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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2733
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 9 - परवर्ती अनुपातों का नियम

(Law of Variable Proportions)

आधुनिक अर्थशास्त्रियों का मत है कि अग्रागत अथवा उत्पादन के साधनों में से किसी एक को यदि स्थिर कर दिया जाय तथा अन्य साधनों की मात्रा में वृद्धि लायी जाये तो यह नियम उत्पादन के आयतन क्षेत्र में भी उसी प्रकार से क्रियाशील होगा जिस प्रकार मार्शल द्वारा प्रस्तुत किया गया नियम क्षेत्र में पूर्ति की मात्रा स्थिर रखते पर लागू होता है। इसे आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने परवर्ती अनुपात का नियम कहा।

इस नियम के अनुसार उत्पादन क्रिया में प्रयुक्त में आने वाले किसी भी एक साधन की मात्रा यदि स्थिर कर दी जाय तथा अन्य साधनों की मात्रा में वृद्धि लायी जाय तो इस प्रकार की वृद्धि के कारण कुछ समय तक उत्पादन में वृद्धि होती रहेगी। वृद्धि के अनुपात से अधिक वृद्धि हो सकती है, पर अन्त में निश्चित रूप से परिवर्तनशील साधनों की मात्रा में वृद्धि उत्पादन में कमी लायेगी।

किसी वस्तु के उत्पादन में प्रयुक्त हुए साधनों की एक निश्चित तथा आर्दश अनुपात है और जब एक साधन को स्थिर रखकर अन्य साधनों की मात्रा बढ़ायी जाय तो इस अनुपात में ही परिवर्तन आता है जिससे उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है।

इस नियम को श्रीमती रॉबिन्सन ने सीमांत उत्पादकता के सिद्धांत के रूप में भी प्रस्तुत किया है। जब एक प्रकार की वस्तु की वृद्धि के साथ सीमांत उत्पाद में कमी के कारण समग्र उत्पाद वृद्धि दर घटने लगेगा। श्रीमती रॉबिन्सन के अनुसार सीमांत उत्पाद घटने के साथ-साथ उत्पाद ह्रास नियम लागू होना प्रारम्भ हो जाता है। एवं बेक्सल के अनुसार यह नियम उस समय लागू होता है जब आयतन बढ़ने पर सीमांत उत्पादन के साथ-साथ औसत उत्पादन भी घटने लगे।

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