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बीए सेमेस्टर-4 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2742
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 9
स्वतन्त्रता के पश्चात रियासतों का विलय
एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका
(Mergers of Princely States after Independence
and Role of Sardar Vallabh Bhai Patel)

भारतीय रियासतों के अस्तित्व में आने के मुख्य कारण वही थे जिनके कारण ईस्ट इण्डिया कम्पनी शक्तिशाली बनी । बहुत सी भारतीय रियासतें, स्वायत्तता प्राप्त अथवा अर्धस्वायत्तता प्राप्त इकाइयों के रूप में उत्तर मुगल काल में बनीं। कम्पनी ने भी इन्हीं शासकों की दुर्बलता से लाभ उठाया। कई रियासतों जैसे हैदराबाद, अवध और राजपूत रियासतें, कम्पनी ने विलय नहीं कीं अपितु उन्होंने केवल कम्पनी की प्रभुसत्ता स्वीकार कर ली। इनमें कई रियासतें ऐसी थीं जिन्होंने कई शताब्दियों तक मुगल साम्राज्य का विरोध किया और कालान्तर में मराठों का। उनकी अंग्रेजों ने हस्तक्षेप करके रक्षा की। कुछ रियासतें ऐसी थीं जो मराठा संघ परास्त करने के समय बनाई गईं।

राष्ट्रीय अस्थायी सरकार (National Provisional Government) में सरदार पटेल रियासती विभाग के कार्यवाहक थे। उन्होंने भारतीय रियासतों की देशभक्ति को ललकारा और उनसे अनुरोध किया कि वे भारतीय संघ में अपनी रक्षा, विदेशी मामले और संचार अवस्था को भारत अधीनस्थ बनाकर, सम्मिलित हो जायें। 15 अगस्त, 1947 तक 136 क्षेत्राधिकारी (jurisdictional) रियासतें भारत में सम्मिलित हो गई थीं। कश्मीर ने विलय पत्रों (Instrument of Accession) पर 26 अक्टूबर, 1947 को जूनगढ़ और हैदराबाद ने 1948 में हस्ताक्षर कर दिये।

बहुत सी छोटी-छोटी रियासतें जो एक अलग इकाई के रूप में आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था में नहीं रह सकती थीं, संलग्न प्रान्तों में विलय कर दी गईं। जैसे उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की 39 रियासतें उड़ीसा अथवा मध्य प्रान्त में विलय कर दी गईं और गुजरात की रियासतें बम्बई प्रान्त में। इन रियासतों के विलय का एक अन्य रूप ऐसी इकाइयों के रूप में गठन करना था जो केन्द्र द्वारा प्रशासित की जायें। इस श्रेणी में हिमाचल प्रदेश, विन्ध्य प्रदेश, त्रिपुरा, मणिपुर, भोपाल, विलासपुर और कच्छ की सियासतें थीं। एक अन्य प्रकार का विलय, राज्य संघों का गठित करना था। इस प्रकार काठियावाड़ की संयुक्त रियासतें, मत्स्य प्रदेश की संयुक्त रियासतें, विन्ध्य प्रदेश और मध्य भारत के संघ, पटियाला और पूर्वी पंजाब रियासती संघ (PEPSU), राजस्थान, ट्रावनकोर और कोचीन की संयुक्त रियासतें अस्तित्व में आयीं।

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