बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
विष विज्ञान एक वैज्ञानिक अनुशासन है जो जीवों पर रासायनिक पदार्थों के प्रतिकूल पदार्थों का अध्ययन करता है। यह जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, औषध विज्ञान तथा चिकित्सा विज्ञान को भी अपने क्षेत्र में सम्मिलित करता है।
जीवों के ऊपर रसायनों के प्रतिकूल प्रभावों के अध्ययन से संबंधित विधा को विष विज्ञान (Toxicology) कहा जाता है। इसमें मुख्यतः विषाक्तता के लक्षणों, प्रक्रिया, जांच एवं चिकित्स आदि का अध्ययन किया जाता है।
जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का केमिकल, दवाई, गैस या विष निगल लेता है या उसके शरीर में यह किसी प्रकार से इंजेक्ट हो जाता है और इससे उसे किसी प्रकार का नुकसान या उसकी मौत हो जाती है तो विष लेना कहा जाता है।
बहुत सारी दवाइयां या गैस जैसे ही कार्बन मोनो आक्साइड के सम्पर्क में आती है तो मात्रा के अधिक हो जाने पर वह जहर बन जाती है।
हर्बीसाइस, पैरासाइटिसाइड, कीटनाशक, एसारिसाइड, मोलस्सीसाइड, नेमेटोसाइड, रोडटिसाइड्स आदि भी विष का कार्य करते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में निम्न प्रकार के जहरों का भी प्रयोग किया जाता है- एविसाइड, बायोफाइट, कवकनाशी माइक्रोबायसाइड, कीटाणुनाशक, जीवाणुनाशक, बायरिसाइड, आदि का प्रयोग भी विष . के रूप में होता है।
खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं- गंभीर दस्त, मिचली, पेट में दर्द तथा लगातार मरोड़, उल्टी, बुखार, ठंड लगना, मल के साथ खून तथा सिर में दर्द |
तीव्र विष के मुख्य लक्षण हैं- होंठ नीले पड़ जाना, त्वचा पर चकत्ते पड़ जाना, सांस लेने में कठिनाई होना, बार-बार दस्त लगना, उल्टी या मचली होना, बुखार, सिर में दर्द, चक्कर आना, अनींदापन, दोहरी दृष्टि, पेट और छाती में दर्द, दौरा पड़ना, कमजोरी महसूस करना, बेहोश हो जाना आदि।
अत्यंत गंभीर जहर के मामलों में निम्न लक्षण प्रकट हो सकते हैं-
(1) आंखों का डूबना
(2) गले तथा मुँह का सूखना
(3) लार का चिपचिपा हो जाना तथा
(4) शरीर में द्रव का असंतुलन
फोरेंसिक टाक्सीकोलाजी वह विज्ञान है जो मृत्यु, विषाक्तता तथा नशीली दवाओं के उपयोग की चिकित्सा पर कानूनी जांच में सहायता के लिए विष विज्ञान तथा अन्य विषयों का उपयोग करता है।
यदि पीड़ित के अंगों को प्रभाव की दृष्टि से देखा जायें तो विषाक्तता के लक्षण इस प्रकार से दिखाई देते हैं-
(1) जठरान्त्र उत्तेजन
(2) प्रलाप
(3) सम्मूर्छा या कोमा
(4) ऐंठन तथा परिणाह चेताकोप (Peripheral Neuritis)
विभिन्न प्रकार के विषों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया है-
(1) संक्षारक
(2) उत्तेजक
(3) रुग्ण तंत्रिक (Neurotic)
तीक्ष्ण विषाक्तता के उपचार के मुख्य सिद्धान्त हैं -
(1) यथाशीघ्र उल्टी, वस्ति क्रिया, विरेचन या मूत्रता द्वारा विष को शरीर से बाहर निकालना,
(2) विशिष्ट या सामान्य प्रतिकारक देकर विष को निष्क्रिय करना तत्पश्चात वस्तिक्रिया का उपचार
(3) संक्षोभ, पात (collapse) और अन्य विशिष्ट लक्षणों के दिखायी देते ही उससे संघर्ष तथा
(4) श्लेष्म झिल्लियों को शमकों के प्रयोग द्वारा बचाना।
विष विविध प्रकार के होते हैं। इनका वर्गीकरण भी विविध आधारों पर किया गया है यथा- रासायनिक प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण, भौतिक रूप के आधार पर वर्गीकरण, उत्पत्ति के आधार पर वर्गीकरण तथा रासायनिक गतिविधि के आधार पर वर्गीकरण तथा लक्ष्य साइटों या उपयोगों के आधार पर वर्गीकरण।
सफेद चीनी को मीठा जहर कहा जाता है।
एस्वेस्टस विष के कारण फेफड़ों का कैंसर मेसोथेलियोमा हो सकता है।
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