बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 11
काटने तथा डंक मारने से संबंधित प्राथमिक चिकित्सा
(First Aid Related with Bites and Stings)
मनुष्य तथा जानवरों का संबंध अनादिकाल से चला आ रहा है। मनुष्य ने सभ्यता के प्रारम्भ- काल से ही बहुत से जानवरों को पालतू बनाया जिनमें से अनेक उसकी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं जब कि कुछ केवल शौक या मनोरंजन के लिए होते हैं। इनमें से कई जानवर कभी- कभी उसके लिए हानिकारक और बड़ी समस्या का कारण बन जाते हैं। कुत्ते, बिल्ली, बंदर, ऊँट इसी प्रकार के जानवर हैं। नेवला भी इसी प्रकार का एक जानवर है जो प्रायः घरों के आस-पास पाया जाता है। ये सभी कभी - कभी हमारे लिए गंभीर समस्या उत्पन्न कर देते हैं और इनके काट लेने पर यदि तुरन्त एण्टी रेबीज इंजेक्शन न लगवाया जाये तो इससे व्यक्ति की मृत्यु की संभावना अत्यंत प्रबल हो जाती है। इन जानवरों के काटने से मानव शरीर में रेबीज वायरस प्रवेश कर जाता है। इनमें से यदि कोई जानवर पागल हो जाये तो इसका तात्पर्य है कि रेबीज का वायरस उसके अन्दर है और यदि ऐसा पालतू कुत्ता, बिल्ली, ऊँट, चमगादड़ या बंदर किसी व्यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के माध्यम से रेबीज के वायरस पीड़ित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करा देता है। इसका एक मात्र इलाज एण्टी रेबीज का टीका है। एण्टी रेबीज का टीका बहुत प्रभावी और अपेक्षाकृत दर्दरहित होता है, और यह जोखिम की मात्रा को लगभग नगण्य कर देता हैं। ऐसे में जिस पशु ने काटा है दस दिन तक उसकी निगरानी आवश्यक होती है। यदि इन दस दिनों में जानवर पागल नहीं होता या नहीं मरता तो इसका तात्पर्य है कि उसमें रेबीज के वायरस नहीं है।
जानवरों के साथ-साथ अनेक प्रकार के सर्प भी मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर देते हैं। कुछ मकड़ियाँ, बिच्छू, बर्र, तितैया, मधुमक्खी, पिस्सू, मिज, मच्छर, गनेट्स, गुड़मक्खी, भिण्ड, बिरनी आदि मुख्य हैं। विषैले सर्पों में नाग (कोबरा), कालानाग नागराज (किंग कोबरा) करैत, बाइपर, रसेल बाइपर, ऐडर, डिस फालिडस, माँवा, क्राटेलस, हॉरिडस आदि मुख्य हैं। परन्तु सभी विषैले सर्पों के विष एक जैसे नहीं होते। कुछ के विष तंत्रिका तंत्र को आक्रांत करते हैं। कुछ रुधिर तंत्र को और कुछ तंत्रिका तंत्र तथा रुधिर दोनों को आक्रांत करते हैं। जब सांप काटता है तो उसके दांत चमड़ी में घुस जाते हैं, तब उनके निकालने के प्रयास में सांप अपनी गर्दन ऊपर उठाकर झटके से खींचता है जिसके परिणामस्वरूप विषग्रंथि संकुचित होती है और विष निकलकर घाव में प्रवेश कर जाता है। सांपो के काटने के स्थान पर दांतो के निशान काफी हल्के होते हैं पर शोथ के कारण स्थान ढक जाता है। दंश वाले स्थान पर तीव्र जलन, तंद्रालुता, अवसाद, मिचली, बमन, अंगघात, पलकों का गिरना, किसी वस्तु का एक के स्थान पर दो दिखायी देना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। अंतिम अवस्था में चेतना हीनता तथा मांसपेशियों में ऐंठन प्रारम्भ हो जाती है और अन्ततः श्वसन क्रिया रूकने से मृत्यु हो जाती है। सर्प दंश के मामले में प्राथमिक उपचार शीघ्र करना चाहिए। इसके लिए दंश स्थान के कुछ ऊपर और नीचे रस्सी, रबर या कपड़े से बांध देना चाहिए परन्तु बंधन इस प्रकार का हो कि रक्त संचार पूरी तरह से न रूके। तत्पश्चात शीघ्र अस्पताल ले जाने का प्रबंध करना चाहिए।
जब कोई कीट काटता है तो घाव में वह लार छोड़ देता है जिससे घाव की जगह की त्वचा लाल हो जाती है और सूजन आने के साथ-साथ खुजली प्रारम्भ हो जाती है। कीटों का काटना दर्दनाक होता है परन्तु सामान्यतः यह हानिकारक नहीं होता। प्राथमिक उपचार के रूप में प्रभावित क्षेत्र को साबुन लगाकर पानी से धो देना चाहिए तथा काटे गये स्थान पर ठंडे पानी से भीगा कपड़ा रख देना चाहिए। गुड़मक्खी का काटना बहुत दर्दनाक होता है और घाव की जगह पर सूजन आ जाती है। ततैया या भिंड के डंक मारने से उस क्षेत्र में तेज दर्द होता है जो आमतौर पर केवल कुछ सेकण्डों तक रहता है। जैसे ही किसी व्यक्ति को मधुमक्खी डंक मारती है तो उसका डंक और विषैली थैली यदि त्वचा में फंस गया हो तो प्राथमिक उपचार के तौर पर तुरन्त उसे निकाल देना चाहिए और प्रभावित क्षेत्र को साबुन और पानी से धो देना चाहिए। अधिक गंभीर लक्षण विकसित होने या एलर्जी होने पर पीड़ित को अस्पताल ले जाना चाहिए। सूजन को कम करने के लिए एण्टी हिस्टामाइन टेबलेट लिया जा सकता है और यदि सूजन गंभीर है तो ओरल कार्टी कोस्टेराइड का छोटा कोर्स लेना चाहिए। ततैया के डंक मारने पर प्रभावित क्षेत्र पर नींबू का रस लगा देने से दर्द और जलन से आराम मिल जाता है। बेकिंग सोडा क्षारीय प्रकृति के डंक को बेअसर करने में मदद करता है और दर्द एवं खुजली से तत्काल राहत देता है।
बिच्छू अर्चिन्डा वर्ग का सदस्य है। बिच्छू का डंक दर्दनाक होता है। परन्तु अधिकांश मामलों में हानिरहित होता है परन्तु बच्चों आदि के मामलों में और जब बिच्छू एक से अधिक बार डंक मार दें, गंभीर हो सकता है। बिच्छू की 2000 प्रजातियां पायी जाती हैं, जिसमें से केवल 25-40 प्रजातियाँ ही मनुष्य को गंभीर या घातक नुकसान पहुँचा सकती हैं। बिच्छू के डंक से होने वाला दर्द मध्यम से गंभीर होता है जो समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाता है। बिच्छू डंक के सामान्य लक्षणों में दर्द, झुनझुनी, जलन या डंक के स्थान पर त्वचा का सुन्न हो जाना मुख्य है। बिच्छू के डंक के इन लक्षणों का कारण बार्ब या स्टिंगर है जिसमें प्रोटीन टॉक्सिन (विष) होता है। इसमें दर्द से राहत के लिए डंक वाले स्थान को साबुन पानी से धोकर ठंडा संपीडन करना चाहिए और एसिटामिनोफेन नामक दवा देनी चाहिए।
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