा किए गए निजी संभाषण का दृष्टि टेप किया और उनके निजी संभाषण के टिप्पणियों का विश्लेषण करने के बाद पाया गया कि प्रयोगात्मक समूह के बच्चों द्वारा नियंत्रित समूह के बच्चों की तुलना में अधिक संगत टिप्पणी किए गए और उनके संभाषण भी अधिक उन्नत थे। इससे यह पता चलता है कि अधिगम असमर्थ बच्चों को कुछ शिक्षण योग्य कौशल बतला देने पर उनकी अधिगम असमर्थता को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

(2) सफलता उन्मुखी उपागम (Success-oriented Approach) - अधिगम- असमर्थता वाले बच्चों को सफलता उन्मुखी उपागम अपनाकर भी उनकी समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस तरह के उपागम का दृष्टिकोण व्यवहारवादियों द्वारा बतलाए गए कदम होते हैं। इसमें ऐसे बच्चों को कोई पठन कार्य या अन्य समान कार्य को सिखलाने के पहले उसे छोटे-छोटे अंशों में बाँट लिया जाता है। प्रत्येक अंश को एक-एक करके उसके सामने उपस्थित किया जाता है और एक में सफल होने पर ही आगे का अंश बच्चों को दिया जाता है। इससे अधिगम असमर्थता वाले बच्चों में अभिप्रेरण बना रहता है तथा उसे किसी प्रकार की कुंठा का सामना नहीं करना पड़ता है।

स्पष्ट हुआ कि अधिगम असमर्थता के उपचार की दिशा में जो कदम उठाए गए हैं, उसे पूर्ण नहीं माना जा सकता है। अतः इसमें और भी सराहनीय कदम उठाये जाने की उम्मीद है।

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