बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भारत में शारीरिक शिक्षा के संगठन एवं प्रबन्धन का परिचय दीजिये।
उत्तर -
(Organisation and Management of Physical Education in India)
यदि शारीरिक शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों को प्राप्त करना है तो विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा की व्यवस्था सुचारू रूप से की जानी आवश्यक है। भारतीय विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा का संगठन एवं व्यवस्था निम्न प्रकार की जानी चाहिये-
(1) खेल का मैदान - विभिन्न प्रकार के खेल - कूदों को आयोजित करने के लिए खेल का पर्याप्त मैदान होना आवश्यक है। खेल का मैदान विद्यालय से जुड़ा या उसके निकट होना चाहिए जिससे विद्यार्थीगण विद्यालय समय में तथा उसके बाद में शिक्षकों के निर्देशन में सुविधापूर्वक खेल सकें। विद्यालय में खेल के मैदान की माप अग्रवत् होनी चाहिए-
(अ) प्राथमिक विद्यालय - 20 मीटर लम्बा व 20 मीटर चौड़ा
(ब) उच्च माध्यमिक विद्यालय - 160 छात्रों के लिए 2 से 3 एकड़
320 छात्रों के लिए 3 से 4 एकड़
480 छात्रों के लिए 6 से 7 एकड़
खेल के मैदान का क्षेत्र प्रति विद्यार्थी खेल के लिए स्थान की आवश्यकतानुसार भी निर्धारित किया जा सकता है; यथा—
(अ) प्राथमिक विद्यालय - 100 से 200 वर्ग मीटर प्रति विद्यार्थी
(ब) उच्च माध्यमिक विद्यालय - 250 से 500 वर्ग मीटर प्रति विद्यार्थी
(स) महाविद्यालय - 500 से 1000 वर्ग मीटर प्रति विद्यार्थी
खेल का मैदान चौरस तथा सपाट जमीन वाला होना चाहिए। मैदान की समुचित सजावट होनी चाहिए और चारों ओर किनारों पर सुन्दर पेड़-पौधे तथा बेलें आदि लगी होनी चाहिएँ। खेल के मैदान में विभिन्न खेलों के लिए ट्रैक, पिच, कोर्ट, बाउन्डरी लाइन्स, पोल्स आदि बने होने चाहिएँ।
(2) व्यायामशाला - प्रत्येक विद्यालय में व्यायामशाला होनी आवश्यक है। व्यायामशाला की माप 20 मीटर लम्बी, 65 मीटर चौड़ी तथा 3 से 6 मीटर ऊँची होनी चाहिए। उसका फर्श लकड़ी का बना होना चाहिए। व्यायामशाला के हॉल से लगे हुए भण्डारघर, स्वास्थ्य निरीक्षण कक्ष, प्राथमिक चिकित्सा कक्ष, शारीरिक शिक्षा कार्यालय तथा यथासम्भव जल एवं स्वच्छता सम्बन्धी सुविधाएँ भी होनी चाहिएँ। हॉल हवादार होना चाहिए तथा उसमें कृत्रिम प्रकाश की भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
(3) पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण - शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम को प्रभावपूर्ण ढंग से संचालित करने के लिए प्रभावपूर्ण पर्यवेक्षण एवं समन्वय नितान्त आवश्यक है। इस कार्य के लिए शारीरिक शिक्षा के निरीक्षक नियुक्त किए जाने चाहिएँ। प्रत्येक जनपद में एक या दो निरीक्षक नियुक्त किए जा सकते हैं।
(4) शारीरिक शिक्षा का कार्यक्रम - विद्यालय के समय में सभी बालकों के लिए शारीरिक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रत्येक छात्र के लिए उसमें भाग लेना अनिवार्य होना चाहिए। विद्यालय के समय में इसका कालांश प्रतिदिन 30 से 40 मिनट का हो सकता है। शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में निर्धारित क्रिया-कलाप ही इसमें कराए जाने चाहिएँ। इस कार्य में व्यायाम शिक्षक के अतिरिक्त अन्य शिक्षक भी सहयोग प्रदान कर सकते हैं।
(5) विद्यालय आहार - विद्यालय में दिया जाने वाला अल्पाहार या आहार शारीरिक शिक्षा का एक आवश्यक अंग है। तीन से छह या इससे अधिक घण्टे तक छात्र घर से बाहर रहते हैं। इस अवधि में वह शारीरिक और मानसिक क्रियाएँ करते हैं। परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक शक्ति का क्षय होता है और उन्हें भूख लगती है। ऐसी दशा में विद्यालय का उत्तरदायित्व है किं उनके लिए पोषक आहार की व्यवस्था करे, परन्तु भारत में अधिकांश विद्यालयों की आर्थिक दशा इतनी अच्छी नहीं है कि वे बच्चों को पोषक आहार प्रदान कर सकें। इसलिए लम्बी विश्राम अवधि में बच्चों को आहार के लिए घर जाने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए। जो बच्चे विद्यालय से दूर रहते हों, उन्हें नाश्ता साथ में लाना चाहिए। जो बच्चे घर से नाश्ता लाएँ उनके लिए विद्यालय में ऐसा कमरा अथवा स्थान होना चाहिए जहाँ बैठकर वे भोजन कर सकें। खोमचे वालों को विद्यालय के बाहर या आस-पास खड़े होने से रोकना चाहिए ताकि बच्चे दूषित खाद्य पदार्थ न खाएँ। विद्यालय में कैन्टीन होनी चाहिए जिससे छात्रों को सस्ते और पोषक खाद्य पदार्थ प्राप्त हो सकें। कैन्टीन शारीरिक शिक्षा अध्यापक अथवा अन्य किसी योग्य अध्यापक के कुशल निर्देशन व निरीक्षण में संचालित होनी चाहिए।
(6) शारीरिक शिक्षा में अधिगम - विलियम एवं मोरिसन ने शारीरिक शिक्षा में तीन प्रकार के अधिगमों का उल्लेख किया है-
(i) जब किसी विशिष्ट प्रकार का खेल खेला जाता है तो उसमें सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रविधियों का अधिगम करना।
(ii) ऐसा सहगामी अधिगम जो दल के साथियों, विरोधियों, निर्णायक (रेफरी), शिक्षक तथा अन्य व्यक्तियों के प्रति अनुकूल समुचित अभिवृत्ति धारण करने में सहायक होता है।
(iii) शारीरिक कुशलता में वृद्धि करने हेतु सहायक अधिगम के साधनों का उपयोग करना।
(7) उपकरण - शारीरिक शिक्षा के कार्य-क्रमों के लिए विविध प्रकार के खेल के उपकरणों का होना आवश्यक है। विभिन्न कौशलों के विकास के लिए विभिन्न उपकरण होने चाहिएँ। विद्यालय के लिए किस प्रकार के उपकरण चाहिएँ, इसका निर्धारण खेल - कूद में भाग लेने वालों पर निर्भर करता है। अपने आर्थिक साधनों को देखते हुए खेल के उपकरणों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
(8) प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षक - माध्यमिक विद्यालय में 250 छात्रों पर एक शारीरिक शिक्षक होना चाहिए। लड़कियों के लिए शारीरिक शिक्षा में प्रशिक्षित अध्यापिका होनी चाहिए। प्राथमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा का विशिष्ट अध्यापक होना आवश्यक नहीं है। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्य-क्रम से स्वास्थ्य शिक्षा और शारीरिक शिक्षा की ऐसी उपयुक्त क्रियाओं को समावेश होना चाहिए जो प्राथमिक कक्षाओं के स्तर के बालकों के लिए उपयुक्त हों।
|