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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2730
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 7 
तंत्रिका तंत्र तथा अचेतना से संबंधित प्राथमिक चिकित्सा

(First Aid Related with Nervous System and Unconsciousness)

मानव शरीर जिस तंत्र के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों का नियंत्रण तथा वातावरण से सामंजस्य स्थापित करता है, उसे तंत्रिका तंत्र या नर्वस सिस्टम कहा जाता है। तंत्रिका तंत्र में मुख्यतः मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा इससे निकलने वाली तंत्रिकाओं को शामिल किया जाता है। तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई तंत्रिका कोशिका होती है, जिसे सामान्यतः न्यूरान कहा जाता है। इस प्रकार तंत्रिका कोशिका तथा इसकी सहायक अन्य कोशिकाओं से मिलकर तंत्रिका तंत्र की संरचना होती है। तंत्रिका तंत्र शरीर की विभिन्न प्रणालियों के मध्य संदेशों के आदान-प्रदान के साथ-साथ वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की भी जानकारी देता है।

स्थिति एवं रचना के आधार पर तंत्रिका तंत्र के दो भाग होते हैं -
1. केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र 
2. परिधीय तंत्रिका तंत्र

केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की संरचना दो भागों से मिलकर होती है -
(1) मस्तिष्क तथा
(2) मेरुरज्जु।

परिधीय तंत्रिका तंत्र दो भागों से मिलकर बनता है
(1) कपालीय तंत्रिकायें 
(2) मेरुरज्जु की तंत्रिकायें 

मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु मिलकर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र कहलाते हैं। ये दोनों शरीर के मध्य भाग में स्थित होते हैं। इनमें वे केन्द्र भी स्थित होते हैं जहाँ से शरीर के विभिन्न भागों के संचालन तथा गति के लिए आवेग भी भेजे जाते हैं।

तंत्रिका तंत्र का दूसरा भाग परिधीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है जो तंत्रिकाओं का एक समूह होता है और मेरुरज्जु से निकलकर शरीर के विभिन्न भागों में फैला होता है।

तंत्रिका तंत्र का तीसरा भाग आत्मग तंत्रिका तंत्र कहलाता है। यह मेरुरज्जु के दोनों ओर गंडिकाओ की लम्बी श्रृंखला के रूप में स्थित होता है। यहाँ से छोटे-छोटे तंत्रिका सूत्र निकलकर शरीर के सभी अंगों में फैल जाते हैं और मस्तिष्क से प्राप्त संदेशों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाते हैं।

आत्मग तंत्रिका तंत्र का कार्य ऐच्छिक होकर के मनुष्य की इच्छाओं से स्वतन्त्र होता है और यही शरीर के मुख्य कार्यों यथा श्वसन, परिसंचरण, मूत्र की उत्पत्ति तथा विभिन्न प्रकार के हार्मोनों आदि का निर्माण एवं संचालन करता है। इस प्रकार तंत्रिका तंत्र हमारे शरीर का कमाण्ड सेंटर होता है जो मस्तिष्क से उत्पन्न आवेगों के अनुसार हमारी सभी गतिविधियों का नियंत्रण एवं संचालन करता है।

अचेतनावस्था, बेहोशी अथवा बेसुधी शरीर की एक ऐसी अवस्था होती है जो तब उत्पन्न होती है जब अपने स्वयं के बारे में या वातावरण के बारे में जागरूकता समाप्त हो जाती है और व्यक्ति लोगों की गतिविधियों की प्रतिक्रिया व्यक्त करने में असमर्थ हो जाता है।

स्ट्रोक का तात्पर्य पक्षाघात से है और यह तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है अथवा मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास रक्त भर जाता है।

Epilepsy या मिर्गी एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क के सामान्य कार्य में अचानक असंतुलन आ जाता है जिसके कारण तंत्रिकाओं में मस्तिष्क से गलत संदेश चला जाता है, जिसके कारण शरीर असामान्य ढंग से व्यवहार करने लगता है। इसके कारण व्यक्ति को मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं और वह हिलने या गिरने लगता है और आस-पास हो रही चीजों की जानकारी को वह खो देता है। ऐसा प्रायः आनुवांशिकता, सिर पर लगी चोट, दिमाग में ट्यूमर या स्ट्रोक आदि के कारण होता है।

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