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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2732
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन - सरल प्रश्नोत्तर

महत्त्वपूर्ण तथ्य

शाखा खातों के उद्देश्य

शाखा खातों की सहायता से शाखाओं पर उचित नियन्त्रण रखा जा सकता है। इस प्रकार शाखा खाते शाखाओं पर नियन्त्रण रखने के उद्देश्य की पूर्ति करते हैं।

विभिन्न अधिनियमों के अन्तर्गत शाखा सम्बन्धी लेखे रखना तथा उनका समय - समय पर अंकेक्षण (Audit) करवाना आवश्यक कर दिया गया है। कम्पनी अधिनियम 1956 के अनुसार शाखा से सम्बन्धित लेखों तथा उनके अंकेक्षण के सम्बन्ध में विशेष नियम बनाये गये

हैं।

प्रायः सभी व्यापारी यह जानना चाहते हैं कि उनके द्वारा विभिन्न स्थानों पर खोली गयी शाखायें लाभ दे रही हैं अथवा उनमें से कुछ ऐसी शाखायें भी हैं जो हानि में चल रही हैं।

मुख्य कार्यालय तथा शाखाओं से सम्बन्धित लेखों के आधार पर व्यवसाय की स्थिति का सही-सही ज्ञान प्राप्त करना भी शाखा लेखों का एक मुख्य उद्देश्य है।

शाखाओं से सम्बन्धित लेखों के आधार पर मुख्य कार्यालय द्वारा समय-समय पर उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए सुझाव भेजे जा सकते हैं।

शाखाओं के लेखे रखने पर ही इस बात की जानकारी प्राप्त हो सकती है कि इस शाखा को कितने माल और रोकड़ की कब-कब आवश्यकता पड़ती है। पिछले वर्षों के लेखों के आधार पर शाखाओं के माल और रोकड़ सम्बन्धी आवश्यकता का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।

आश्रित शाखाओं की विशेषताएँ

ये शाखाएँ केवल ऐसा माल बेचती हैं जो प्रधान कार्यालय द्वारा भेजा जाता है।

शाखा के समस्त स्थायी खर्चों का भुगतान प्रधान कार्यालय द्वारा किया जाता है।

फुटकर व्ययों जैसे वाहन व्यय, मनोरंजन व्यय आदि के भुगतान के लिए प्रधान कार्यालय फुटकर रोकड़ भेजता है।

ऐसी शाखाओं को यह निर्देश होता है कि बिक्री से तथा देनदारों से प्रतिदिन प्राप्त राशि को प्रधान कार्यालय को या प्रधान कार्यालय के नाम बैंक में खुले हुए खाते में जमा करा दें ।

ऐसी शाखाएँ केवल कुछ स्मरण पुस्तकें रखती हैं जैसे रोकड़ बही, विक्रय बही, स्टाक रजिस्टर आदि।

शाखा के तलपट की बाकियों का रूपान्तर

स्थिर विनिमय दर - यदि प्रधान कार्यालय और उसकी शाखा के देशों की विनिमय दरों में काफी स्थिरता होती है तो तलपट की बाकियों को परिवर्तित करने के लिए स्थायी दर का प्रयोग किया जा सकता है।

शाखा खाते की बाकी तथा शाखा द्वारा भेजी हुई राशियों का रूपान्तर किसी भी दर पर नहीं किया जाता है वरन् इसकी परिवर्तित राशि वही होगी जो मुख्य कार्यालय ने अपनी पुस्तकों में दिखाई है, ऐसा तभी होता है जब भिन्न सूचनाएँ इस सम्बन्ध में दी हुई न हों।

विनिमय दर में उतार-चढ़ाव - यदि प्रधान कार्यालय वाले देश और शाखा वाले देश की मुद्राओं की विनिमय दर में होने वाले परिवर्तनों में स्थिरता न हो तो शाखा के तलपट की बाकियों को परिवर्तित करने के लिए निश्चित नियमों के अनुसार निम्न प्रकार की तीन दरें प्रयोग की जाती हैं-

प्रारम्भिक दर (Opening Rate)
अन्तिम दर ( Closing Rate)
औसत दर (Average Rate)

उपरोक्त दरें विभिन्न मदों में निम्न प्रकार लागू की जाती हैं-

स्थायी सम्पत्तियाँ - स्थायी सम्पत्ति को उस दर पर परिवर्तित करना चाहिए जो दर, सम्पत्ति क्रय करने के समय थी अथवा क्रय के संविदा के समय थी अथवा भुगतान के समय थी। ऐसी सम्पत्ति हैं- भवन, भूमि, मशीन, आदि।

स्थायी दायित्व - स्थायी दायित्वों को उस दर पर परिवर्तित करना चाहिए जिस समय ये दायित्व किए गये थे। ऐसे दायित्व हैं लम्बी अवधि का ऋण या ऋणपत्र आदि। इस प्रकार स्थायी दायित्व और स्थायी सम्पत्तियों को प्रारम्भिक दर पर परिवर्तित करना चाहिए।

चालू सम्पत्तियाँ व चालू दायित्व - चालू सम्पत्तियों एवं चालू दायित्वों को उस दर पर परिवर्तित किया जाता है जो उस दिन होती है जिस दिन स्थिति विवरण तैयार किया जाता है क्योंकि स्थिति विवरण वर्ष के अन्त में तैयार किया होता है अतः ये सम्पत्तियाँ व दायित्व अन्तिम दर ( Closing Rate) के आधार पर परिवर्तित किए जाते हैं।

प्रारम्भिक व अन्तिम रहतिया - प्रारम्भिक रहतिया प्रारम्भिक दर पर तथा अन्तिम रहतिया अन्तिम दर पर परिवर्तित करना चाहिए।

ह्रास - ह्रास उस दर पर परिवर्तित किया जाता है जिस दर पर सम्बन्धित सम्पत्ति की राशि का परिवर्तन किया जाता है।

अप्राप्य व संदिग्ध ऋण का आयोजन - अप्राप्य व संदिग्ध ऋण का आयोजन उसी दर पर परिवर्तित किया जाता है जिस दर पर देनदार परिवर्तित किए जाते हैं अर्थात् अन्तिम दर पर।

आयगत मदें - व्यवसाय के विभिन्न प्रकार के आयगत व्यय व आयगत आय को औसत दर (Average Rate) के आधार पर परिवर्तित किया जाता है। इन मदों में निम्न मद सम्मिलित नहीं हैं जैसे ह्रास, प्रारम्भिक व अन्तिम रहतिया, डूबत ऋण आयोजन आदि ।

शाखा द्वारा भेजी गई राशि - शाखा के तलपट में प्रदर्शित शाखा द्वारा भेजी गई राशि को उस राशि में परिवर्तित करना चाहिए जोकि प्रधान कार्यालय की पुस्तकों में दिखाई गई है। प्रधान कार्यालय खाता- शाखा के तलपट से प्रदर्शित प्रधान कार्यालय खाते का शेष उस राशि पर परिवर्तित किया जाता है जो कि प्रधान कार्यालय की लेखा पुस्तकों में शाखा खाते का होता है।

शाखा स्टॉक खाता

इस खाते के डेबिट पक्ष में प्रारम्भिक स्टाक, शाखा को भेजा गया माल एवं ग्राहकों द्वारा शाखा को लौटाया गया माल लिखा जाता है। इसके क्रेडिट पक्ष में शाखा द्वारा की गई नकद बिक्री, उधार बिक्री तथा नष्ट-भ्रष्ट हुए स्टाक का मूल्य, प्रधान कार्यालय को लौटाया गया माल तथा अन्तिम स्टाक की बाकी लिखी जाती है।

सामान्यतः शाखा स्टाक खाते के दोनों पक्षों का योग समान होना चाहिए किन्तु यदि योग असमान हो तो वह स्टाक की कमी या आधिक्य को दर्शाता है।

स्मरणार्थ ब्राँच स्टॉक खाता

यदि अन्तिम स्टाक या नष्ट हुआ माल या खोया हुआ माल आदि प्रश्न में छिपा हो तो 'स्मारक ब्रांच स्टाक खाता' (Memorandum Branch Stock Account) बनाकर, ज्ञात किया जाता है।

इस खाते से पहले 'ममोरैण्डम' शब्द इसलिए लिखा जाता है कि इस खाते के सम्बन्ध में दोहरे लेखे प्रणाली के नियमों का पालन नहीं किया जाता है। इस खाते के डेबिट पक्ष में वे मढ़ें दिखाई जाती हैं जिनसे स्टाक बढ़ता है तथा क्रेडिट पक्ष में जिनसे स्टाक घटता है।

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