बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 हिन्दी बीए सेमेस्टर-4 हिन्दीसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-4 हिन्दी - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
पारिभाषिक शब्दावली
अध्याय का संक्षिप्त परिचय
ज्ञान की किसी विशेष शाखा से सम्बन्ध रखने वाली विशिष्ट शब्दावली पारिभाषिक शब्दावली कहलाती है। इस प्रकार की शब्दावली का व्यवहार दैनिक जीवन से लेकर विज्ञान, तकनीकी तथा प्रशासन और वाणिज्य व्यापार तथा कामकाज के सभी क्षेत्रों में होता है। विद्वानों द्वारा 'पारिभाषिक शब्द' को अनेक प्रकार से परिभाषित किया गया है-
डॉ. रघुवीर के अनुसार - 'पारिभाषिक शब्द उसे कहते हैं, जिससे परिभाषा की गई हो, जिसकी सीमाएँ बाँध दी गई हों ।"
डॉ. गोपाल शर्मा के अनुसार - “पारिभाषिक शब्द वह है जो किसी ज्ञान-विशेष के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त हो तथा जिसका अर्थ एक परिभाषा द्वारा स्थिर किया गया हो ।”
डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार - “पारिभाषिक शब्द ऐसे शब्दों को कहते हैं जो रसायन, भौतिक, दर्शन, राजनीति आदि विभिन्न विज्ञानों या शास्त्रों के शब्द होते हैं तथा जो अपने-अपने क्षेत्र में विशिष्ट अर्थ में सुनिश्चित रूप से परिभाषित होते हैं । अर्थ और प्रयोग के निश्चित रूप में परिभाषित होने के कारण ही ये शब्द पारिभाषिक शब्द कहे जाते हैं। "
चैम्बर्स टेक्नीकल डिक्शनरी में पारिभाषिक शब्द का अर्थ करते हुए कहा गया है - " पारिभाषिक शब्दावली वस्तुतः विशेषज्ञों एवं तकनीक विदों के अपने विशेष विचारों को लिपिबद्ध करने के लिए ग्रहण, अनुकूलन तथा निर्माण के द्वारा तैयार किये जाने वाले प्रतीक हैं।"
डॉ. बापू देसाई कहते हैं - “ज्ञान-विज्ञान तथा कला - कारीगरी और प्रशासन के व्यवहार में प्रयुक्त किए जाने वाले विशिष्टार्थ द्योतक शब्दों को पारिभाषिक शब्द कहते हैं।"
उपर्युक्त तथा पारिभाषिक शब्दावली के संदर्भ में अन्य अनेक विद्वानों द्वारा व्यक्त विचारों को ध्यान में रखते हुए पारिभाषिक शब्दावली की निम्नलिखित विशेषताएँ निश्चित की जा सकती हैं-
कृत्रिम शब्द - पारिभाषिक शब्द उस अर्थ में कृत्रिम होते हैं कि उनका निर्माण विषय-विशेष के विशेषज्ञों द्वारा सीमित और विशिष्ट अर्थ के लिए किया जाता है, वे सहज भाषा - विकास के अंग नहीं होते और न ही उनमें वह लचीलापन होता। इनका निर्माण आवश्यकता के अनुरूप एक विशेष प्रक्रिया के अधीन होता है।
विशिष्ट और निश्चित अर्थ - पारिभाषिक शब्दों के अर्थ की एक सुनिश्चित सीमाबद्ध विशिष्ट अर्थ- परिधि होती है, इसके अलावा वे समानार्थक आदि के रूप में प्रयोग नहीं किए जा सकते, उनके स्थान पर किसी अन्य समानार्थक या पर्याय का प्रयोग भी असह्य होता है ।
एक क्षेत्र : एक संकल्पना - पारिभाषिक शब्द ज्ञान-विज्ञान - शास्त्र या कला विशेष की किसी शाखा - विशेष से सम्बन्धित होते हैं और एक संकल्पना के लिए कोई एक ही शब्द नियत होता है। ऐसे शब्दों का प्रयोग उस क्षेत्र विशेष को छोड़कर दैनिक व्यवहार की भाषा में नहीं होता।
एकरूपता - पारिभाषिक शब्दों में एकरूपता होती है एवं भाषा में उनका एक ही रूप सर्वत्र सर्वमान्य होता है और उसी का प्रयोग होता है।
संक्षिप्तता और सरलता - पारिभाषिक शब्दों के निर्धारण में संक्षिप्तता और सरलता का भी ध्यान रखा जाता है जिससे उनके उच्चारण और बार-बार प्रयोग में असुविधा न हो और उन्हें याद रखना भी सरल हो ।
उर्वरता - पारिभाषिक शब्दों में उर्वरता का गुण रहना चाहिए अर्थात् आवश्यकता पड़ने पर उनमें उपसर्ग अथवा प्रत्यय आदि जोड़कर अन्य सम्बद्ध शब्द भी बनाए जा सके, क्योंकि इस प्रकार की जो शब्दावली बनाई जाती है, वह वर्तमान पीड़ी के लिए ही नहीं, बल्कि अगली पीढ़ी के लिए भी होती है।
पारिभाषिक शब्दों के निर्माण में इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि असमान संकल्पनाओं के लिए मिलते-जुलते शब्द बिल्कुल न हों, अन्यथा एक में दूसरे के भ्रम की आशंका होती है।
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
सभी भाषाओं में एक अन्य प्रकार के पारिभाषिक शब्द भी मिलते हैं।
प्रत्येक समाज की अपनी ही एक संस्कृति होती है। भाषा के प्रतीकों और सांकेतिक चिह्नों से वही अर्थ प्रतिबिम्बित होते हैं, जो उसे समाज से प्राप्त होते हैं।
“सिंदूर”, हिन्दू समाज में कोई रंगीन चूर्ण या पाउडर मात्र नहीं है। यह किसी भी विवाहिता स्त्री के लगाने और उसके सौभाग्यवती होने का प्रतीक है। किसी भी नारी के माथे से ऊपर की ओर लगाए गए सिंदूर को मात्र साज-सज्जा का अंग नहीं माना जा सकता और न ही किसी के माथे से पोंछ दिए गए सिंदूर के निशान को ही साज-सज्जा के अंतर्गत एक गतिविधि माना जा सकता है। सिंदूर का पोंछा जाना पति की मृत्यु को दर्शाता है। सामान्यतः अनुवाद में इस प्रकार की संकल्पनाओं से सम्बद्ध कठिनाइयों को सांस्कृतिक शब्दों की कठिनाई कहा जा सकता है। हम इन कठिनाइयों का समाधान कैसे खोज सकते हैं?
मूल शब्द को यथावत ग्रहण करते हुए इस प्रकार की समस्याओं का निदान किया जा सकता है। जैसे अंग्रेजी में हम भारतीय संस्कृति एवं दर्शन के 'आत्मा' और 'मोक्ष' आदि शब्दों का प्रयोग यथावत् कर सकते हैं या इन शब्दों के लिए कोई नया पारिभाषिक शब्द बना सकते हैं? या हम इस प्रकार के शब्दों के लिए कोई निकटतम समतुल्य शब्द प्रयुक्त कर सकते हैं? जैसे - "सिंदूर" के लिए vermillion, 'जनेऊ' अथवा 'यज्ञोपवीत' के लिए the sacred thread, 'अक्षत' के लिए 'the auspicious turmeric coloured rice' । इन हिन्दी शब्द को 'पाद-टिप्पणी' (foot note) में व्याख्यायित किया जा सकता है।
दरअसल पारिभाषिक शब्द अपने आप में एक ऐसा शब्द है, जिसकी परिभाषा अथव व्याख्या प्रस्तुत करना अपेक्षित है। क्या 'Head' (सिर) शब्द पारिभाषिक शब्द है? हालाँकि यह एक सामान्य प्रयोग का शब्द है परन्तु फिर भी यह एक पारिभाषिक शब्द है । यह शरी के एक अंग का परिचायक शब्द है; इसलिए इसे शरीर रचना विज्ञान से सम्बद्ध कहा जा सकता है। परन्तु अन्य सभी मुहावरे जो इस शब्द से सम्बद्ध हैं, जैसे- “ सिर चकराना, “सिर फिर जाना', आदि शरीर रचना विज्ञान के मूल शब्द "सिर" से भिन्न हैं।
सभी शब्द ज्ञान के किसी विशिष्ट क्षेत्र में आकर अपना एक खास पारिभाषिक अर्थ रखते हैं। कई बार एक ही शब्द भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त होने के कारण अलग-अलग अर्थ में भी प्रयोग किया जाता है; जैसे-
इंजीनियरिंग में - Plant (संयंत्र) शब्द 'ऊर्जा संयंत्र' का सूचक है,
उद्यान-विज्ञान - Plant (पादप) एक ऐसे अंकुर का सूचक है, जो बीज से फूटता है।
शब्दों का अलग-अलग अर्थों में किया गया प्रयोग वक्ता अथवा लेखक की सृजनात्मकता को बताता है। श्रोता अथवा पाठक इस प्रकार के शब्दों का अर्थ जानकर अनायास ही मुग्ध हो जाता है, परन्तु क्या हम इसी प्रकार से वैज्ञानिक या कानूनी सामग्री के शब्दों में भी कह सकते हैं?
विज्ञान विषयों में शब्द जो कुछ बतलाता है उसका अर्थ वही होना चाहिए और उसमें अनेकार्थकता और श्लेष आदि भी नहीं होना चाहिए।
बोलचाल की भाषा में और साहित्यिक भाषा में संदर्भ के आधार पर शब्दों के पूरे अर्थ और भाव निकलते हैं, परन्तु भौतिकी में 'ऊर्जा' शब्द अथवा बल की मात्रा होती है। कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में मर जाता है तो हम यह नहीं कह सकते कि उस व्यक्ति की हत्या हुई है। हत्या में पहले इरादा (मंशा) प्रमुख होता है। और अंतिम परिणाम हत्या की कार्रवाई होती है। इस प्रकार के संदर्भों का उल्लेख सही और सुस्पष्ट ढंग से करना होता है।
ज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र के पारिभाशिक शब्द विशिष्ट और सुस्पष्ट ढंग से अर्थ के संदर्भ में परिभाषित करने का दायित्व लेते हैं ताकि शब्द जो कुछ व्यक्त करें वह वक्ता और श्रोता ( अथवा लेखक और पाठक) दोनों को स्पष्ट भी हो।
रसायन विज्ञान, भौतिकी, दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान आदि जैसे ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट शब्द, पारिभाषिक (तकनीकी) शब्द कहलाते हैं।
किसी शब्द के अर्थ को सम्बन्धित ज्ञान के क्षेत्र में विशेष संदर्भ में सही और स्पष्ट तरीके से परिभाषित करना चाहिए। प्रत्येक शब्द का केवल एक विशिष्ट अर्थ होना चाहिए ताकि अर्थ सम्प्रेषित करने वाले शब्द में द्वयर्थकता न हो।
पारिभाषिक शब्द अर्थपरक (भावपरक) अथवा वैचारिक शब्द (conceptual word) होते हैं अर्थात् वे उपर्युक्त संदर्भ में किसी शब्द का अर्थ परिभाषित करते हैं ताकि शब्द की संकल्पना मस्तिष्क में बन जाए। उदाहरण के लिए? लाक्षणिक अर्थ पर विचार कीजिए। किसी शब्द का लाक्षणिक अर्थ-
(i) अपनी कुछ विशेषताओं के कारण शब्द के मूल अर्थ में जुड़ा होता है।
(ii) शब्द के मूल अर्थ से हटकर (अलग) होता है।
(iii) सर्वमान्य ( arbitrary) होता है। अर्थात् समाज द्वारा उसे स्वीकृति मिली होती है; जैसे- 'Donkey' शब्द मूर्ख प्राणियों का प्रतीक है। 'Donkey' शब्द का बिल्कुल अलग अर्थ क्योंकि मनुष्य जानवर नहीं हो सकता ।
इसी प्रकार, सर्वमान्यता का नियम 'cow' (गाय) शब्द पर भी लागू होता है। हिन्दी भाषा में यह शब्द 'औरत' के लिए भी प्रयोग होता है और यह शब्द प्रशंसासूचक शब्द है।
इसका अर्थ है अच्छे व्यवहार वाली शांत स्वभाव की शरीफ लड़की। अंग्रेजी भाषा में भी यह शब्द 'औरत' के लिए प्रयोग होता है परन्तु इस भाषा में यह अपमान सूचक शब्द है। इसका अर्थ है फूहड़ और गंवार अर्थात् वह महिला जो अच्छी न हो। तकनीकी शब्दों (पारिभाषिक शब्दों) का परिभाषापरक स्वरूप वास्तव में अपने प्रयोग के संदर्भ को इस प्रकार सीमित करता है कि कोई भी व्यक्ति इसके वास्तविक अर्थ को सरलतापूर्वक समझ सकता है।
वास्तव में पारिभाषिक शब्द का स्वरूप पारिभाषापरक होता है और जिस विषय में यह प्रयोग होता है उसमें इसका केवल एक अर्थ होता है। इसलिए पारिभाषित शब्द 'head' सामान्य शब्द 'head' से अलग है।
संबंधित भावों को संबंधित शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए।
पारिभाषिक शब्द को भाव- शब्द (concept word ) के रूप में उसके उपयुक्त संदर्भ में समझना पड़ता है। सामान्य व्यक्ति उसका अर्थ तब तक नहीं निकाल पाता, जब तक कि उसने विषय को न पढ़ा हो।
यदि किसी व्यक्ति में एक से अधिक पारिभाषिक शब्द हैं तो यह और भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि वाक्य का अर्थ निकालने के लिए सभी शब्दों को भली-भाँति समझना पड़ता है। यही कारण है कि कानूनी भाषा अथवा तर्क की भाषा अथवा समुद्री जीवविज्ञान जैसे विशिष्ट विज्ञान विषयों को समझना कठिन होता है, क्योंकि उस विषय की भाषा की अपनी प्रकृति होती है। फिर भी, भाषा को छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करके सरल बनाया जा सकता है। हमें अनुवाद में भी इसी प्रकार का दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा। हम छोटे-छोटे, आसानी से समझ में आने वाले वाक्यों का प्रयोग कर सकते हैं और पारिभाशिक शब्दों का अर्थ स्पष्ट करके वाक्यों को समझा सकते हैं, परन्तु उन्हें प्रयोग अवश्य करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, जीवविज्ञान के किसी पाठ में हम बीस बार शब्द 'कशेरुक' (vertebrate ) पाते हैं तो हमें उसका अनुवाद पहली बार 'रीढ़ की हड्डी वाले प्राणी' (अर्थात् 'कशेरुक') करते हैं, परन्तु हमें 19 बार पारिभाषिक शब्दों का भी प्रयोग करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि शब्द लगातार प्रयोग के कारण सरल हो जाता है।
हिन्दी में नए, अपरिचित पारिभाषिक शब्द क्यों प्रयोग किये जाने चाहिए। हिन्दुस्तानी मूल परिचित शब्दों का प्रयोग क्यों नहीं किया जाए। इन लोगों को यह कतई मालूम नहीं कि पारिभाषिक शब्द क्या होते हैं। उन्हें शायद यह गलतफहमी होती है कि सभी प्रकार के ज्ञान (जानकारी) को दैनिक प्रयोग में आने वाली भाषा के माध्यम से समझा जा सकता है। बोलचाल की भाषा (Country) (देश), Nation (राष्ट्र) और State (राज्य) में अंतर नहीं करती, परन्तु राजनीति विज्ञान में हम ऐसा करते हैं। इस प्रकार, हमें हिन्दी में तीन एक जैसे शब्दों की आवश्यकता पड़ती है ताकि शब्दों के अर्थ में अंतर किया जा सके। अतः हम उपर्युक्त तीनों शब्दों के लिए क्रमशः 'देश', 'राष्ट्र' और 'राज्य' शब्दों का प्रयोग करते हैं। हमें नए अर्थी (भावों) के लिए नए शब्दों की आवश्यकता पड़ेगी।
सम्बद्ध अर्थों को सूचित करने वाले शब्दों की संरचनात्क समानता हमें अर्थ के लिए एक संकेत देती हैं। उदाहरण के लिए, Spheroid (sphere + oid) का अर्थ है जो गोले (sphere) की तरह दिखाई दे' अर्थात् गोलाभ (गोल + आभ ) । इस शब्द को एक बार याद रख लेने के बाद आपको निम्नलिखित शब्दों को समझाने में बहुत ज्यादा कठिनाई नहीं होगी। जैसे 'मानवाभ' (humanoid) और 'नराम' ( anthropoid)।
मुख्य शब्द से व्युत्पन्न शब्दों द्वारा जुड़े हुए व्यक्त भावों (अर्थों) को समझने में आसानी रहती है। उदाहरण के लिए 'राष्ट्र' शब्द की अवधारणा से हमें निम्नलिखित शब्दों को समझने में सहायता मिलेगी-
राष्ट्रीय | national | राष्ट्रीयता | nationality |
राष्ट्रवाद | nationalism | राष्ट्रवादी | nationalist |
राष्ट्रविरोधी | antinational | राष्ट्रव्यापी | nationwide |
उपर्युक्त उदाहरण 'समाज विरोधी' (antisocial), 'मार्क्सवाद' (Communism), 'समाजवाद' (Socialism), 'समाजवादी (Soicialist), 'विश्वव्यापी' (Worldwide) आदि जैसे शब्दों को समझने में भी हमारी सहायता करेगा।
किसी भाषा में पारिभाषिक शब्दों की जानकारी में गुणोत्तर रूप से वृद्धि होती जाती है अर्थात् हर बार यह जानकारी दुगुनी हो जाती है। अतः हम कह सकते हैं कि यह उक्ति नहीं है कि केवल सीखना ही सीखने को सरल बनाता है।
पारिभाषिक शब्दों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i) पारिभाषिक शब्द उच्चारण करने में सरल होना चाहिए और इसकी संरचना स्पष्ट होनी चाहिए। यदि ग्रहण किए गए शब्द इसमें उपयुक्त नहीं बैठते हैं तो उन्हें छोड़ देना चाहिए।
(ii) ज्ञान के क्षेत्र - विशेष में शब्द का केवल एक ही विशिष्ट अर्थ होना चाहिए।
(iii) इसके अर्थ की स्पष्ट तरीके से परिभाषा दी जानी चाहिए ताकि इसके प्रयोग का संदर्भ स्पष्ट हो जाए।
(iv) संदर्भ की परिभाषा संबंधित अर्थों के लिए अलग-अलग हो सकती है; जैसे speed (गति) और velocity (वेग) अथवा heat (ऊष्मा) और temperature ( तापमान) परन्तु बोलचाल की भाषा में ऐसे शब्द पर्यायवाची शब्द माने जाते हैं।
(v) इस प्रकार ग्रहण किए गए शब्दों में संबंधित अर्थों को व्यक्त करने के लिए और शब्द गढ़ने के लिए परिवर्तन किए जा सकते हैं।
(vi) शब्दों का निर्माण इस प्रकार होना चाहिए कि उसी विषय अथवा भिन्न विषयों के समान शब्दों को समझा जा सके। उदाहरण के लिए, आयुर्विज्ञान में प्रत्यय 'tis' और 'sis' उस रोग को बतलाते हैं, जिसके कारण सूजन / जलन होती है और दर्द होता है। ये रोग हैं arthritis (वात रोग), Menigitis (गर्दन तोड़ बुखार), elephentiasis (हाथी पाँव रोग), और conjectivitis (आंखें दुखनी आने का रोग)।
उपयुक्त पारिभाषिक शब्दावली के प्रयोग के बिना कोई भी विशिष्ट ज्ञान का क्षेत्र विकास नहीं कर सकता। उन शब्दों को या तो अन्य भाषाओं से लिया जा सकता है या शब्दों या प्रत्ययों का प्रयोग करके शब्दों को गढ़ा जा सकता है। हिन्दी में पारिभाषिक शब्द कैसे ग्रहण किए गए हैं/ बनाए गए हैं।
|