बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 भूगोल बीए सेमेस्टर-4 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
वानिकी
(Forestry)
प्राकृतिक वनस्पति का थलीय संसाधनों में अत्यधिक महत्त्व है। प्राकृतिक महत्त्वपूर्ण संसाधन ही नहीं वरन् पर्यावरणीय स्वास्थ्य की प्रत्यक्ष सूचक भी होती है। किसी प्राकृतिक पर्यावरण का किस प्रकार का उपयोग हो सकता है,
सकता है, इसका भी अनुमान प्राकृतिक वनस्पति से लगाया जा सकता है। विश्व की प्राकृतिक वनस्पतियों में प्रचुर प्रादेशिक भिन्नता मिलती है। किसी एक प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति के अन्तर्गत भी विभिन्न आकार-प्रकार, एवं ऊँचाई वाले पेड़-पौधे होते हैं। अतः किसी छोटे से छोटे भू-भाग में भी वनस्पति की पूर्ण समानता पाना अत्यन्त कठिन है। तथापि प्रत्येक प्रदेश में प्राकृतिक पर्यावरण की विशेषताओं के अनुसार विशेष पौध समुदाय मिलते हैं। प्राकृतिक वनस्पति का वर्गीकरण अथवा अध्ययन पौध के आधार पर ही करना समीचीन है।
प्राकृतिक वनस्पति का वर्गीकरण आनुवंशिक एवं समान विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। विश्व स्तर पर सर्वप्रथम वनस्पति समुदायों का विभाजन किया जाता है। इसके अनुसार वन, घास, मरु वनस्पति तथा टुण्ड्रा चार प्रकार की वनस्पतियाँ मानी जाती है। प्रत्येक समुदाय को संघटनों में विभक्त करते हैं। संघटनों का नामकरण उस जलवायु के आधार पर होता है जिसमें ये विकसित होते हैं, जैसे-आर्द्र- उष्ण कटिबन्धी वन अथवा उसकी वनस्पति विशेषताओं के आधार पर होता है, जैसे- मिश्रित, पतझड़ तथा कोंणधारी वन | संघटन के अन्तर्गत भी वनस्पति साहचर्य पाये जाते हैं, पर विश्व स्तर पर इसका विवेचन संभव नहीं है।
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