बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- रेखीय क्षयवृद्धि किसे कहते हैं?
उत्तर -
उन सभी वस्तु आकृतियों को जिनके चित्रण में कुछ ठोस ज्यामितीय आकारों में रखा जा सकता है।
(अ) घन - घन के अन्तर्गत पुस्तक, सन्दूक, डिब्बे आदि।
(ब) बेलनाकार - बेलनाकार के अन्तर्गत गोल डिब्बे, बोतल आदि।
(स) वर्तुलाकार -वर्तुलाकार के अन्तर्गत गेंद, मिट्टी का घड़ा आदि।
क्षय वृद्धि का प्रयोग (अ) और (ब) श्रेणी के ठोस आकारों की रचना करते समय अधिक सावधानीपूर्वक कार्य करने की अति आवश्यकता होती है। क्षयवृद्धि के व्यावहारिक पक्ष को समझने हेतु कुछ विशेष पक्षों को समझना श्रेष्ठतर रहेगा। रेखीय परिप्रेक्ष्य के आवश्यक अंग निम्नलिखित हैं-
1. चित्र तल (Picture Place)
2. क्षितिज रेखा (Horizon line)
3. दृष्टि बिन्दु (Point of sight)
4. स्थिर बिन्दु ( Station point)
5. दृष्टि रेखा (Line of vision)
6. लोप अदृष्टि बिन्दु (Vanishing Points)
(1) चित्र-तल (Picture Plane) - चित्रतल वह काल्पनिक पारदर्शक भूमि है जिसके बीच से चित्रकार चित्रण वस्तु को देखता है। चित्रित आकृति इस प्रकार चित्रभूमि पर वही रूप ग्रहण करती है जैसा कि दर्शक को दिखाई देता है।
(2) क्षितिज रेखा (Horizon Line) - चित्रभूमि के आर-पार बायें से दायें किनारे तक काल्पनिक रेखा जो चित्रकार के दृष्टितल (Eye level) पर क्षितिज को प्रदर्शित करती है। इस रेखा का प्रयोग मुख्यतः भू-दृश्य चित्रण में किया जाता है।
(3) दृष्टि - बिन्दु ( Point of Sight) - दर्शक की आँख के ठीक सम्मुख क्षितिज रेखा पर एक काल्पनिक बिन्दु मानकर त्रि-आयामी रूप की रचना करते हैं। इस बिन्दु को माने बिना आकृति के पार्श्वरूप का ठीक अंकन नहीं हो सकता और चित्र का स्वरूप विकृत हो जाता है।
(4) स्थिर - बिन्दु ( Station Point) - स्थिर बिन्दु वह स्थिति है जहाँ से दर्शक की आँख किसी आकृति को देखती हैं। इस बिन्दु को स्थिर रखकर ही किसी आकृति का सही परिप्रेक्ष्य में अंकन संभव है।
(5) दृष्टि- रेखा (Line of Vision) - स्थिर बिन्दु को दृष्टि से मिलाने वाली रेखा को दृष्टि रेखा कहते हैं।
(6) अदृष्टि (लोप) बिन्दु (Vanishing Points) - यदि किसी आकृति अथवा आकृति समूह की सतह पर कोई रेखायें (सीमा रेखायें) चित्रतल के साथ कोण बनाते हुए हों और उनको बढ़ाया जाये तो वे क्षितिज रेखा की ओर झुक कर किन्हीं बिन्दुओं पर मिल जायेंगी। ये बिन्दु एक दृष्टि रेखा से दाहिनी ओर और एक दृष्टि रेखा की बायीं ओर स्थिति होते हैं। इन्हें अदृष्टि बिन्दु और बिन्दु 2 के नाम से जाना जाता है।
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