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बीए सेमेस्टर-4 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2742
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

जॉर्ज नथानिएल कर्जन (11 जनवरी, 1859-20 मार्च, 1925) का जन्म केडलस्टन हॉल (Kedleston Hall) में हुआ, जो इंग्लैंड के एक ब्रिटिश राजनेता और विदेश सचिव थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ब्रिटिश नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लॉर्ड कर्ज़न ने लॉर्ड एल्गिन के कार्यकाल के उपरान्त पदभार ग्रहण किया तथा कर्ज़न वर्ष 1899 से 1905 तक ब्रिटिश भारत के वायसराय रहे।

वह 39 वर्ष की आयु में भारत के सबसे कम उम्र के वायसराय बने ।

कर्ज़न वायसराय पद के सर्वाधिक विवादास्पद और परिणामी धारकों में से एक थे।

गवर्नर जनरल और वायसराय के रूप में पदभार ग्रहण करने से पूर्व कर्ज़न ने भारत (चार बार) सीलोन, अफगानिस्तान, चीन, पर्शिया, तुर्किस्तान, जापान और कोरिया का दौरा किया था।

लॉर्ड कर्ज़न के अतिरिक्त भारत के किसी अन्य गवर्नर जनरल के पास पूर्वी देशों के बारे में इतना विस्तृत अनुभव और विचार नहीं था।

लॉर्ड कर्ज़न एक निरंकुश शासक या कट्टर नस्लवादी थे और यह भारत में ब्रिटेन के "सभ्यता मिशन" के प्रति आश्वस्त थे।

उन्होंने भारतीयों को "चरित्र, ईमानदारी और क्षमता में असाधारण हीनता या कमी के रूप में वर्णित किया।

लॉर्ड कर्ज़न के शासनकाल की सर्वाधिक अप्रिय घटना बंगाल का विभाजन था ।

तत्कालीन बंगाल प्रान्त में बंगाल, बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे।

इसका क्षेत्रफल 189,000 वर्ग मील था।

यहाँ लगभग 8 करोड़ जनसंख्या निवास करती थी।

लॉर्ड कर्ज़न ने पुर्नसंरचना के नाम पर अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बंगाल का विभाजन कर दिया।

विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल और असम को मिलाकर एक नया प्रान्त बनाया गया। जिसमें राजशाही, चटगांव और ढका के तीन डिवीजन सम्मिलित थे।

दूसरी ओर एक अन्य प्रान्त पश्चिमी बंगाल, जिसमें बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे, अस्तित्व में आया।

पूर्वी बंगाल का मुख्य कार्यालय ढका में था और यह एक लेफ्टिनेंट के अधीन था।

इसमें एक करोड़ अस्सी लाख मुसलमान और एक करोड़ बीस लाख हिन्दू निवास करते थे।

पश्चिमी बंगाल में चार करोड़ बीस लाख हिन्दू और मात्र 90 लाख मुसलमान निवास करते थे।

शीघ्र ही कर्ज़न की यह राजनीतिक चाल जगजाहिर हो गई कि बंगाल का विभाजन हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।

लॉर्ड कर्ज़न के इस कार्य का तीव्र विरोध हुआ।

1911 में यह विभाजन रद्द कर दिया गया।

लॉर्ड कर्ज़न एक सामाज्यवादी गवर्नर जनरल था।

उसकी विदेश नीतियाँ केवल इस भावना से प्रेरित थी कि भारत में अंग्रेजों की स्थिति को अधिकाधिक सुदृढ़ बनाया जाए।

वह रूस, जर्मनी और फ्रांस के फार की खाड़ी में बढ़ते हुए प्रसार को रोकने में सफल रहा।

वह शिक्षा पर अत्यधिक सरकारी नियन्त्रण का पक्षपाती थी।

उसने सिंचाई, भूमिकर, कृषि, रेलवे, राजस्व और मुद्रा टंकण सम्बन्धी आर्थिक नीतियों में दक्षता पर अधिक तथा जनता की दयनीय स्थिति को सुधारने पर कम बल दिया।

उसके साम्राज्यवादी उद्देश्यों से भारत में राजनीतिक अशान्ति बढ़ी।

अगस्त, 1905 में उसने त्यागपत्र दे दिया।

 

लॉर्ड कर्जन, 1899 1905 (Lord Curzon)

1899 में लॉर्ड एलगिन के उत्तराधिकारी के रूप में लॉर्ड कर्जन को भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया।

लॉर्ड कर्जन के समक्ष प्रमुख चुनौती भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को पूर्णरूपेण सुधारना था।

उसने इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करते हुए भारतीय प्रशासन में निम्नलिखित सुधार किए-

लॉर्ड कर्जन के सुधार

पुलिस सुधार (Police Reforms)

लॉर्ड कर्जन ने 1902 में सर एण्ड्रयूफ्रेजर की अध्यक्षता में प्रत्येक प्रान्त के पुलिस प्रशासन की जाँच पड़ताल हेतु एक आयोग गठित किया।

1903 में आयोग द्वारा प्रस्तुत सुझावों में सभी स्तरों के कर्मिकों के वेतन में वृद्धि, कार्मिकों की संख्या में वृद्धि, सिपाहियों तथा पदाधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु पुलिस विद्यालयों की स्थापना करना, ऊँचे पदों के लिए सीधी भर्ती, प्रान्तीय पुलिस सेवा की स्थापना और एक निदेशक के अधीन केन्द्रीय गुप्तचर विभाग की स्थापना इत्यादि सुझाव सम्मिलित थे।

इन सुझावों में से अधिकतर को स्वीकार कर लिया गया।

शैक्षणिक सुधार (Educational Reforms)

1902 में लॉर्ड कर्जन ने भारतीय विश्वविद्यालयों की स्थिति का निरीक्षण करने और उनकी कार्यक्षमता में सुधार हेतु सुझाव देने के लिए एक आयोग की नियुक्ति की।

आयोग के सुझावों के आधार पर 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया।

इस अधिनियम के द्वारा विश्वविद्यालयों पर सरकारी नियन्त्रण बढ़ा दिया गया।

इस अधिनियम के बाद गैर सरकारी कॉलेजों का विश्वविद्यालयों से सम्बन्धित होना अधिक कठिन हो गया।

वित्तीय सुधार (Financial Reforms)

1899-1900 की अवधि में दक्षिणी, मध्य और पश्चिमी भारत में दुर्भिक्ष और सूखे के कारण कर्जन ने इस स्थिति से निपटने के लिए राहत कार्य किए गए।

राहत कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए सर एण्टनी मैकडौनल की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया।

1901 में भारतीय सिंचाई व्यवस्था के अध्ययन हेतु सर कॉलिन स्कॉट मॉन क्रीफ की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया।

आयोग ने साढ़े चार करोड़ रूपये आगामी 20 वर्षों में सिंचाई व्यवस्था पर व्यय किए जाने का सुझाव दिया।

आयोग की सिफारिशों के मजद्देनजर झेलम नहर का कार्य पूरा किया गया तथा अपर चिनाब, अपर झेलम और लोअर बारी दोआब नहरों पर निर्माण कार्य शुरू किया गया। इसके अलावा 1900 में पंजाब भूमि अन्याक्रमण अधिनियम (Punjab Land Alienation Act) पारित किया गया।

इसके द्वारा कृषकों की भूमि का गैर-कृषकों के पास हस्तान्तरिक होना समाप्त हो गया। 1904 में सहकारी समिति अधिनियम (Cooperative Credit Societies Act) पारित किया गया।

इसके द्वारा कृषकों को कम दर पर ऋण मिलना सुलभ हो गया।

भारत के औद्योगिक और वाणिज्यिक हितों की देख-रेख के लिए एक नए विभाग का गठन किया गया।

इस विभाग को डाक-तार कारखानों, रेलवे प्रशासन, खानों तथा बन्दरगाहों की देख-रेख का अतिरिक्त कार्य भार भी सौंपा गया।

1899 में भारतीय टंकण तथा पत्र मुद्रा अधिनियम (Indian Coinage and Paper Currency Act) पारित किया गया।

इस अधिनियम के द्वारा अंग्रेजी पौण्ड भारत में विधिमान्य मुद्रा बन गई।

इसका मूल्य 15 रुपये निश्चित हुआ।

न्यायिक सुधार (Judicial Reforms)

लॉर्ड कर्जन के कलकत्ता उच्च न्यायालय की कार्यकुशलता में वृद्धि के लिए उसके न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि कर दी।

उसने उच्च न्यायालयों के और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन और पेंशन में भी वृद्धि की।

सैनिक सुधार (Military Reforms)

लॉर्ड कर्जन ने भारतीय सेना को दो कमानों में बांट दिया-

1. उत्तरी कमान, इसका मुख्य कार्यालय मरी में और प्रहार केन्द्र (Striking point) पेशावर में था।

2. दक्षिणी कमान, इसका मुख्य कार्यालय पूना में प्रहार केन्द्र क्वेटा में था।

3. इन दोनों कमानों में तीन-तीन ब्रिगेडियर होते थे।

4. इन ब्रिगेडियरों में दो-दो स्थानीय और एक-एक अंग्रेजी बटालियनों का था।

5. सैनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु इंग्लैण्ड के केम्बरले कॉलेज (Camberley College) की तर्ज पर एक कॉलेज क्वेटा में स्थापित किया गया।

कलकत्ता निगम अधिनियम, 1899 (Calcutta Corporation Act, 1899)

इस अधिनियम के द्वारा स्थानीय स्वशासन के क्षेत्र में लॉर्ड रिपन द्वारा किए गए समस्त उत्तम कार्यों को लॉर्ड कर्जन ने कार्यकुशलता की आड़ में समाप्त कर दिया।

इस अधिनियम के अनुसार, निगम में चुने हुए सदस्यों की संख्या कम कर दी।

निगम और उसकी अन्य समितियों में अंग्रेजों की संख्या बढ़ा दी गई।

इस प्रकार निगम एक आंग्ल-भारतीय सभा के रूप में परिवर्तित हो गया।

प्राचीन स्मारक परिरक्षण अधिनियम, 1904 (Ancient Monuments Act, 1904)

लॉर्ड कर्जन ने भारत के प्राचीन स्मारकों की मरम्मत, प्रत्यास्थापन एवं रक्षण के लिए 1904 में एक महत्वपूर्ण अधिनियम पारित किया।

उसने भारतीय रियासतों को भी इस प्रकार के महत्त्वपूर्ण अधिनियम पारित करने के लिए बाध्य किया।

बंगाल प्रान्त का क्षेत्रफल 489,500 वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या 8 करोड़ से ज्यादा थी।

1854 में गवर्नर जनरल-इन-काउंसिल को बंगाल के प्रत्यक्ष प्रशासन से मुक्त कर दिया गया।

1874 में आसाम को सिलहट सहित, बंगाल से अलग कर दिया गया और बाद में 1898 में लुशाई हिल्स को भी इसमें शामिल कर दिया गया।

1905 में 16 अक्टूबर को भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन किया गया।

प्रबल सार्वजनिक विरोध के बावजूद 20 जुलाई 1905 को बंगभंग के प्रस्ताव पर भारत सचिव का ठप्पा लग गया।

बंगभंग का उद्देश्य प्रशासन की सुविधा उत्पन्न करना नहीं था, जैसा दावा किया गया था, बल्कि इसके दो स्पष्ट उद्देश्य थे, एक हिंदू-मुसलमान को लड़ाना और दूसरे नवजाग्रत बंगाल को चोट पहुंचाना।

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