बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पोत एवं अन्तराल से आप क्या समझते है?
उत्तर -
पोत एवं अन्तराल
पोत - हर पदार्थ का अपना गुण होता है जैसे पत्थर है पत्थर ठोस और कठोर होता है। इसलिए उसे नर्म मास जैसा नहीं दिखाया जाना चाहिए। हर विचार के लिए उसके अनुकूल पदार्थ जन्य आकार होता है। इन्हीं अनुभूति को उस सतह या धरातल का गुण ही पोत या Texture कहलाता है।
धरातल अनेक प्रकार के हो सकते है। जैसे चिकने, खुरदरे, फिसलने वाले, रवेदार, मोटे। पदार्थ या वस्तु को संरचना पर आधारित संवेद ही पोत या गणन या बनावट है। इस प्रकार स्पर्श संवेदन के कारण है। हम विभिन्न धरातल में भिन्नता का अनुभव कर सकते है। जैसे - साटन व मखमल में, लिनेन और रेशम, खादी और शिल्क में जो अन्तर है प्रकाश एवं वर्ण के माध्यम से गणन का अनुमान लगाया जा सकता है। गीले अथवा चिकने धरातल को अधिक प्रकाश प्रतिबिम्बित करता है। धरातल की बनावट पर प्रकाश का प्रभाव पड़ने से पदार्थ का एक रंग होने से भी भिन्नता दिखना, कला तत्वों में पोत या बनावट का विशेष महत्व है।
अन्तराल - अन्तराल चित्र निर्माण का वह तत्व है जिसके अभाव में चित्र रचना असम्भव है। अन्तराल वह क्षेत्र है जिस पर चित्रकार रूप निर्माण करता है। इसके साथ ही भूमि का विभक्तिकरण व व्यवस्था भी अन्तराल के अर्न्तगत आती है। जिस धरातल अथवा भूमि पर चित्र रचना की जाती है वह द्विआयामी होता है अर्थात उसका विस्तार दो दिशाओं में होता है लम्बाई और चौड़ाई। इस पर आकृतियों की लम्बाई का विचार करना पड़ता है।
चित्र में अन्तराल की एक रसता को पोत की सहायता से भंग किया जा सकता है। और इस प्रकार उसमें रुचि उत्पन्न की जा सकती है। आधुनिक कला में 'कोलाज' का विकास पोहू के प्रति रुचि उत्पन्न होने से हुआ हैं। जिसके माध्यम से धरातल पर विभिन्न वस्तुओं को चिपकाकर धरातल की एकरसता को तोड़ना सम्भव है। इसी प्रकार यदि दो आकारों के परिणाम और आकृति यदि एक समान हो तो पोत की सहायता से भिन्नता लायी जा सकती है।
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