लोगों की राय

बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2733
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 3 - माँग का नियम

(Law of Demand)

अर्थशास्त्र के अन्तर्गत माँग शब्द की व्याख्या विभिन्न रूपों में की गई है। एक ओर माँग को मनोवैज्ञानिक ढंग से परिभाषित करते हुए आवश्यकताओं का पर्यायवाची बताया गया है तथा दूसरी ओर भौतिक दृष्टि से किसी वस्तु की उस मात्रा की ओर संकेत किया गया है जो बाजार में किसी निश्चित मूल्य पर विक्रय के लिए उपलब्ध होती है।

किसी वस्तु की माँग वस्तु की मूल्य (Px), उपभोक्ताओं की आय (y), अन्य वस्तुओं के मूल्य (Po), रूचि तथा फैशन (T), जनसंख्या आदि पर निर्भर करती है। इसके बीच एक फलनात्मक सम्बन्ध होगा जिसे माँग फलन कहते हैं। इसे फलन के रूप में इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं -
Dx = f(Px, y, Po, T, ....)

माँग फलन यह स्पष्ट करता है कि यदि हम इन चारों में परिवर्तन करें तो इसका प्रभाव x वस्तु की माँग पर पड़ेगा।

किसी दिए गए समय में, दिए हुए मूल्य पर कोई उपभोक्ता, बाजार में किसी वस्तु की जो विभिन्न मात्राएं क्रय करता है उसे उस वस्तु की माँग कहते हैं। माँग में साधारणतः वही वस्तुएँ आवश्यक हैं, बिना मूल्य के उल्लंघन के क्रय की जाती हों, क्योंकि मूल्य के साथ ही माँग का सम्बन्ध होता है।

मूल्य-माँग फलन पर किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन माँग में परिवर्तन करता है। मूल्य में परिवर्तन से प्रभाव माँग पर पड़ता है। इतना ही नहीं, किसी दिए गए समय में मूल्य में वृद्धि से वह वस्तु की माँग घट जाती है।
उसी वस्तु की इच्छा तथा उस वस्तु की आवश्यकताओं से अलग कर देता है।
हिक्सन ने माँग की परिभाषा इस प्रकार दी, “किसी दिए हुए मूल्य पर किसी वस्तु की माँग उस वस्तु की वह मात्रा है जो उस मूल्य पर एक निश्चित समय में खरीदी जायेगी।”

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book