बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वर्ण प्रतिस्थापन से क्या आशय है?
अथवा
वर्ण योजना के सिद्धान्त किसे कहते है?
उत्तर -
(Colour - Introduction)
वर्ण चित्र की आत्मा होते है। और उनका प्रतिस्थापन चित्र में आत्मा के प्रतिस्थापन की भाँति है। जिस प्रकार कि मन्दिर में भगवान की मूर्ति। अतः यह चित्र का प्रमुख आधार है और इसके लिये हम निम्न प्रक्रियाओं का प्रयोग कर सकते हैं -
1. पुनरावृत्ति (Repetition) - इस ही वर्ण की बार-बार पुनरावृत्ति करके हम चित्र भूमि पर एक पूर्ण लय को उत्पन्न कर सकते है।
2. परिवर्तन (Alteration ) - किसी भी वर्ण में अन्य वर्णों के मिश्रण से भिन्नता का प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है, जिससेहै। एकरसता के प्रभाव को तोड़ा जा सकें।
3. विरोधाभास (Contrast) - विरोधी अथवा पूरक रंगों के प्रयोग से सक्रियता का प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है।
4. सहयोग (Unity) - वर्ण को चित्र के विषय व अन्य चिन्न तत्वों के सहयोग के आधार पर लगाने से चित्र में सहयोग भाव की उपस्थिति होती है।
5. सन्तुलन (Balance) - वर्ण का विभाजन चित्र भूमि पर समान रूप से होने से चित्र असन्तुलित होने से बचा रहता है।
6. अनुक्रम (Gradation) - वर्ण को चित्र भूमि पर क्रमानुसार लगाकर भी एक प्रवाह उत्पन्न किया जा सकता है।
7. संगति (Harmony) - वर्णों का पारस्परिक व उचित तालमेल ही वर्ण संगति कहलाता है।
इस प्रकार वर्ण नियोजन, वर्ण परिवर्तन एवं वर्ण प्रतिस्थापन चित्र में वर्ण को प्रयुक्त करने के मुख्य आधार है।
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