बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 3
बजट
(Budget)
प्रश्न- बजट किसे कहते हैं? बजट निर्माण के विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
बजट
वित्त व्यवस्था में बजट का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं अन्य क्षेत्रों में वित्त व्यवस्था का आधार बजट है। विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न कार्यक्रम बजट द्वारा ही निर्धारित किये जाते हैं। सभी विभाग बजट के प्रारम्भ में अपना-अपना बजट तैयार करते हैं।
बजट वह प्रपत्र है, जिसमें विद्यालय की आय एवं विद्यालय का व्यय दर्शाया जाता है। विद्यालय की प्रगति बहुत बड़ी मात्रा में बजट पर ही निर्भर करती है। बजट के अनुमान सम्पूर्ण आधार पर बनाये जाने चाहिए।
बजट की परिभाषा - साधारणतौर पर आय एवं व्यय के विवरण को बजट कहा जा सकता है। आमतौर पर देखा गया है कि एक कम आय वाला व्यक्ति अधिक आय पाने वाले व्यक्ति की अपेक्षा सुव्यवस्थित जीवन यापन कर रहा है। दूसरी तरफ अन्य किसी न किसी परेशानी से जूझ रहे हैं। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। मगर एक कारण बजट भी है। जो लोग अपनी आय के अनुसार व्यय की सीमा रेखा तैयार करते हैं और साथ ही साथ एक अच्छा 'बजट बनाकर चलते हैं वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं।
बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द बजट से हुई है जिसका अर्थ है छोटा थैला। बजट की परिभाषायें निम्नवत् हैं-
"बजट एक प्रशुल्क योजना है जिसके द्वारा व्यय एवं आय में संतुलन किया जाता हैं। - सी. एल. किंग
"बजट सरकार की मास्टर वित्तीय योजना है।" - फिलिप ई. टेलर
संस्थान के संसाधनों से प्राप्त आय के अनुरूप आय-व्यय की योजना को बजट कहते हैं।
बजट गत वर्ष के लेखों का वार्षिक वित्तीय वितरण तथा आने वाले वर्ष के लिए राजस्व और व्यय का अनुमान है।
फिण्डले शिराज के अनुसार, संक्षेप में बजट पिछले वर्ष की प्राप्तियों और व्यय का विवरण एवं आने वाले वर्ष की प्राप्तियों तथा व्यय का अनुमान हैं। यदि बजट में घाटा है तो बजट में उसकी पूर्ति के प्रस्ताव भी शामिल होते हैं तथा यदि आधिक्य रहता है तो उसके विभाजित किये जाने का विवरण भी होता है।
इस प्रकार बजट सार्वजनिक व्यय तथा सार्वजनिक आय का अनुमान है जो सामान्यतः वित्तीय वर्ष के अन्त में आगामी वर्ष के लिए बनाया जाता है। इसमें निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए स्पष्ट नीतियों का उल्लेख होता है।
बजट के मुख्य भाग- बजट के निम्नलिखित चार भाग हैं-
(1) प्रथम भाग में बजट की प्रस्तावना दी होती है।
(2) द्वितीय भाग में पूरे बजट को प्रस्तुत किया जाता है।
(3) तीसरे भाग में आय तथा व्यय का विवरण विस्तार से किया जाता है।
(4) चौथे भाग में प्रत्येक आय तथा व्यय के विवरण को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उसकी प्राप्ति एवं व्यय का विवरण दिया जाता है।
दूसरे प्रकार के बजट में निम्नलिखित तीन हिस्से होते हैं-
(1) प्रथम भाग में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों की प्रस्तावना, उद्देश्यों तथा नीतियों का विवरण होता है।
(2) शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अन्तर्गत उद्देश्यों एवं नीतियों को किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है।
(3) तीसरे भाग में आय तथा व्यय की योजना का विवरण दिया होता है।
विद्यालय के शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम का बजट
विद्यालय का नाम -----------------
वर्ष------------------------------------
क्रमांक | आय | रु. | पै. | विवरण |
1. |
पिछले वर्ष की बचत | |||
2. |
शुल्क से प्राप्त राशि | |||
3. |
शासकीय अनुदान | |||
4. |
दान | |||
5. |
पुराने सामान की बिक्री | |||
6. |
टिकट से प्राप्त राशि | |||
7. |
ब्याज की राशि | |||
8/ |
अन्य स्त्रोतों से आय | |||
योग |
हस्ताक्षर............... प्रधानाचार्य................सचिव.................सदस्यगण
व्यय
क्रमांक | व्यय | रु. | पै. | विवरण |
1. |
खेल सामग्री | |||
2. |
वेतन | |||
3. |
मैदानों की देखभाल | |||
4. |
प्रतियोगिताओं की फीस | |||
5. |
भ्रमण | |||
6. |
प्रतियोगिताओं को आयोजित करने का खर्च | |||
7. |
खिलाड़ियों का जल-पान | |||
8. |
खिलाड़ियों की पोशाक | |||
9. |
अन्य व्यय | |||
योग |
हस्ताक्षर............. प्रधानाचार्य................. सचिव................. सदस्यगण
बजट बनाने के सहायक सिद्धान्त - बजट बनाने के सहायक सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-
(i) विद्यालय की तीन वर्षों की आय तथा व्यय का ब्यौरा।
(ii) तीन वर्ष की आय तथा व्यय पर आधारित कार्यक्रम |
(iii) वर्तमान वर्ष में होने वाली आय।
(iv) वर्तमान वर्ष का व्यय किस प्रकार से निर्भर करता है?
(v) आय किन स्रोतों से हो सकती है?
(vi) पिछले तीन वर्षों में आय के स्रोतों से कितनी मदद ली गयी?
(vii) कार्यक्रम कौन-सा लागू किया जाये, पहले का या नया?
(viii) कार्यक्रम के ऊपर व्यय का सही अनुमान लगाया जा सकता है।
(ix) वर्तमान वर्ष में नया कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं या नहीं?
(x) नये कार्यक्रम को आय एवं व्यय की सीमा में ही रखना चाहिए।
(xi) पिछले वर्ष व्यय पर नियंत्रण किस प्रकार रखा गया?
(xii) शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम की बजट समिति निर्माण करनी चाहिए। (xiii) बजट तैयार करते समय मितव्ययिता पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।
शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम आयोजन में बजट का महत्त्व-
(1) विभिन्न क्रियाओं के लिए उपकरणों की व्यवस्था करना।
(2) खेल मैदानों को तैयार करवाना तथा उनका रख-रखाव करना।
(3) खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित करना।
(4) विद्यार्थियों एवं खिलाड़ियों की जल-पान की व्यवस्था करना।
(5) खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार खरीदना।
(6) खेल अधिकारियों की व्यवस्था करने के लिए अलग से प्रबन्ध करना।
(7) खिलाड़ियों के यूनिफार्म की व्यवस्था करना।
(8) अतिथियों की व्यवस्था करना।
व्यय करने की विधि - विद्यालयों में व्यय करने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
(1) प्रतिदिन के व्यय के लिए अपने पास कितना पैसा रखना चाहिए तथा इसको अन्तिम रूप से स्वीकृत करवा लेना चाहिए।
(2) धन व्यय की स्वीकृति हमेशा लिखित रूप में लेनी चाहिए।
(3) प्रत्येक व्यय की रसीद लेनी चाहिए।
(4) 500 रुपये के ऊपर व्यय के लिए एक रुपये का रसीदी टिकट लगवाकर हस्ताक्षर कराने चाहिए।
(5) शारीरिक क्रियाओं एवं खेलों के सामान को खरीदने से पहले कीमत सूची मँगवानी चाहिए।
(6) अधिकृत फर्म से ही सामान खरीदना।
(7) विभिन्न साहित्य एवं उपकरणों को खरीदने से प्राप्त कमीशन का भी बिल में उल्लेख करना चाहिए।
(8) प्रतिदिन के व्यय को नियमित रूप से रोकड़ बही में लिखना चाहिए।
(9) पत्र-व्यवहार पर किये जाने वाले व्यय को भी हिसाब में लेना चाहिए।
(10) सम्पूर्ण राशि बैंक में रखनी चाहिए।
(11) व्यय के लिए कुछ रुपये अपने पास रखने चाहिए।
(12) व्यय का भुगतान हमेशा चेक से ही करना चाहिए।
(13) विद्यालय के सामान को खरीदने के लिए अग्रिम भुगतान नहीं करना चाहिए।
व्यय के नियम-
(1) धन व्यय करने की योजना इस प्रकार की बनानी चाहिए ताकि उससे विद्यार्थियों एवं खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।
(2) व्यय सभी विद्यार्थियों एवं खिलाड़ियों पर समान रूप से करना चाहिए।
(3) विद्यालय की आर्थिक स्थिति के अनुसार करना चाहिए।
(4) व्यय वहीं पर करना चाहिए जहाँ पर व्यय करने की आवश्यकता हो।
(5) व्यय करते समय अधिकारी को अपने से उच्च अधिकारी से अनुमोदन ले लेना चाहिए।
(6) व्यय की राशि आय की राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(7) क्रीड़ा व्यय में लचीलेपन का गुण होना चाहिए।
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