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बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मानसिक रूप से मन्दित बच्चों के उपचार, रोकथाम तथा पुनर्वास के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम तैयार कीजिए।
अथवा
बौद्धिक अक्षमता से ग्रसित बच्चों के उपचार एवं रोकथाम हेतु अपने सुझाव प्रस्तुत कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. आप मानसिक मन्दित बच्चों के रोकथाम के लिए क्या करेंगी?
2. बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों के पुनर्वास करने की प्रमुख विधियों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर-
मानसिक दुर्बलता एक ऐसी विकृति है जिसका पूर्णरूपेण उपचार संभव नहीं है, फिर भी मनोवैज्ञानिकों ने इसके उपचार संबंधी कुछ आधुनिक तरीकों का अविष्कार किया है जो निम्नांकित हैं-
1. रोगहर चिकित्सीय प्रविधियाँ - इन प्रविधियों में उन उपायों को रखा जाता है जिनके उपयोग से मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्तियों की बुद्धि स्तर को तो ऊँचा नहीं किया जा सकता है परन्तु निश्चित रूप से इस लायक बनाया जा सकता है कि वे कुछ अंशों तक आत्म-निर्भर होकर कम-से-कम साधारण कार्यों को बिना किसी देख-रेख के कर सकें।
(i) माता-पिता की शिक्षा - सर्वप्रथम माता-पिता को यह स्वीकार करना होगा कि उनके बच्चे मानसिक रूप से कमजोर या दुर्बल हैं, जिनकी उचित देख-रेख एवं सहायता आवश्यक है।
(ii) स्कूल प्रशिक्षण - साधारण मानसिक दुर्बलता के बच्चों को विशेष स्कूल भेजकर इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे अपनी कामचलाऊ ढंग से जरूरतों को पूरा कर सकें और कुछ व्यावसायिक कौशल विकसित कर सकें।
(iii) घरेलू प्रशिक्षण - घरेलू प्रशिक्षण में विशेषकर माता-पिता का स्नेह, भाई एवं बहनों का ऐसे बच्चों के प्रति उचित एवं अनुकूल मनोवृत्ति तथा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा ऐसे बच्चों को परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य माना जाना अधिक महत्वपूर्ण है।
(iv) वातावरण में सुधार - ऐसे बच्चों में से अधिकतर बच्चों ऐसे परिवारिक वातावरण से आते हैं जिनमें वंचन तीव्र होती है। अतः यदि इनके वातावरण को इस ढंग से उन्नत बना दिया जाता है कि उनका घरेलू वातावरण बौद्धिक रूप से उत्तेजक हो, तो उनकी मानसिकु दुर्बलता बहुत हद तक कम हो सकती है।
(v) मेडिकल उपचार - मेडिकल उपचार में विशेषकर हारमोन्स चिकित्सा का विशेष महत्व बतलाया गया है। जैसे हाइपोथायराडिस्म या क्रेटिनिज्म की चिकित्सा थाइरॉक्सीन की सूई देकर या टिकिया खिलाकर आसानी से किया जा सकता है।
(vi) संस्थाकरण - गंभीर रूप से मानसिक दुर्बलता से ग्रसित बच्चों को किसी ऐसे संस्था में रखकर उपचार किया जाना चाहिए जहाँ उसके उपचार के लिए विशेष प्रबन्ध हो। ऐसी संस्थाओं में शिक्षित करके उनमें पर्याप्त सामाजिक एवं व्यावसायिक कौशल आसानी से विकसित किया जा सकता है।
(vii) प्रयुक्त व्यवहार विश्लेषण - यह प्रविधि क्रियाप्रसूत अधिगम के नियमों पर आधारित है और इसका उपयोग साधारण तथा गंभीर दोनों तरह के मानसिक रूप से दुर्बल बच्चों के उपचार में किया जाता है। प्रयुक्त व्यवहार विश्लेषण की प्रविधि में एक विशेष क्रियाप्रसूत शिक्षण प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। जिसमें जटिल कौशलों को कई छोटी-छोटी इकाइयों में बाँट दिया जाता है।
2. रोकथाम संबंधी उपाय - इस प्रविधि में उन उपायों को रखा जाता है जिनके सहारे मानसिक दुर्बलता को फैलने से रोका जा सकता है। ऐसे उपायों में प्रमुख निम्नांकित हैं-
(i) बन्ध्याकरण - मानसिक दुर्बलता से ग्रसित पुरुष या महिला का बन्ध्याकरण कर दिया जाए ताकि उनके कोई सन्तान पैदा न हो सके। ऐसी परिस्थिति में मानसिक दुर्बलता का शिकार अगली पीढ़ी नहीं हो पायेगी।
(ii) गर्भपात - यदि कोई मानसिक रूप से दुर्बल महिला गर्भवती हो जाती है तो उसका गर्भपात करा देना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्त्रियों के बच्चों को भी मानसिक रूप से दुर्बल होने की 95% सम्भावना होती है।
(iii) शादी पर रोक - सरकार को चाहिए मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति विशेषकर गंभीर रूप से प्रभावित व्यक्ति की शादी करने पर रोक लगा दें तथा कानून बनाकर उसका सख्ती से पालन करना चाहिए।
(iv) पूर्व प्रसूति पहचान एवं रोकथाम - भावी माता-पिता यदि अपने होने वाले संतानों में उत्पन्न किसी जननिक विकृति के बारे में जानना चाहते हैं, तो वे इसका लाभ जननिक सलाह से उठा सकते हैं। साथ ही साथ गर्भवती महिलाओं को कुपोषण, बीमारी, लम्बित सांवेगिक तनाव से बचना सम्मिलित है। ऐसी माताओं को एल्कोहल से दूर रहने की भी सलाह दी जाती है।
(v) उत्तर प्रसूति पहचान एवं आरम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा - जन्म के बाद ऐसे बच्चों में जिनमें मानसिक दुर्बलता का कारण चयापचयी न्यूनता होती है, को बहुत हद तक आरम्भिक अवस्था में ही पहचान कर सुधार किया जा सकता है।
जिगलग एवं होडाप्प (1986) ने अध्ययन के आधार पर स्पष्ट किया कि PKU जैसी मानसिक दुर्बलता को बाल्यावस्था में भोजन में आवश्यक परिमार्जन करके कम किया जा सकता है या रोका जा सकता है।
निम्न बुद्धि वाले बच्चे, जिनमें साधारण मानसिक दुर्बलता होती है, की पहचान करके उन्हें नर्सरी या प्राक्स्कूल कार्यक्रम के माध्यम से भी प्रशिक्षित करके उनके मानसिक दुर्बलता को कम करने का प्रयास किया गया है।
स्पष्ट है कि मानसिक दुर्बलता के उपचार एवं उसके रोकने की अनेक प्रविधियाँ हैं। उपचार एवं रोकथाम की प्रविधियों को एक साथ मिलाकर मानसिक दुर्बलता पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
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