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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2729
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 4
बजट की तैयारी

(Budget Preparation )

प्रश्न- बजट के प्रमुख भाग बताइये तथा विद्यालय की आय एवं व्यय के स्रोत बताइये।

उत्तर -

बजट के प्रमुख भाग
(Important Parts of Budget)

किसी बजट के अन्दर दो प्रमुख भाग होते हैं जिसके ऊपर यह पूर्ण रूप से निर्भर होता है। उनका नाम है आय एवं व्यय। यदि इन दोनों को बजट के अन्दर से निकाल दिया जाय तो बजट का कोई भी महत्व नहीं रह जाता है। इन दोनों के बारे में निम्न प्रकार से विवेचन किया गया है-

आय - आय से अभिप्राय यह है कि बजट के अन्दर जो धनराशि खर्च किया जाता है उस धन को खर्च करने से पूर्व विभिन्न स्रोतों से इकट्ठा न किया जाये तो व्यय की पूर्ण सम्भावना समाप्त हो जाती है।

व्यय - विभिन्न स्रोतों के माध्यम से जो भी धन एकत्र किया जाता है उसके माध्यम से किसी भी कार्य को सम्पन्न करने में धन को व्यय किया जाता है लेकिन धन का व्यय करने से पूर्व, विभिन्न कार्यक्रमों पर सन्तुलित अवस्था में व्यय करने से पूर्व एक बजट का निर्माण करना आवश्यक होता है।

इस प्रकार से बजट के दो प्रमुख घटक, आय एवं व्यय हैं; जोकि एक दूसरे पर पूर्णरूप से निर्भर हैं। इन दोनों के अभाव में बजट की रूपरेखा तैयार करना असम्भव है। किसी भी आय और व्यय के क्या स्रोत हैं इसका उल्लेख नीचे निम्न प्रकार से किया गया है।

विद्यालय की आय के स्रोत

विद्यालय की आय के प्रमुख स्रोत निम्न प्रकार हैं-

(1) पिछले वर्ष का बचा हुआ धन - बजट के अन्दर आय के स्रोत में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि पिछले वर्ष के बजट से कितना धन बच रहा है, जो पिछले वर्ष का बचा धन होता है उसे चालू वर्ष के बजट में आय के अन्दर शामिल किया जाता है। क्योंकि बजट के अवलोकन से स्पष्ट पता चलता है कि पिछले वर्ष विभिन्न स्रोतों से कितना पैसा आय के रूप में प्राप्त हुआ था एवं कितना पैसा विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पन्न करने में खर्च हो गया था।

(2) क्रीड़ा शुल्क से उपलब्ध धन - विद्यालय के अन्दर प्रत्येक विद्यार्थी प्रतिमाह कुछ पैसे क्रीड़ा शुल्क के रूप में विद्यालय में प्रदान करता है। जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के खेल-कूद के क्रिया-कलापों में खर्च किया जाता है। किसी विद्यालय के खेल - कूद विभाग में आय का सबसे प्रमुख साधन क्रीड़ा शुल्क ही है। यह विभिन्न प्रकार के विद्यालयों में प्रशासक द्वारा निर्धारित किया जाता है कि किस कक्षा के छात्र कितनी मात्रा में धन क्रीड़ा शुल्क के रूप में प्रतिमाह देंगे।

(3) सरकारी अनुदान द्वारा प्राप्त धन - विद्यालय में खेल विभाग को कभी-कभी विशेष खेलों के आयोजन के लिये सरकार द्वारा धनराशि प्राप्त होती है। लेकिन इस प्रकार के आय का कोई निश्चित नहीं होता है कि अमुक वर्ष में इतना धन प्राप्त हो सकेगा क्योंकि किसी वर्ष यह धन अत्याधिक प्राप्त होता है तो किसी वर्ष इसके मिलने की सम्भावना नाममात्र होती है।

(4) विद्यालय से प्राप्त अनुदान द्वारा धन - यदि खेल - कूद विभाग संकट के दौर से गुजर रहा होता है तो ऐसे समयों में विद्यालय द्वारा कुछ धन अनुदान स्वरूप खेल विभाग को दिया जाता है लेकिन इस स्रोत से प्राप्त धन भी अनिश्चित्ता के ऊपर निर्भर रहता है कि विद्यालय इस वर्ष कितना धन प्रदान कर सकता है।

(5) ब्याज से प्राप्त धन - विद्यालय के खेल विभाग में जो धनराशि है उसको यदि बैंक में जमा कर दिया जाय तो वर्ष में एक अच्छी मात्रा धनराशि की मिलने की सम्भावना होती है क्योंकि यदि पैसे को इसी प्रकार रखा जाय तो कोई फायदा होने की सम्भावना काफी कम होती है। लेकिन यदि विद्यालय का प्रशासक इस बात पर ध्यान दे तो ब्याज के द्वारा भी धन को प्राप्त किया जा सकता है। इसलिये इसको एक स्रोत के रूप में प्रयोग किया जाता है।

(6) पुराने सामानों की नीलामी से प्राप्त धन - खेल विभाग के अन्दर उपलब्ध पुराने खेल के सामानों की नीलामी वर्ष के अन्त में की जाती है। इस नीलामी के अन्दर वे सामान बेचे जाते हैं, जोकि विद्यार्थियों के अभ्यास के लिये ठीक नहीं लेकिन उन सामानों को बाहर के खेल प्रेमी कम दाम देकर खरीदते हैं एवं उसकी मरम्मत कराने के बाद उसका प्रयोग खेलों के लिये करते हैं। इस प्रकार से विद्यालय के खेल विभाग को नीलामी के माध्यम से भी कुछ धन प्राप्त होता है।

(7) टिकटों से प्राप्त धन - विद्यालय के अन्दर खेल विभाग द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है। इस प्रतियोगिता को देखने के लिये बाहर से नागरिक दर्शक के रूप में मैदान में आते हैं। लेकिन मैदान में पहुँचकर खेल प्रतियोगिता को देखने से पूर्व उनको टिकट लेना पड़ता है। इस प्रकार से टिकटों के माध्यम से धन को एकत्र किया जाता है।

विद्यालय व्यय के प्रमुख स्रोत

विद्यालय के खेल विभाग को विभिन्न स्रोतों के माध्यम से धन को एकत्र करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन धन को एकत्र करने के बाद व्यय करने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन जिस उद्देश्य से धन को एकत्र किया गया है सम्भवतः उसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिये धन को खर्च किया जायेगा। ऐसा ध्यान में रखकर व्यय करने के लिये बजट का निर्माण किया जाता है। ऐसे जिन प्रमुख आधारों पर एक शारीरिक शिक्षक को धन खर्च करने की सम्भावना होती है उनका वर्णन निम्न प्रकार है-

(1) खेल सामग्री के क्रय पर व्यय - खेल विभाग के सम्पूर्ण आय का अधिकांश भाग विभिन्न प्रकार के खेलों के सामानों को खरीदने में खर्च होता है। जबकि शारीरिक शिक्षा का अध्यापक कम से कम दाम में अच्छा सामान खरीदने का प्रयास करता है। आवश्यकतानुसार शारीरिक शिक्षा का शिक्षक विभिन्न सामानों का क्रय करता है।

(2) प्रतियोगिता के आयोजन पर व्यय - विद्यालय के अन्दर शारीरिक शिक्षा का शिक्षक विभिन्न प्रकारकी प्रतियोगिताओं का आयोजन समय-समय पर करता है। जिसमें धन व्यय होता रहता है। लेकिन धन को व्यवस्थित खर्च करने के लिये बजट का निर्माण किया जाता है। जैसे विद्यालय के अन्दर यदि उच्चस्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जाय तो काफी धन खर्च करने की सम्भावना होती है इसलिए किसी भी प्रतियोगिता के आयोजन से पूर्व विद्यालय के बजट को ध्यान में रखना अति आवश्यक है।

(3) मैदानों की मरम्मत के लिये व्यय - खेल विभाग का कुछ पैसा मैदानों की मरम्मत में खर्च होता है। शारीरिक शिक्षा का अध्यापक आवश्यकतानुसार नये मैदानों का निर्माण करता है एवं पुराने मैदानों की मरम्मत करता है, जैसे—मैदानों को चारों ओर से घेरना, मैदान को समतल करना, वर्षा का पानी निकालने के लिये व्यवस्था करना आदि। आवश्यकता समझकर शारीरिक शिक्षा का शिक्षक मैदानों की मरम्मत पर धन व्यय करता है।

(4) टीम बाहर भेजने पर व्यय - अन्तर विद्यालय की प्रतियोगिता में जब विद्यालय की टीम भाग लेने के लिये बाहर किसी दूसरी जगह जाती है तो सभी खिलाड़ियों के आने-जाने का खर्च विद्यालय के खेल विभाग को वहन करना पड़ता है क्योंकि कोई भी विद्यार्थियों से अपने पैसे पर प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये विद्यार्थी अपने खर्च पर बाहर नहीं जायेगा।

(5) खिलाड़ियों के ड्रेस पर व्यय - जब विद्यालय की टीमें अन्य विद्यालय की टीमों के साथ प्रतियोगिता के लिये मैदान में प्रवेश करती है, तो प्रत्येक विद्यार्थी को ड्रेस में होना अति आवश्यक है। इसक सम्पूर्ण ड्रेस का खर्च विद्यालय के खेल विभाग को वहन करना पड़ता है। शारीरिक शिक्षा के शिक्षक को ड्रेस पर पर्याप्त मात्रा में धन खर्च करना पड़ता है।

(6) खिलाड़ियों के भोजन पर व्यय - अन्तर विद्यालय की प्रतियोगिताएँ जब तक 'चलती रहेगी खिलाड़ियों के भोजन का भार विद्यार्थियों के स्वयं के ऊपर नहीं बल्कि विद्यालय के खेल विभाग के ऊपर जाता है। खेल विभाग को खिलाड़ियों के भोजन का प्रबन्ध हेतु धन का व्यय करना पड़ता है।

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