बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पोत का एक चित्रकार के लिए क्या महत्व है?
अथवा
वर्तमान समय में टेक्सचर (पोत) की प्रयोगवादी संस्कृति पर प्रकाश डालिये। यह विषय-वस्तु को कैसे प्रभावित करती हैं?
उत्तर -
(Importance of Texture )
पोत का चित्रकला के तत्वों-रेखा, रूप, रंग आदि के समान ही महत्वपूर्ण स्थान है। आधुनिक कलाकार कला-रचना में पोत का प्रयोग अधिकाधिक करने लगे हैं। प्राचीन समय की कलाओं में चित्रकला, मूर्तिकला व भवन निर्माण कला आदि में समतल सतहें अच्छी मानी जाती थी, परन्तु आज स्थिति भिन्न है। कला में विभिन्न प्रकार के पोत का प्रयोग किया जाने लगा है। इससे धरातल में रुचि उत्पन्न करने के लिए रचना में पोत का प्रयोग होने लगा है।
इस प्रकार पोत भी चित्र के तत्वों में उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि अन्य तत्व। आधुनिक कलाकार पोत के महत्व को समझ रहे हैं और उन्होंने अपनी रचनाओं को और अधिक सौन्दर्यात्मक गुण प्रदान करने के लिए पोत की विविधता को अपनाया है। जैसे- चित्रकला, भवन- निर्माण, मूर्तिकला, आन्तरिक सज्जा, वाह्य-सज्जा आदि में नये-नये पदार्थों जैसे - काँच, प्लास्टिक, स्पंज रबड़ आदि का प्रयोग करके, पोत को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाया है। ज्यों- ज्यों कलाकार कला में प्रवीणता प्राप्त करता जाता है और उसके अनुभव परिपक्व होते जाते है, वह कला पक्ष के अर्न्तगत अधिकाधिक पोत का निर्माण करेगा और केवल मात्र प्राकृतिक रूपों व विषय-वस्तु पर ही निर्भर नहीं करेगा। धनवादी, अतियथार्थवादी, रचनावादी आदि कला - रचनाओं में पोत को पर्याप्त रूप से इस्तेमाल किया गया है।
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