बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- खेल प्रबन्ध के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
(Principles of Sports Management)
फ्रांस के प्रसिद्ध उद्योगपति एवं प्रबन्ध विशेषज्ञ हेनरी फेयोल एवं अमेरिका के विश्व विख्यात इंजीनियर फ्रेडरिक विन्सले टेलर एक-दूसरे समकालीन थे। एक गहन अनुभव के पश्चात् उन्होंने प्रबन्ध संबंधी अनेक महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। उनके नाम पर ही उनकी विचारधारा को फेयोलवाद भी कहा जाता है। इनु अनुभवों के आधार पर हेनरी फेयोल ने पुस्तक जनरल एण्ड इंडस्ट्रियल एडमीनिसट्रेशन (General and Industrial Administration) लिखी। यह पुस्तक फ्रेंच (French) भाषा में लिखी गयी। हेनरी फेयोल ने प्रबन्ध के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। इन सिद्धांतों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है--
(1) निर्देश की एकता - किसी उपक्रम का समान लक्ष्य एवं उद्देश्य वाली विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का संचालन एक योजना एवं एक ही प्रबन्धक के अंतर्गत होना चाहिए। जिससे उन समस्त शारीरिक क्रियाओं को एक ही लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्देशत किया जा सके। तभी शारीरिक क्रियाएँ एवं साधनों के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।
(2) अधिकार - अधिकार का आशय किसी कार्य को करने के लिए आज्ञा देने के अधिकार हैं। प्रबन्ध में भूमिका निभाने वाले प्रत्येक अधिकारी को उचित एवं पर्याप्त अधिकार भी प्रदान किए जाने चाहिए, जिससे वह अपने उत्तरदायित्वों को भली-भाँति समझ सके।
(3) श्रम विभाजन - खेल प्रबन्ध के क्षेत्र में श्रम विभाजन को अपनाया जाता है अर्थात् इसमें सभी कार्यों को खिलाड़ियों में व अध्यापकों में बांटकर किया जाता है। श्रम विभाजन के सिद्धांत को अपनाते समय संस्था के आकार का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। टेलर के अनुसार, “संगठन में जहाँ तक सम्भव हो, किसी एक व्यक्ति पर कोई भी एक महत्त्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए।'
(4) आदेश की एकता - आदेश की एकता से तात्पर्य कर्मचारियों व खिलाड़ियों की माँग करने के लिए एक ही व्यक्ति द्वारा आदेश दिए जाने चाहिए। इसके अभाव में प्रशासन में अव्यवस्था और गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है, जिससे अनुशासन के साथ-साथ खेलों के परिणामों में भी शिथिलता आ जाती है।
(5) अनुशासन - अनुशासन से तात्पर्य कर्मचारियों, अधिकारियों व खिलाड़ियों के प्रति आस्था, उनका आज्ञा-पालन करना, परिश्रम से कार्य करने की भावना एवं व्यावहारिकता आदि से है। प्रत्येक खेलों की सफलता के लिए उसके कर्मचारी, प्रशिक्षक वर्ग में अनुशासन होना अति आवश्यक है। तभी वह खिलाड़ियों में भी अनुशासन की भावना को विकसित कर सकेंगे।
|