बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- स्त्री एवं पुरुष की आदर्श आकृति चित्र द्वारा समझाइये।
अथवा
मानवाकृतियों के आदर्श प्रमाण क्या है? उदाहरण सहित समझाइये।
अथवा
मानवाकृतियों के आदर्श प्रमाण लिखिए।
उत्तर -
आकृतियों के आंगिक अनुपात
आकृतियों के विभिन्न अंगों के अनुपात इस प्रकार होने चाहिए जो अभिव्यक्ति के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हो। मानवाकृति के विभिन्न अंगों में भी एक आनुपातिक सम्बन्ध है। माइकेल ऐन्जेलो ने मानव शरीर को 8 आठ भागों में बाँटा है। जिसमें सिर को एक तल माना है। पुरुष आकृति आठ 8 ताल एवं स्त्री की आकृति 7 1⁄2 ताल होती है।
पुरुष आकृति
सिर- 1 ताल | सिर के 4 भाग किये जाते है। |
धड 3 ताल | आँखे सिर के मध्य में होती है। |
पैरों की लम्बाई 4 ताल | एक भाग केश |
कन्धों की चौड़ाई - 2 ताल | एक भाग ललाट |
भुजाओं की लम्बाई - 3 ताल | एक भाग नासिका |
एक भाग ओष्ठ व चिबुक |
नारी आकृति
सिर - 1 ताल
धड़ - 3 ताल
पैरों की लम्बाई 3.5ताल
कन्धों की चौड़ाई 1.5 ताल
भुजाओं की लम्बाई 2.75 ताल
किशोर, बौनों, कुबड़ों, राक्षसों, भयानक आकृतियों के अनुपात अलग-अलग होते है। जैसे कि शुक्रनीति सार में बताया गया है। शुक्राचार्य ने पुरुषाकृतियों को 5 प्रकार का मान्य हैं-
नर (साधारण) 10 ताल जैसे - नारायण, राम, नरसिंह, अर्जुन
क्रूर ( भयानक) 12 ताल जैसे - वराह, भैरव आदि।
असुर (राक्षस) 16 ताल जैसे - राक्षस, रावण, कुम्भकरण आदि।
कुमार ताल 08 जैसे- उमा,वामनअवतार आदि।
बालक 06 ताल जैसे - गोपाल कृष्ण आदि।

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