बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- असामान्य व्यवहार को परिभाषित करते हुए इनकी विभिन्न कसौटियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मनोविकृति विज्ञान की विभिन्न कसौटियों की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार असामान्यता की प्रमुख कसौटियाँ कौन-सी हैं?
2. असामान्य व्यवहार के स्वरूप को समझाइए|
उत्तर-
सामान्यतः मानव व्यवहार को दो भागों में बाँटा गया है - सामान्य तथा असामान्य। Normal पद में उपसर्ग 'Ab' जोड़कर Abnormal अर्थात् असामान्य पद का निर्माण हुआ है। अर्थात् असामान्य वह है जो सामान्य नहीं है या सामान्य से परे अथवा भिन्न है, परन्तु मात्र यह कह देने से असामान्य व्यवहार का अर्थ स्पष्ट नहीं होता है।
रीगर (Reiger, 1998) के अनुसार - "असामान्य व्यवहार एक ऐसा व्यवहार होता है जो सामाजिक रूप से अमान्य, दुःखदायी एवं विकृत संज्ञान के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। चूंकि ऐसे व्यवहार से व्यक्ति को सामान्य समायोजन में कठिनाई होती है, इसलिए इसका स्वरूप कुसमायोजी भी होता है।'
बारलो एवं डुरंड (Barlow & Durand, 1999) के अनुसार - "असामान्य व्यक्ति के भीतर मनोवैज्ञानिक दुष्क्रिया की स्थिति होती है जो कार्यों में व्यथा या हानि से साहचर्यित होता है तथा एक ऐसी अनुक्रिया होती जो प्रतिनिधिक या सांस्कृतिक रूप से प्रत्याशित नहीं होती है।'
असामान्य व्यवहार की कसौटियाँ - असामान्य व्यवहार को मानसिक स्वास्थ पेशेवरों के अनुसार विभिन्न कसौटियों के आधार पर परिभाषित करने की कोशिश की गई है। ऐसी कसौटियाँ निम्नलिखित हैं-
1. सांख्यिकीय अबारंबारता की कसौटी (Criteria of Statistical Infrequency) - इस कसौटी के अनुसार वे सभी व्यवहार असामान्य होते हैं जो सांख्यिकीय औसत से विचलित होते हैं। इस कसौटी का उपयोग मानसिक मंदता (Mental Retardation) जैसे असामान्य व्यवहार को परिभाषित करने में प्रायः किया गया है जिन व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि 70 से कम होती है उसे मानसिक रूप से मंद होने की संज्ञा दी जाती है। स्पष्टतः इस कसौटी के अनुसार व्यक्ति के औसत निष्पादन को ही सामान्य कहा जाता है और जो भी इस औसत निष्पादन से विचलित होता है, उसे असामान्य कहा जाता है।
इस कसौटी का प्रमुख दोष यह है कि न केवल औसत से कम बुद्धिलब्धि वाले बल्कि औसत से ऊपर जैसे 140 या 160 या इससे भी अधिक बुद्धिलब्धि वाले भी असामान्य कहलायेंगे।
2. मानक अतिक्रमण की कसौटी (Criterion of Norms Violation) - प्रत्येक व्यक्ति एक समाज में रहता है जिसका अपना मानक होता है जिसके अनुसार व्यक्ति को व्यवहार करना होता है। जब व्यक्ति का व्यवहार मानक के अनुकूल होता है तो उसे सामान्य कहा जाता है परन्तु जब उसका व्यवहार इस मानक का अतिक्रमण करता है तो उसे असामान्य कहा जाता है।
इस कसौटी का प्रमुख दोष यह है कि एक ही व्यवहार एक समाज या संस्कृति में सामान्य हो सकता है परन्तु वही व्यवहार दूसरे समाज में असामान्य हो सकता है।
3. व्यक्तिगत व्यथा की कसौटी (Criterion of Personal Distress) - अगर व्यक्ति का व्यवहार ऐसा होता है जिससे उसमें अधिक तकलीफ या यातना उत्पन्न होती है तो इसे असामान्य व्यवहार कहा जायेगा।
उदाहरण - दुश्चिता विकृति या विषाद से ग्रस्त व्यक्ति। असामान्य व्यवहार को परिभाषित करने का यह उपागम पहले दोनों उपागमों या कसौटियों की तुलना से अधिक उदारवादी है क्योंकि इसमें लोग अपनी सामान्यता का परख स्वयं करते हैं न कि समाज या कोई विशेषज्ञ द्वारा किया जाता हो।
इस कसौटी के प्रमुख दोष निम्न हैं-
(i) ऐसे व्यवहार को असामान्य व्यवहार नहीं कहा जा सकता है जो सर्वथा अनुपयुक्त होगा।
(ii) सभी तरह के व्यक्तिगत व्यथा को या यातना उत्पन्न करने वाले व्यवहार को. असामान्य व्यवहार नहीं कहा जा सकता है। जैसे, तीव्र भूख, तीव्र प्यास, साधारण दर्द इत्यादि।
(iii) इस कसौटी में आत्मनिष्ठता अधिक है।
4. अयोग्यता या दुष्क्रिया की कसौटी (Criterion of Inability) - अगर कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने में अयोग्यता के कारण असमर्थ रहता है, तो उसके इस व्यवहार को असामान्य व्यवहार कहा जायेगा। जैसे अगर कोई व्यक्ति हवाई जहाज में जाने के डर से अपनी पदोन्नति को त्याग देता है।
दुष्क्रिया से तात्पर्य व्यक्ति के किसी प्रक्रम के स्वाभाविक कार्यवाही का इस तरह से असफल हो जाने से होता है कि उससे व्यक्ति को हानि हो जाती है।
इस कसौटी के प्रमुख दोष निम्न हैं-
(i) अयोग्यता एक ऐसी कसौटी है, जो कुछ ही व्यवहार के लिए सही है, न कि सभी तरह के व्यवहार के लिए।
(ii) कुछ विशेषताएँ ऐसी होती हैं जिन्हें अयोग्यता कहा जा सकता है परन्तु इसका अध्ययन असामान्य मनोविज्ञान में नहीं होता है जैसे पुलिस विभाग में शारीरिक ऊँचाई की अयोग्यता के कारण भर्ती प्रक्रिया से बाहर किया जाना।
(iii) दुष्क्रिया की कसौटी में यह माना जाता है कि व्यक्ति को सामान्य अवस्था या आंतरिक कार्यवाही का पता पहले से होता है, इसी में उत्पन्न असफलता या गड़बड़ी को असामान्य व्यवहार का आधार माना जाता है।
5. अप्रत्याशां की कसौटी (Criterion of Unexpectedness) - बहुत सारे असामान्य व्यवहार पर्यावरणी तनाव उत्पन्न करने वाले उद्यीपक के प्रति एक तरह का अप्रत्याशित अनुक्रिया ही होता है। जैसे व्यक्ति अपनी वित्तीय मजबूती के बावजूद भी अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में लगातार चिंतित रहता है और जब यह चिंता सामान्य अनुपात से अधिक हो जाती है तो इससे व्यक्ति में चिंता रोग उत्पन्न हो जाता है।
कोमर (Comer, 1993) ने कहा है- असामान्य व्यवहार को चार डी (Four D's) के रूप में समझाने में आम सहमति है। ये चार डी निम्न हैं-
(i) विचलन - इसके अन्तर्गत वैसे व्यवहार, जो स्वयं व्यक्ति के लिए दुःखदायी होते हैं, आते हैं।
(ii) तकलीफ - असामान्य व्यवहार वैसे व्यवहार को कहा जाता है जो स्वयं व्यक्ति के लिए दुःखदायी या तकलीफदेह होता है।
(iii) दुष्क्रिया - दुष्क्रिया वैसे व्यवहार को कहा जाता है, जो व्यक्ति को इतना अधिक अशांत कर देता है कि वह साधारण सामाजिक परिस्थिति या कार्य में भी अपने आपको ठीक ढंग से समायोजित नहीं कर पाता है।
(iv) खतरा - असामान्य व्यवहार सामान्यतः स्वयं व्यक्ति या रोगी के लिए तो खतरनाक होता ही है, साथ ही साथ वह अन्य व्यक्तियों के लिए भी खतरनाक साबित होता है।
स्पष्ट हुआ कि असामान्य व्यवहार के अर्थ एवं स्वरूप को समझाने का चार आयामीय पहलू कहीं अधिक व्यापक एवं मान्य है।
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