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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2740
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 11
संचार
(Communication
)

संचार प्रसार शिक्षा का एक आवश्यक अंग है। प्रसार एक शैक्षणिक प्रक्रिया है जिसमें उपयोगी ज्ञान को लोगों तक संचारित किया जाता है। आदिकाल से मनुष्य विभिन्न मुद्राओं के माध्यम से अनेक भावों को अभिव्यक्त करता आया है। खजुराहो की मूर्तियां इसका जीवन्त उदाहरण हैं।

जीन-पाल फॉर आन्द्रे के अनुसार - “संचार मानव के स्वभाव का अभिन्न भाग है। मनुष्य द्वारा शब्द, संगीत, हाव-भाव इत्यादि रूपों से होने वाली सम्प्रेषण प्रक्रियाएँ संचार का अंग हैं। संचार मानव समुदाय के जीवन की वह धुरी है, जिसके द्वारा मानव के सामाजिक सम्बन्धों का निर्माण एवं विकास होता है। संचार के बिना मानव के सामाजिक जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं।"

संचार को अंग्रेजी भाषा में कम्युनिकेशन (Communication) कहा जाता है। कम्युनिकेशन शब्द लैटिन भाषा के कम्युनिस (Communis) से बना है, जिसका अर्थ है- To make common, to share to import, to transmit. अतः संचार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को पारस्परिकता के आधार पर भावनाओं तथा विचारों का आदान-प्रदान करता है। यह एक दोहरा प्रवाह है जिसमें एक ओर सम्प्रेषक एवं उसका सन्देश होता है तथा दूसरी ओर प्राप्तकर्ता और उसकी अनुक्रिया है। इस प्रकार ज्ञान की बातों, भावनाओं, विचारों तथा सूचनाओं के आपस में आदान-प्रदान की क्रिया को संचार कहते हैं। संचार क्रिया द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विचारों, मनोवृत्तियों तथा सूचना में भाग लेता है। इस प्रकार संचार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों, सूचनाओं, अनुभूतियों और ज्ञान का प्रभावकारी आदान-प्रदान है। इसमें सूचना देने वाले व प्राप्तकर्ता के मध्य एक साझेदारी होती है। संचार में निहित संवाद अर्थपूर्ण होना आवश्यक है। इसमें सूचना देने वाले प्रेषक जिस अर्थ को सम्प्रेषित करते हैं, सूचना ग्रहण करने वाले ग्रहणकर्ता भी उसी अर्थ में यदि ग्रहण कर लेता है, तो वह वास्तविक संचार कहलाता है। अतः संचार का सार्थक होना आवश्यक हैं। इसके अन्तर्गत अनुभवों का आदान-प्रदान किया जाता है। यह आदान-प्रदान की क्रिया प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप में सम्पन्न होती है। सन्देश को सम्प्रेषित किया जाता है। सन्देश में अनुभव, वर्तमान व्यवहार एवं भविष्य की आवश्यकता निहित है। इस प्रकार सम्प्रेषण के द्वारा दो व्यक्तियों में सार्थकता का निर्माण होता है। संचार व्यक्तियों के व्यवहारों को भी प्रभावित करता है।

वर्तमान में प्रसार के क्षेत्र में संचार का जितना महत्व है उतना पहले कभी नहीं रहा। इसका प्रमुख कारण है कि पहले कभी इतने अधिक व्यक्तियों को इतनी अधिक जानकारियों को, इतने कम समय में जानने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। आज प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्ति नई बातों, विचारों, अनुसंधानों की खोज होते ही जान लेना चाहता है। इस प्रकार नई खोज होने तथा ग्रामीण जीवन में पहुँचने की दूरी कम होती जा रही है। वर्तमान समय में जितनी भी मानवीय अन्तः क्रियाएँ हो रही हैं, सब संचार की ही देन है - चाहे वह व्यक्तिगत स्तर पर हों, समूह स्तर पर हों या देश-विदेश स्तर पर सही संचार प्रक्रिया द्वारा हर स्तर पर उत्पन्न विसंगतियों को दूर किया जा सकता है। आर्थिक-सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए भी संचार प्रक्रिया आवश्यक है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि किसी देश का विकास संचार की सफल तकनीक पर निर्भर है। आज विशेष रूप से प्रसार विधियों का सही ढंग से प्रयोग न होने के कारण ही उपयोगी तकनीकी ज्ञान का उचित संचार जनता के बीच नहीं हो पा रहा है जिसके परिणामस्वरूप जनता उसे न समझने के कारण अपना नहीं पाती है। अतः संचार प्रणाली के सुनियोजित तथा उपयुक्त प्रयोग से ही प्रसार शिक्षा प्रभावशाली तरीके से सम्पन्न होती है जिनके परिणामस्वरूप शिक्षार्थियों ( ग्रामीणों) के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है।

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