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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2743
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- असामान्य मनोविज्ञान की मुख्य समस्याओं की व्याख्या तथा इसकी वर्तमान स्थिति का मूल्याँकन कीजिये।

अथवा
आधुनिक युग में असामान्य मनोविज्ञान के महत्व का वर्णन कीजिये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. असामान्य मनोविज्ञान की समस्याओं पर प्रकाश डालिये
2. असामान्य मनोविज्ञान की वर्तमान स्थिति क्या है ?
3. असामान्य मनोविज्ञान के महत्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

असामान्य मनोविज्ञान की समस्याएँ.
(Problems of Abnormal Psychology)

असामान्य मनोविज्ञान मानव के असामान्य व्यवहार के कारणों एवं उपचार का अध्ययन करता है। इसकी समस्याओं का सम्बन्ध व्यवहार के अध्ययन व उसकी अनुभूतियों से होता है।

असामान्य मनोविज्ञान की प्रमुख समस्याओं का केन्द्र व्यवहार के निम्नलिखित व्यवहारों पर आधारित है-

1. वह व्यवहार जो कुसमायोजन उत्पन्न करता है।

2. वह व्यवहार जिसमें कुसमायोजन के लक्षण विद्यमान होते हैं।

3. वह व्यवहार जो कुसमायोजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। व्यवहार के इन प्रकारों से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न होती हैं-

1. किन व्यवहारों को इस श्रेणी में रखा जाये जिनसे कुसमायोजन उत्पन्न होता है?

2. कुसमायोजित व्यवहार के मुख्य लक्षण क्या हैं?

3. उन व्यवहारों के प्रकारों का पता लगाना जो कुसमायोजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।

असामान्य मनोविज्ञान की वर्तमान स्थिति
(Present Position Abnormal Psychology)

वर्तमान समय में इस विज्ञान के अध्ययन में जो विशिष्ट प्रवृत्तियाँ सम्मिलित हुयीं हैं, वे निम्नलिखित हैं-

1. मानसिक रोगों का परम्परागत वर्गीकरण बहुत ही कठोर रहा है, परन्तु आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान में मानसिक रोगों का वर्गीकरण विस्तृत हो गया है।

2. मानसिक रोगों के अध्ययन में आनुभविक तथा प्रयोगात्मक पद्धति पर अधिक बल दिया जाने लगा है।

3. मानसिक रोगों के मनोगत्यात्मक कारणों के अतिरिक्त सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों को समुचित महत्व दिया जाने लगा है।

4. मानसिक रोगों के निदान में मनोवैज्ञानिक पक्षों के अतिरिक्त शारीरिक लक्षणों की विस्तृत व्याख्या की जाने लगी है।

5. सामान्य मापदण्ड से व्यवहार के विचलन का अध्ययन करने के लिए मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का व्यापक प्रयोग किया जाने लगा है।

6. मानसिक रोगों के उपचार हेतु किसी एक विशेष पद्धति पर बल न देकर, विभिन्न प्रकार के रोगियों के लिए विभिन्न प्रकार की उपचार पद्धति विकसित की जाने लगी है।

असामान्य मनोविज्ञान का महत्वे
(Importance of Abnormal Psychology)

प्राचीनकाल से ही मानव जीवन सरल नहीं रहा है। आधुनिक समय में सन्तोषपूर्ण मानव जीवन और भी कठिन हो गया है। मानव जीवन की आवश्यकताओं में वृद्धि के साथ-साथ मानसिक बीमारियों में भी वृद्धि हुयी है। आधुनिक युग में मानव जीवन कितनी अधिक समस्याओं से ग्रसित है, इसका संकेत कई स्रोतों से प्राप्त है। आज नींद की गोलियों की बिक्री बढ़ गई है। .. मदिरापान, नींद लाने वाली गोलियों (Tranquilizers) की बिक्री बढ़ी हैं। अपराध, आत्महत्या की दरें भी बढ़ी हैं। व्यक्ति को प्रतिक्षण चिन्ता, तनाव तथा प्रतिबल का सामना करना पड़ रहा है। आज उसमें कुसमायोजन की मात्रा बढ़ी है।

आधुनिक समय में असामान्य मनोविज्ञान का महत्व निम्नलिखित क्षेत्र में सर्वाधिक है-

1. व्यक्तिगत समस्याओं के क्षेत्र में (In the Field of Personal Problems).- असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन के द्वारा व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करना सीख लेता है। जिससे वह समस्याओं के उपस्थित होने पर परेशान नहीं होता है, बल्कि समस्याओं का समाधान खोजकर समस्या पर विजय प्राप्त कर लेता है।

2. दूसरों को समझने के क्षेत्र में (In the Field of Understanding Others) - असामान्य मनोविज्ञान में विभिन्न प्रकार के असामान्य व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है जो दूसरों को समझने में सहायक होता है।

3. उपचार के क्षेत्र में (In the Field of Treatment) - असामान्य मनोविज्ञान का अध्ययन कर के विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों से बचाव ही नहीं बल्कि मानसिक रोगों से ग्रस्त व्यक्ति का उपचार भी किया जाता है।

4. मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में (In the Field of Mental Health) - असामान्य मनोविज्ञान में मानसिक अस्वस्थता के लक्षण, कारण तथा उपचार का अध्ययन किया जाता है। अतः यह विज्ञान व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने में सहायता करता है।

5. अपराध की रोकथाम के क्षेत्र में (In the Field of Crime Prevention) - असामान्य मनोविज्ञान का ज्ञान अपराधियों के अपराधी बनने के कारणों को समझने और अपराधियों को सुधार करके अपराध को कम करने में सहायक होता है।

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