बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत : संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत : संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोगसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत - संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 3
शिवराजविजयम्:
( प्रथम निःश्वास )
'शिवराजविजयम्' पण्डित अम्बिका दत्त व्यास द्वारा रचित ऐतिहासिक उपन्यास है। लेखक ने इस ऐतिहासिक उपन्यास को लिखने में प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना का आश्रय लेकर लिखा है । यह ग्रन्थ तीन विरामों में विभक्त है तथा प्रत्येक विराम में चार-चार निश्वास हैं। इस उपन्यास में शिवाजी के जीवनकाल की दस वर्षों की घटनाओं का वर्णन किया गया है। इसमें एकसाथ दो कथाएं स्वतंत्र रूप से चलती हैं। एक कथा के नायक शिवाजी हैं और दूसरी के नायक रामसिंह हैं। इस उपन्यास में लेखक ने ऐतिहासिकता एवं कल्पनात्मकता का ऐसा सम्मिश्रण किया है कि उसे पृथक् करना कठिन है। इसमें ऐतिहासिक तथा कल्पित दोनों पात्रों का चरित्र देशकाल के अनुरूप ही है। इसकी सभी प्रमुख घटनाएं ऐतिहासिक तथा वास्तविक हैं। आलोचकों की दृष्टि में इस पर बंगला उपन्यासों का पूरा प्रभाव पड़ा है। इसमें वीर रस की प्रधानता है। भाषा में सर्वत्र स्पष्टता, सरलता एवं माधुर्य का पुट है। भाषा प्रारम्भ से अन्त तक ओज लिए हुए है। इस उपन्यास में राष्ट्रीय चेतना, देश-प्रेम, आत्मोत्सर्ग की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। देश की अवनति तथा पराधीनता पर लेखक को कष्ट है। लेखक के हृदय में देश की स्वाधीनता के अलावा अन्य कोई विचार नहीं है। देश को पराधीनता की जंजीरों से छुड़ाने के लिए सर्वस्व तक अर्पण करने की प्रेरणा लेखक ने पग-पग में दी है। इस उपन्यास में नायक शिवाजी हैं जो देश की स्वतंत्रता के लिए यवनों से सदैव लोहा लेते रहते हैं। भारतीय स्वाधीनता की पूर्व संध्या में उपनिबद्ध यह उपन्यास जनजागरण की दृष्टि से विशेष उपयोगी सिद्ध हुआ है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले शिवाजी की विजय गाथा शौर्य आदि तत्वों को अंकन करने वाला यह उपन्यास रोचकता की दृष्टि से अद्वितीय है। इस उपन्यास में दुर्गों, मराठों की नीति निपुणता यवनों के शिविरों, मुगल दरबार आदि की झांकियों का बड़ा ही सजीव चित्रण किया गया है। विषय- वस्तु की दृष्टि से यह उपन्यास शिवाजी एवं औरंगजेब की प्रसिद्ध घटना पर आधारित है। गौर सिंह, श्यामपटु, महामुनि, योगिराज, शिवाजी, अफजल खां, माल्यश्रीक, गोपीनाथ, जयसिंह इस उपन्यास के प्रमुख पात्र हैं। इसमें ऐतिहासिक तथा कल्पित दोनों पात्रों का चरित्र चित्रण देशकाल के अनुरूप ही है। इसकी सभी प्रमुख घटनाएं ऐतिहासिक तथा वास्तविक हैं।
|