बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकनसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन - सरल प्रश्नोत्तर
महत्त्वपूर्ण तथ्य
उपपट्टा
जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से कोई सम्पत्ति पट्टे पर लेता है और फिर वह व्यक्ति किसी तीसरे पक्षकार को उस सम्पत्ति का कुछ भाग पट्टे पर दे देता है तब इस प्रकार तीसरे पक्षकार को दिये गये पट्टे को उप-पट्टा (Sub-Lease) कहते हैं।
उप-पट्टे को शिकमी-पट्टा भी कहा जा सकता है। उप-पट्टे की दशा में शर्तें मूल पट्टे के जैसी ही होती हैं परन्तु अधिकार-शुल्क की दर और न्यूनतम किराये की धनराशि प्रायः मूल पट्टे की दर से अधिक होती हैं।
पट्टेदार की हैसियत से पट्टेदार अपनी पुस्तकों में निम्नलिखित खाते खोल सकता है-
न्यूनतम किराया देय खाता (Minimum Rent Payable Account);
अधिकार-शुल्क देय खाता (Royalties Payable Account);
लघुकार्य खाता (Shortworkings Account) या लघुकार्य प्राप्य खाता (Shortworkings Receivable Account)-
भू- - स्वामी का खाता (Landlord's Account)।
पट्टेदाता की हैसियत से पट्टेदार अपनी पुस्तकों में निम्नलिखित खाते खोल सकता है-
न्यूनतम किराया प्राप्य खाता (Minimum Rent Receivable Account);
अधिकार-शुल्क प्राप्य खाता (Royalties Receivable Account);
अधिकार-शुल्क संचय खाता (Royalties Reserve Account) या अधिकार-शुल्क उचन्त खाता (Royalities Suspense Account) अथवा लघुकार्य स्वीकार्य खाता (Shortworkings Allowable Account);
उप-पट्टेदार का खाता (Sub-lessee's Account) । यदि पट्टेदाता की हैसियत से पट्टेदार अपनी पुस्तकों में न्यूनतम किराया प्राप्य खाता न खोलना चाहे, तो वह ऐसा कर सकता है।
अधिकार शुल्क संचिति खाता
यदि पट्टेदाता (Lessor) ने पट्टेदार (Lessee) को यह अधिकार दिया है कि जिस वर्ष वास्तविक अधिकार - शुल्क की राशि न्यूनतम किराये की राशि से कम है तब वह इस लघुकार्य राशि को उन वर्षों में अपलिखित कर सकता है।
जिन वर्षों में वास्तविक अधिकार-शुल्क की राशि न्यूनतम किराये की राशि से अधिक हो तब ऐसी स्थिति में यदि किसी वर्ष वास्तविक अधिकार-शुल्क की राशि न्यूनतम किराये से कम है तब पट्टेदाता इस अन्तर की राशि (जिसे पट्टेदार की पुस्तकों में लघुकार्य राशि कहते हैं) को अधिकार-शुल्क संचिति खाते (Royalties Reserve Account) में क्रेडिट करता है और जिन वर्षों में यह राशि अपलिखित की जाती है उन वर्षों में इस खाते को डेबिट करता है। जब लघुकार्य राशि को अपलिखित करने की अवधि समाप्त हो जाती है तब अधिकार-शुल्क संचिति खाते के शेष को लाभ-हानि खाते (Profit & Loss Account) में हस्तान्तरित कर दिया जाता है।
नजराना
कभी-कभी पट्टेदार को अधिकार-शुल्क के भुगतान के अलावा, पट्टा प्राप्त करने के लिये प्रारम्भ में ही कुछ एकमुश्त धनराशि भी देनी पड़ती है, जिसे 'नजराना' (Premium) कहते हैं। व्यवहार में इस राशि को 'पगड़ी' के नाम से भी पुकारा जाता है।
नजराने की धनराशि केवल पट्टे की अवधि में एक ही बार अर्थात् उसे प्राप्त करते समय ही भुगतान करनी होती है, अतः यह एक प्रकार का पूंजीगत व्यय है और इसे पट्टे की अवधि में अपलिखित कर दिया जाना चाहिये।
तकनीकी शब्दों का स्पष्टीकरण
भू-स्वामी या पट्टादाता या पट्टा देने वाला - यह व्यक्ति सम्पत्ति का मालिक होता है जो अपनी सम्पत्ति किसी अन्य व्यक्ति को प्रयोग करने के लिए देता है। अतः इसे अधिकार शुल्क प्राप्त होता है।
पट्टेदार या पट्टा लेने वाला - यह व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की सम्पत्ति को प्रयोग करने का अधिकार लेता है। अतः यह बदले में अधिकार शुल्क का भुगतान करता है।
न्यूनतम किराया - न्यूनतम किराया शब्द विशेष रूप से खान सम्बन्धी पट्टे से सम्बन्धित है। अधिकार-शुल्क पट्टे (Royalty lease) में खान का स्वामी पट्टेदार से वह समझौता करता है कि वास्तविक रायल्टी की राशि एक निश्चित राशि से कम होने की दशा में जमींदार एक निश्चित राशि अवश्य लेगा, इसी राशि को न्यूनतम किराया (Minimum Rent) या अनिवार्य किराया (Dead Rent) या निश्चित किराया (Fixed Rent) या सम-किराया (Flat Rent) कहते हैं। ऐसे न्यूनतम किराये की व्यवस्था पट्टेदार को अधिक उत्पादन करने को प्रोत्साहित करती है।
अल्पकार्य या लघुकार्य - यदि अधिकार शुल्क की राशि न्यूनतम किराये से कम होती है तो इस दशा में न्यूनतम किराये का ही भुगतान स्वामी को किया जाता है। इस प्रकार न्यूनतम किराये की राशि अधिकार शुल्क से जितनी अधिक होती है उसे अल्पकार्य (Shortworking) कहते हैं।
अल्पकार्य की वसूली अथवा अपलिखित करना - अधिकार शुल्क की राशि जब न्यूनतम किराये से कम होती है तो अल्पकार्य राशि उत्पन्न होती है। इस अल्पकार्य की राशि से पट्टेदार (lessee) को जो नुकसान होता है उससे बचने के लिए वह स्वामी (Landlord) से अनुबन्ध अधीन यह तय हो सकता है कि पट्टेदार भविष्य के अधिकार शुल्क की रकम से (यदि वह न्यूनतम किराये से अधिक है), गत वर्षों की अल्पकार्य राशि को पूरा कर सकता है। इसे लघुकार्य की वसूली कहते हैं।
|