लोगों की राय

बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2733
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 4 - सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम

(Law of Diminishing Marginal Utility)


सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम (Law of Diminishing Marginal Utility) - इस नियम का प्रतिपादन सर्वप्रथम हेरिक गॉसेन ने किया था। उन्हीं के विचार को मार्शल ने विकसित रूप में प्रस्तुत किया। गॉसेन ने शब्दों में, “जब हम किसी एक वस्तु को बिना किसी व्यवधान के लगातार प्रयोग करते रहते हैं तो उस संतुष्टि की मात्रा तब तक निरन्तर घटती है जब तक कि उससे पूर्ण तृप्ति की प्राप्ति नहीं हो जाती।”

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की प्रमुख बातें -

नियम का सर्वप्रथम विवरण अर्थशास्त्र के आर्थिक सिद्धांतों में मिलता है, लेकिन उपयोग के क्षेत्र में इस नियम का सर्वप्रथम उल्लेख करने का श्रेय एच.एच. गॉसेन को जाता है।

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या से यह लगता है कि वस्तु की प्रत्येक अगली इकाई से प्राप्त सीमांत उपयोगिता सदैव घटती हुई होती है, किन्तु ऐसा होना आवश्यक नहीं है। यह हो सकता है कि उपयोग की प्रारम्भिक अवस्था में वस्तु से प्राप्त सीमांत उपयोगिता बढ़ती हुई हो।
इसी बात से दृष्टिकोण रखते हुए प्रो. बोडकिन ने इस नियम को बताया है।

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम प्रचलित होने के कारण -

वस्तुएँ एक-दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती हैं इसलिए उन्हें एक दूसरे के स्थान पर एक सीमा तक ही प्रयोग किया जा सकता है या उनका एक निश्चित अनुपात में ही प्रयोग किया जा सकता है।

किसी आवश्यकता विशेष को पूर्णतः संतुष्ट किया जा सकता है क्योंकि उपयोगकर्ता की उपयोग क्षमता सीमित होती है, और उपयोग में वृद्धि के साथ-साथ आवश्यकता की तीव्रता कम होती चली जाती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book