बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 भूगोल बीए सेमेस्टर-4 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 10
उद्योगों के प्रकार : लोहा, इस्पात,
सूती वस्त्र एवं चीनी
(Types of Industries : Iron, Steel,
Cotton Textiles and Sugar)
कच्ची सामग्री को संशोधित करके और परिवर्तित करके परिष्कृत सामग्री तैयार करना निर्माण उद्योग कहलाता है, जैसे लोहा धातु को गलाकर 'सके लट्ठे, पाइप, चादर बनाना, रुई से सूत कातकर कपड़ा बुनना। किसी कच्चे माल को जितना अधिक संशोधित किया जाता है 'सका मूल्य उतना ही अधिक बढ़ जाता है।
मनुष्य के क्रिया-कलाप संसाधन भूगोल की नींव है। संसाधन भूगोल के अन्तर्गत केवल भूगोल के आर्थिक पहलुओं का ही अध्ययन किया जाता है आर्थिक पहलुओं से तात्पर्य मनुष्य के उन कार्यों से लिया जाता है जिनसे विविध वस्तुओं के मूल्य या स्वरूप में वृद्धि होती है और उनमें मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने की क्षमता बढ़ जाती है। विश्व में लौह-इस्पात उत्पन्न करने वाले प्रमुख देश निम्नलिखित हैं-
पूर्व सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, पश्चिमी जर्मनी, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, इटली, बेल्जियम, पोलैण्ड, चेकोस्लोवाकिया, कनाडा और इनके बाद भारत, आस्ट्रेलिया, स्वीडन और रोमानिया का स्थान है।
विश्व का अधिकांश इस्पात संयुक्त राज्य अमेरिका में अटलाण्टिक तट से लगाकर शिकागो और सेण्टलुइस तक फैले क्षेत्रों से प्रात होता है। यह क्षेत्र अमेरिका का इस्पात का हृदय (steel Heart of U.S.A) कहलाता है।
लोहा इस्पात उद्योग में तीन प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता होती है-
1. कच्चा लोहा
2. कोयला व
3. चूना और डोलोमाइट पत्थर।
इसके अतिरिक्त मैगनीज, टंगस्टन, क्रोमियम, निकिल आदि की भी आवश्यकता होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में सुपीरियन झील के चारों ओर करोड़ों टन उत्तम श्रेणी का कच्चा लोहा और लौह अयस्क मिलता है। जो इस उद्योग की प्रगति में सहायक हैं। इसके अतिरिक्त U.S. एक में अलेशियन की कोयला खानों के समीप ही अधिकांश उद्योग स्थापित किये गये हैं।
जिस प्रदेश में भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारणों से एक से अधिक उद्योग स्थापित हो जाते हैं, उसे औद्योगिक प्रदेश कहते हैं। कच्चे माल की उपलब्धता, शक्ति के साधनों की प्राति, उपयुक्त जलवायु, सस्ता श्रम, पूँजी तथा परिवहन की सुविधा और खपत क्षेत्रों की निकटता औद्योगिक विकास में सहायक सिद्ध होते हैं। औद्योगिक प्रदेश में धीरे-धीरे अनेक औद्योगिक नगर स्थापित हो जाते हैं। दक्षिणी जर्मनी में लगभग 80 किमी. लम्बा और 45 किमी. चौड़ा रूर घाटी का विश्व विख्यात औद्योगिक प्रदेश है।
रूसी क्रान्ति के बाद सोवियत संघ की साम्यवादी सरकार उसी प्रकार के औद्योगिक विकास में जुट गयी जैसा अमेरिका और यूरोपीय देश कर रहे थे। अतः सुगठित आर्थिक नीति, निरन्तर शोध और प्रयोग, अपार खनिज सम्पदा, पर्याप्त कृषि उत्पादन और कम जनभार के कारण बहुत कम अवधि में रूस महान देशों की बराबरी करने लगा। आज सोवियत रूस अनेक औद्योगिक उत्पादों में विश्व का अग्रणी देश बन गया है। 1937 में रूस अथक परिश्रम के द्वारा सम्पूर्ण यूरोप में अग्रणी हो गया। सोवियत रूस में औद्योगिक विकास पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से किया गया।
इस उद्योग का विकास 18वीं शताब्दी में हारग्रीब्ज, आर्कराइट, क्रोम्पटन, कार्टराइट आदि द्वारा किये गये यांत्रिक चर्खे और यांत्रिक करघों के आविष्कारों के बाद हुआ। सूती मिल उद्योग का विकास ग्रेट ब्रिटेन में हुआ था। 1793 में ह्विटले ने कपास को ओटने की मशीन का अविष्कार किया। ब्रिटेन के लंकाशायर प्रदेश में सूती वस्त्र बुनने और सूत कातने की मिलों की स्थापना तीव्र गति से बढ़ गई। उन्नीसवीं शताब्दी में सूती मिलों का प्रसार ब्रिटेन से यूरोप के अन्य देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में हो गया। 20वीं शताब्दी में पूर्व सोवियत संघ, चीन, भारत, मिश्र, मैक्सिको, ब्राजील आदि देशों में सूती मिलों का विकास हुआ।
विश्व में लगभग 40 देशों में सूती वस्त्र निर्माण की मिलें हैं। इसके मुख्य उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, चीन, भारत, जापान, पोलैण्ड, हांगकांग, यूनाइटेड किंगडम, पूर्वी जर्मनी, पश्चिमी जर्मनी, फ्रांस और चैकोस्लोवाकिया हैं।
ब्रीन मूर जोन्स के अनुसार - “यदि लोहे और इस्पात को हमारे जीवन से अलग कर दिया जाये तो मानव जाति के सामने एक ऐसा संसार होगा जिसमें रेलें, जलयान, वायुयान, नाना प्रकार के यन्त्र तथा उपकरण एवं परिवहन के साधन न रहेंगे और इस प्रकार का समाज आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएँ तैयार करने में पूर्णतया असमर्थ होगा।'
भारत वर्ष में चीनी उद्योग वैदिक काल से विकसित हो रहा है। परन्तु इस उद्योग का आधुनिकीकरण 1903 से प्रारम्भ हुआ। इस उद्योग का विकास प्रायः गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में है क्योंकि यह कच्चे माल पर आधारित है।
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