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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2732
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन - सरल प्रश्नोत्तर

महत्त्वपूर्ण तथ्य

कार्टर के अनुसार - "रोजनामचा या दैनिक बही प्राथमिक प्रविष्टियों की एक ऐसी बही है जिसमें स्मरण बही से तिथिवार लेन-देन की प्रविष्टि की जाती है।"

रोलैण्ड के शब्दों में - "रोजनामचा हिसाब लिखने की मूल पुस्तक है जिसमें व्यापारी के दैनिक सौदों का लेखा किया जाता है। इसमें लेखे इस प्रकार किये जाते हैं जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि किस खाते को ऋणी तथा किस खाते को धनी किया गया है। "

रोजनामचे के लाभ

जर्नल में व्यापारिक सौदों की सभी प्रविष्टियाँ तिथिवार होती हैं। इसकी सहायता से प्रत्येक सौदे की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है।

जर्नल से यह जानकारी आसानी से मिल जाती है कि किस खाते को ऋणी किया गया है और किस खाते को धनी किया गया है।

जर्नल में लेन-देन तिथिवार लिखे जाते हैं। अतः किसी भूल-चूक का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

रोजनामचे की सहायता से खाता बही में विभिन्न खातों की खतौनी की जाती है। र्जनल में तिथिवार लेखा होने से खाता बही में खतौनी करना आसान हो जाता है।

रोजनामचे से खातों का मिलान करने पर यह पता चल जाता है कि कोई खाता खाता बही में खुलने से रह तो नहीं गया है।

चूँकि रोजनामचे में प्रविष्टि के साथ उसकी व्याख्या कोष्ठक में दी जाती है। अतः व्याख्या से इस बात की जाँच कर ली जाती है कि प्रविष्टि सही हुई है अथवा नहीं।

जर्नल में प्रत्येक लेन-देन की धनराशि समान रूप से डेबिट और क्रेडिट में लिखी जाती है। अंतः योग तथा शेष सम्बन्धी गणितीय शुद्धता का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

व्यापारिक विवादों को ठीक प्रकार से रखे गये लेखों के द्वारा आसानी से सुलझाया जा सकता है। लेखों की शुद्धता और सत्यता ही महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।

जर्नल में प्रविष्टियों का प्रमाणकों (Vouchers) से आसानी से मिलान किया जा सकता है। अतः जर्नल की विश्वसनीयता बढ़ जाती है।

खाता
(Account)

किसी व्यक्ति, संस्था अथवा वस्तु से सम्बन्धित व्यापारिक लेन-देन का संक्षिप्त ब्यौरा 'खाता' कहलाता है।

किसी लेन-देन का संक्षिप्त, स्पष्ट और विधिवत् तिथिवार लेखा जहाँ किया जाता है उसे खाता कहते हैं।

खाते तीन प्रकार के होते हैं-

व्यक्तिगत खाते (Personal Accounts) - किसी व्यक्ति विशेष, फर्म विशेष, देनदारों अथवा लेनदारों से सम्बन्धित खातों को व्यक्तिगत खाते कहते हैं। जैसे- राम, मोहन तथा लायल बुक डिपो आदि।

वास्तविक या सम्पत्ति खाते (Real Accounts) - जिस वस्तु अथवा माल का व्यापार में क्रय-विक्रय होता है अथवा व्यापार संचालन के लिये जिन वस्तुओं का प्रयोग कई वर्षों तक होता है और उनके मूल्य में प्रति वर्ष कमी आती रहती है, उन्हें व्यापार की सम्पत्ति कहते हैं। इस सम्पत्ति का जहाँ पुस्तकों में लेखा किया जाता है उसे सम्पत्ति खाता कहते हैं। जैसे - माल खाता, मशीन खाता, फर्नीचर खाता, रोकड़ खाता तथा भवन खाता इत्यादि।

आय-व्यय खाते (Nominal Accounts) - इनको नाम मात्र के खाते भी कहते हैं। व्यापार में जो भी खर्चे तथा आमदनी होती है उनसे सम्बन्धित खातों को आय-व्यय खाते कहते हैं। जैसे-मजदूरी खाता, छूट खाता, वेतन खाता तथा ब्याज खाता इत्यादि ।

जर्नल में लेखा करने के नियम

व्यक्तिगत खाते से सम्बन्धित नियम - पाने वाले को ऋणी (डेबिट) तथा देने वाले को धनी (क्रेडिट) करते हैं।

वास्तविक खाते या सम्पत्ति खाते से सम्बन्धित नियम - जो वस्तु आती है उसे ऋणी (डेबिट) तथा जो वस्तु जाती है उसे धनी (क्रेडिट) करते हैं।

आय-व्यय सम्बन्धी खातों से सम्बन्धी नियम - सभी व्यय और हानि को ऋणी (डेबिट) तथा सभी आय और लाभ को धनी (क्रेडिट) करते हैं।

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