बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 भूगोल बीए सेमेस्टर-4 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 2
विश्व के कृषि प्रदेश
(Agricultural Region of the World)
कृषि प्रदेश ऐसे विस्तृत क्षेत्र होते हैं जहाँ कृषिगत दशाओं, विशेषतः फसलों की किस्मों एवं उनकी उत्पादन विधि में समरूपता मिलती है तथा कृषि भूमि के उपयोग की विशिष्टताजन्य सम्बद्धता मिलती है। यह सम्बद्धता बहुधा कृषि प्रदेश विशेष में कृषि कार्य में व्यवहृत उपकरणों, कृषकों के आवास, रहन-सहन के ढंग तथा जीवनस्तर में परिलक्षित होती है। इस प्रकार कोई कृषि प्रदेश समरूपता एवं सम्बद्धता में विशिष्टतः भिन्न होता है। स्पष्टतः कृषि प्रदेशों के सीमांकन के लिए उन्हीं तत्वों का सहारा लिया जा सकता है जिससे कृषि की समरूपता तथा सम्बद्धता को प्रादेशिक भिन्नता समझने में सहायता मिल सके अर्थात् जो कृषि प्रदेशों के उद्भव विकास एवं कार्यशीलता को प्रकट करते हों। सर्वप्रथम 1936 ई. में डी. व्हीटलसी ने विश्व के कृषि प्रदेशों का सीमांकन इस प्रकार के आधार तत्वों की सहायता से किया। उनके अनुसार निम्नलिखित तत्वों के आधार पर कृषि प्रदेशों का सीमांकन किया जा सकता है-
1. फसलों एवं पशुओं का साहचर्य
2. कृषि उत्पादन विधि
3. कृषि भूमि में श्रम, पूँजी, संगठन आदि के विनियोग
4. कृषि से उत्पादित पदार्थों के उपभोग का ढंग
5. कृषि कार्य में सहायक यन्त्रों, उपकरणों अथवा आवास सम्बन्धी दशायें।
उपर्युक्त विभिन्न तत्व किसी कृषि प्रदेश में विशेष ढंग से अन्तर्सम्बन्धित होकर, विशिष्ट संशक्तता उत्पन्न करते हैं तथा इसी के अनुसार कृषिगत दशाओं को समरूपता मिलती है। इसका विशेष ढंग का अन्तर्सम्बन्ध विभिन्न क्षेत्रों के प्राकृतिक एवं मानवीय वातावरण को भिन्नता के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है।
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