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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2743
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 6
अधिगम असमर्थता
(Learning Disability)

प्रश्न- अधिगम असमर्थता से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।

अथवा
"अधिगम विकृति का सम्बन्ध बच्चों के अधिगम से सम्बद्ध कठिनाइयों से होता है।"

इस कथन की विस्तृत व्याख्या कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पठन विकृति पर टिप्पणी लिखिए।
2. लेखन अभिव्यक्ति की विकृति बालक को किस प्रकार प्रभावित करती है?
3. गणित विकृति के लक्षणों को किस प्रकार व्याख्यित करेंगे?

उत्तर-

बहुत से बच्चे अधिगम समन्वय तथा संचार के क्षेत्र में अपर्याप्तता दिखलाते हैं। इस तरह के विकृतियों से स्कूल तथा दिन-प्रतिदिन की जिन्दगी में बच्चों का निष्पादन काफी खराब या घटिया हो जाता है। बहुत से नैदानिक मनोवैज्ञानिकों का मत है कि ऐसी समस्याएँ मूलतः शैक्षिक या सामाजिक होती हैं जो स्कूल या घर तक ही सीमित होती हैं।

DSM-IV (1994) के विशेषज्ञों ने इसे एक मानसिक विकृति का दर्जा दिया है। इन समस्याओं से उत्पन्न दुष्क्रियाएँ और अन्य मानसिक समस्याओं के साथ बार-बार बालक का सामना होता है। हटिंगटन तथा बेन्डर (Huntington & Bender, 1993) के मतानुसार कुछ ऐसे साक्ष्य उपलब्ध हैं जिनसे पता चलता है कि इन समस्याओं को विशेषकर अधिगम की समस्याओं से ग्रस्त बच्चों को किशोरावस्था में आने पर विषाद तथा आत्महत्या की समस्याएँ अधिक होती हैं।

DSM-IV में अधिगम विकृति, संचार विकृति तथा समन्वय से सम्बद्ध पेशीय कौशल विकृति की पहचान अलग-अलग की गयी है। कुछ नैदानिक मनोवैज्ञानिकों ने इन तीनों को एक साथ मिलाकर अधिगम असमर्थता का नाम दिया है। क्योंकि इन तीनों में बच्चा अपने बौद्धिक स्तर के अनुरूप विशिष्ट शैक्षिक या भाषा या पेशीय क्षेत्र में विकसित होने में असमर्थ रहता है।

DSM-IV में अधिगम असमर्थता नाम के कोई पद का उपयोग नहीं किया गया है। अधिगम असमर्थता की पहचान एवं उपचार स्कूल तंत्र के भीतर ही हो जाती है।

बच्चों में अधिगम, भाषा तथा पेशीय कौशल से सम्बद्ध तीन स्वतन्त्र विकृतियाँ निम्नांकित है-

(1) अधिगम विकृतियाँ (Learning Disorders) - अधिगम विकृति का सम्बन्ध बच्चों के अधिगम से सम्बद्ध कठिनाइयों से होता है। DSM-IV के अनुसार अधिगम विकृतियाँ निम्नांकित तीन हैं-

(i) पठन विकृति ( Reading Disorder) - इस विकृति को डायस्लेक्सिया भी कहा जाता है। इसमें बच्चे शब्दों को ठीक से पहचान नहीं पाते हैं और जो पढ़ते हैं, उसे समझ नहीं पाते हैं हालांकि उन्हें कोई दृष्टि या श्रव्य दोष नहीं होता है और उनका बौद्धिक स्तर भी औसत होता है। अमेरिकन मनोरोग विज्ञान संघ (APA, 1994) के अनुसार 4% स्कूली बच्चों में ऐसी विकृति होती पायी जाती है।

(ii) गणित विकृति (Mathematics Disorder) - इस तरह की विकृति की पहचान तब होती है जब बच्चों का अंकगणितीय कौशल उनके बौद्धिक क्षमता से काफी नीचे होता है और उसके शैक्षिक उपलब्धि के साथ बाधा पहुँचाता है। ऐसे बच्चों को भाषाई कौशल से सम्बन्धित कठिनाई हो सकती है। ऐसे बच्चों में प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक कौशल अर्थात् संख्यात्मक संकेतों की पहचान ठीक से नहीं कर पाने की समस्या हो सकती है। इस प्रकार के बालकों को ध्यान कौशल, अर्थात् अंकों को जोड़ते समय पिछले अंकों की श्रृंखला से आए अंकों की याद से सम्बन्धित समस्या होती है। स्कूल में गणित में घटिया उपलब्धि का सबसे बड़ा कारण गणित विकृति माना गया है जो लड़कों एवं लड़कियों में लगभग समान ढंग से होता है।

(iii) लेखन अभिव्यक्ति की विकृति - इस विकृति में बच्चों द्वारा लिखे गए अंशों में तरह- तरह की त्रुटियाँ बारम्बार होती हैं। इन त्रुटियों में हिज्जे, व्याकरण, विरामादि-विधान, पैराग्राफ संगठन से सम्बद्ध त्रुटियाँ प्रधान होती हैं। एपीए (APA-1994) के अनुसार ऐसे केसेज की पहचान दूसरी कक्षा में आते-आते कर ली जाती है। लेखन अभिव्यक्ति की ऐसी त्रुटियाँ इतनी प्रबल हो जाती हैं कि बच्चे का निष्पादन उसके बौद्धिक स्तर से काफी नीचे चला जाता है।

(2) संचार विकृति (Communication Disorde) - इस तरह की विकृति का सम्बन्ध बच्चों द्वारा किए जाने वाले संचार तथा भाषा में उत्पन्न दोष से होता है। यह चार प्रकार की होती है-

(i) ग्रहणशील-अभिव्यंजक भाषा विकृति (Receptive Expressive Language Disorder) के अन्तर्गत, बच्चों में भाषा को समझने एवं अभिव्यक्त करने से सम्बद्ध दोष होता है। इससे उसकी शैक्षिक उपलब्धि प्रभावित या दिन-प्रतिदिन की क्रियाएँ काफी प्रभावित हो जाती हैं।

(ii) अभिव्यंजक भाषा विकृति (Expressive Language Disorders) वाले बच्चे अपने आपको अभिव्यक्त करने के लिए उपयुक्त भाषा का प्रयोग करने में असमर्थ पाते हैं। ऐसे बच्चों की शब्दावली काफी सीमित एवं अयथार्थ होती है; इन्हें नए शब्दों को सीखने में दिक्कत होती है, शब्दों को असाधारण ढंग से क्रमित करते हैं तथा भाषा विकास मंद गति से होता है।

(iii) ध्वनिक विकृति ( Phonological Disorder) के अन्तर्गत वैसे बच्चे जो उपयुक्त उम्र के बावजूद सही-सही ढंग से शब्दों को नहीं बोल पाते हैं, उन्हें ध्वनिक विकृति का रोगी माना जाता है।

(iv) हकलाना (Stuttering) के अन्तर्गत आने वाले बच्चे अपने संभाषण के सामान्य प्रवाह तथा समय पैटर्निंग में क्षुब्धता का अनुभव करते हैं वे किसी अक्षर या शब्दों को कभी-कभी दोहरा देते हैं, कभी उसे लम्बे समय तक बोलते हैं या कभी शब्दों को बीच में बोल देते हैं।

(3) पेशीय कौशल विकृतियाँ (Motor-skill Disorder) - इसे विकासात्मक समन्वय विकृति (Developmental Coordination Disorder) भी कहा जाता है। इसमें बच्चों के पेशीय समन्वय में ऐसा पर्याप्त दोष होता है जिसकी व्याख्या मानसिक मन्दन या कोई ज्ञात दैहिक विकृति के रूप में नहीं की जा सकती है। बच्चे को अपने जूते का फीता बाँधने में कठिनाई हो सकती है या कमीज के बटन लगाने में कठिनाई हो सकती है, और बड़ा होने पर गेंद खेलने, हाथ से लिखने या अन्य समान कार्यों में दिक्कत का अनुभव हो सकता है।

स्पष्ट हुआ कि अधिगम असमर्थता के जो तीन प्रारूप हैं, उनमें अधिगम विकृतियाँ सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे बच्चों की शैक्षिक उपलब्धियाँ काफी अधिक प्रभावित होती हैं।

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