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बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत : संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2727
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत - संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग - सरल प्रश्नोत्तर


महत्वपूर्ण तथ्य

इन्टरनेट को नेटवर्कों का नेटवर्क' कहा जाता है।

इन्टरनेट पर किसी का स्वामित्व नहीं होता परन्तु कुछ कम्पनियाँ नेटवर्कों के विभिन्न अंगों के व्यवस्थापन में मदद करती हैं।

1660 के दशक में कम्प्यूटर तकनीक का उपयोग यू. एस के सैन्य विभाग में एकल नेटवर्क के रूप में किया गया।

1670 के दशक में अर्पा ने एक नेटवर्क बनाया ।

विश्व में कहीं से कम्प्यूटर उपयोगकर्ता इन्टरनेट से सूचनाएँ एवं जानकारी प्राप्त कर सकते है।

इन्टरनेट पर क्रान्तिकारी विकास वर्ल्ड वाइड वेब है ।

वेब सम्पूर्ण विश्व में कम्प्यूटरों का नेटवर्क है।

वेब में सभी कम्प्यूटर एक-दूसरे से संचार कर सकते हैं।

वेब की मूल ईकाई वेब पेज होती है।

वेब पेज एक टेक्स्ट डाक्यूमेन्ट है।

वेब पेज में फाइल ट्रांस्फर प्रोटोकॉल, ई-मेल आदि शामिल होते हैं।

इन्टरनेट से हजारों वेबपेज जुड़े होते हैं।

वेबपेज को पढ़ने वाले कम्प्यूटर को वेब क्लाइन्ट कहते हैं।

वेब कलाइन्ट जिस प्रोग्राम से पेजों को देखता है उसे वेब ब्राउजर कहते हैं । प्रथम वेब ब्राउजर मोजैक है।

इन्टरनेट एक्सप्लोरर, मोजिला फायरफौक्स आदि अधिक प्रचलित वेब ब्राउजर हैं। वेब पेज को HTML का उपयोग करके बनाया जाता है।

टिम बर्नर्स-ली (Tim Berners Lee) ने 1686 में वर्ल्ड वाइड वेब की खोज की। इसके लगभग 20 वर्ष बाद प्रथम कनेक्शन स्थापित हुआ जिसे आज इन्टरनेट के रूप में जाना जाता है।

टिम CERN (जेनेवा, स्विटजरलैण्ड के पास स्थित एक बड़ी पार्टिकल भौतिकशास्त्र की . प्रयोगशाला) में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे।

एच टी एम एल का पूर्ण रूप हाईपर टेक्स्ट मार्कअप लेंग्वेज है। यह प्रपत्रों को फॉर्मेट करने तथा अन्य प्रपत्रों एवं संसाधनों को लिंक करने की क्षमता सहित वेब हेतु पब्लिशिंग फॉर्मेट है ।

यू आर आई (URI) का पूर्ण रूप यूनीफॉर्म रिसोर्स आईडेन्टीफायर है । यह एड्रेस' का एक प्रकार है जो वेब पर प्रत्येक रिसोर्स हेतु अद्वितीय होता है।

एच टी टी पी (HTTP) को पूर्ण रूप हाईपर टेक्स्ट ट्रांस्फर प्रोटोकॉल है। यह वेब से सम्बद्ध संसाधनों की पुनः प्राप्ति की अनुमति देता है।

टिम ने प्रथम वेब पेज एडीटर / ब्राउजर ('वर्ल्ड वाइड वेब' ) तथा प्रथम वेब सर्वर (HTTP) को लिखा । 1660 के अन्त तक प्रथम वेब पेज शुरू हुआ। वर्ष 1661 तक CERN के. बाहरी लोग नये वेब समुदाय से जुड़े।

CERN ने अप्रैल 1663 में घोषणा की कि वर्ल्ड वाइड वेब प्रौद्योगिकी आधार शुल्क के बिना भी व्यक्ति को उपलब्ध होगी।

Protocol / Internet address / Web page address को URL का फार्मेट माना जाता है।

HTML कोड के लिए वेब पेज HTTP का उपयोग करता है।

www 'मल्टी-मीडिया पर कार्य किया जाता है तथा सूचनाएँ भेजी व प्राप्त की जा सकती हैं।

ग्राफिक्स एवं अन्तर - क्रियात्मक संचार, दोनों ही इन्टरनेट एवं www के विशिष्ट लक्षण हैं। इन्टरनेट के तीन प्रमुख कार्य है-

(i) संचार करना
(ii) डाटा की पुनः प्राप्ति,
(iii) डाटा प्रकाशन |

इन्टरनेट कनेक्शन के प्रकार एवं उनकी गति निम्नलिखित है-

(i) एनालॉग / डायल अप कनेक्शन- 2400bps से 56Kbps तक
(ii) आई एस डी एन कनेक्शन 64Kbps से 128Kbps
(iii) बी आई एस डी एन कनेक्शन
(iv) डी एस एल कनेक्शन
(v) ए डी एस एल कनेक्शन : 16 से 640Kbps
(vi) एस डी एस एल कनेक्शन
(vii) वी डी एस एल कनेक्शन 12 Kbps से Mbps
(viii) केबिल कनेक्शन 512 Kbps से 20 Mbps
(ix) टी- 1 लाइन कनेक्शन
(x) बॉन्डेड टी -1 कनेक्शन
(xi) सैटेलाइट कनेक्शन 462 से 512 Kbps

वेबसाइट ऐसे लाखों अन्तर्सम्बद्ध पेजों को शामिल करती है जिनमें वेबसाइट में जुड़ने एवं मदद करने के लिए हाईपर लिंक होते हैं ।

वेबसाइट का एक अद्वितीय पता होता है जिसे यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर कहा जाता है।

वितरित संगठन कम्प्यूटर विज्ञान का वह क्षेत्र है जो वितरित सिस्टम का अध्ययन करता है।

इसमें समस्या को विभाजित करके कई कम्प्यूटरों द्वारा हल किया जाता है।

वितरित प्रोग्रामिंग में क्लाइन्ट सर्वर 3- टियर ऑर्कीटेक्चर, N- टियर आर्कीटेक्चर, 'डिस्ट्रीब्यूटेड ऑब्जेक्ट आदि आते हैं।

वितरित संगठनों का उपयोग दूरसंचार नेटवर्क, रीयल टाइम प्रक्रिया नियंत्रण, समानान्तर संगठनों में होता है ।

क्लाइन्ट / सर्वर सिस्टम के अंगों में क्लाइन्ट / सर्वर तथा नेटवर्क को शामिल किया जाता है ।

डोमेन नेम सिस्टम कम्प्यूटर सेवाओं या इन्टरनेट या प्राइवेट नेटवर्क हेतु सोपानिक रूप से वितरित नामकरण का एक सिस्टम होता है।

डोमेन नेम सिस्टम द्वारा इन्टरनेट डोमेन तथा हॉस्ट नेम को आई पी एड्रेस में बदला जाता है।

आई पी एड्रेस इन्टरनेट प्रोटोकॉल को उपयोग करने वाले कम्प्यूटर नेटवर्क में प्रयुक्त एक डिवाइस हेतु होता है।

आई पी एड्रेस स्थिर या अस्थिर हो सकता है।

इन्टरनेट प्रोटोकॉल के दो वर्जन आई वर्जन-4 तथा आई वर्जन-6 हैं ।

इलेक्ट्रॉनिक मेल को संक्षेप में ई-मेल कहा जाता है।

सूचना को प्राप्त करने, अन्तरित करने एवं सुपुर्द करने के साधन हेतु साधन के रूप में इलेक्ट्रॉनिक का उपयोग करते हुए टेक्सचरल सामग्री को एक स्थान पर भेजना ही ई-मेल है।

ई-मेल प्रणाली संदेश, डाक या प्रपत्रों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजने की एक विधि है । इसे इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी सिस्टम या इलेक्ट्रॉनिक डाक्यूमेन्ट डिस्ट्रीब्यूशन / कम्यूनिकेशन भी कहा जाता है।

ई-मेल इन्टरनेट व मेल सर्वर की सहायता से कार्य करता है। प्रापक तथा प्रेषक का एक ई-मेल एकाउन्ट या मेल- बाक्स होना चाहिए।

ई-मेल एस एम टी पी सॉफ्टवेयर पर कार्य करता है जिसका पूर्ण रूप सिम्पल मेल ट्रॉस्फर प्रोटोकॉल है।

वे मेल जो अपने गन्तव्य तक नहीं पहुँचते उन्हें प्रेषक के पास 'बाउन्स मेल' के रूप में वापस भेज दिया जाता है।

ई-मेल सेवा दो प्रकार की होती है

(i) पी ओ पी 3 (PoP3) - इस प्रकार की ई-मेल सेवा हेतु नेटस्केप मेसेज आउटलुक एक्सप्रैस, इन्टूरा आदि सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता हैं।

(ii) वेब आधारित सेवा (Web based Service) - इसमें मेल को इन्टरनेट ब्राउजर (Internet Browser) के माध्यम से भेजा जाता है। इसके लिए ई-मेल एकाउन्ट आवश्यक होता है। इस प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करने वाली वेब को www.yahoo.com; www.rediffmail.com आदि कहा जाता है।

वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web www) या वेब इन्टरनेट सर्वाधिक लोकप्रिय हाइपर टैक्स्ट आधारित इन्टरनेट उपकरण है।

www उपयोगकर्ताओं को प्रपत्र व ग्राफिक्स तक पहुँचने एवं प्रदर्शित करने की इजाजत देता है बशर्ते कि ये इन्टरनेट पर सर्वर में हों ।

स्टोर करने या टैक्स्ट या ग्राफिक्स को प्रदर्शित करने हेतु उपयोग किये जाने वाले प्रपत्रों को वेब पेज कहा जाता है। इस वेब पेज तक वेब ब्राउजर की सहायता से पहुँचा जाता है।

वेब ब्राउजर एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्ता का वेबसाइट से सम्बन्ध स्थापित करता है जिस पर टैक्स्ट या ग्राफिक्स को स्टोर किया जा सकता है।

इन्टरनेट पर उपलब्ध सेवाओं को नीचे बताया जा रहा है :

(i) वर्ल्ड वाइड वेब - यह अत्यन्त सरलतापूर्वक सेवाएँ देता है।

(ii) ई-मेल - इलेक्ट्रॉनिक मेल टेक्स्ट, ग्राफिक्स एवं डेटा को कम्प्यूटर द्वारा भेजने एवं पाने की आधुनिक विधि है ।

(iii) फाइल हस्तान्तरण - इन्टरनेट पर फाइल ट्रांस्फर प्रोटोकॉल (एफ टी पी) द्वारा एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर फाइलों को डाउनलोड किया जा सकता है। ऐसे कार्यक्रम शेयरवेयर (Shareware) कहलाते हैं।

(iv) बुलेटिन बोर्ड बुलेटिन - बोर्ड सम्प्रेषण के नये साधन हैं।

(v) समाचार समूह ( News Group) - न्यूज ग्रुप सेवायें इन्टरनेट पर प्रदान की जाती हैं।

(vi) चैट (Chat) - चैट ऑनलाइन सम्प्रेषण की विधि है। इसके लिए माइक्रोफोन एवं स्पीकर की आवश्यकता होती है।

(vii) - नेट मीटिंग -  नेट मीटिंग द्वारा डेटा को इन्टरनेट द्वारा भेजा जाता है। नेट मीटिंग द्वारा टैक्स्ट, साउण्ड एवं ग्राफिक्स को भेजा जा सकता है।

इन्टीग्रेटेड सर्विसेज डिजिटल नेटवर्क एक डिजिटल नेटवर्क है।

आई एस डी एन इन्टरनेशनल स्टैण्डर्ड इन्टरफेसेस, जोकि उपयोगकर्ता को डेटा एवं ध्वनि को डिजिटल फार्म में टेलीफोन लाइनों पर प्रेषित करने की इजाजत देता है, पर निर्भर करता है।

आई एस डी एन पाँच मुख्य सिद्धान्तों के आसपास घूमता है खुलापन, मॉड्यूलरिटी, कम्प्यूनिकेशन बेस्ड इन्टैलीजेन्स, नेटवर्क मैनेजमेन्ट एण्ड कन्ट्रोल एवं इन्टीग्रेटेड प्रोडक्ट्स एण्ड सर्विसेज ।

इन्टरनेट सर्फिंग - इन्टरनेट के माध्यम से सूचनाएँ पाने की सर्वाधिक लोकप्रिय विधि वेब है। वेबसाइट वे स्थान हैं जहाँ सूचनाएँ संग्रहीत होती हैं। इन दिनों बड़ी कम्पनियाँ, संगठन, संस्थाएँ, पत्र-पत्रिकाओं की अपनी वेबसाइट हैं।

किसी वेबसाइट का प्रथम पेज होम पेज कहलाता है। वेब पेज को एच टी एम एल (HTML - Hyper Text Markup Language) द्वारा बनाया जाता है।

मल्टीमीडिया टेक्स्ट, पिक्चर, ग्राफिक्स, ध्वनि, एनीमेशन एवं वीडियो का एक संयोग है जिसे कम्प्यूटर पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम द्वारा प्रकट किया जा सकता है।

मल्टीमीडिया का उपयोग करने हेतु अग्राँकित की आवश्यकता होती है-

(a) हाई मेमोरी क्षमता वाला कम्प्यूटर,
(b) हाई रिसॉल्यूशन कलर मॉनीटर,
(c) साउण्ड कार्ड,
(d) स्पीकर।

इनके अलावा कीबोर्ड, माउस, स्कैनर, जॉयस्टिक, ट्रेकबाल, ग्राफिक टेबलेट, डिजिटल कैमरा, डी वी डी, सीडी प्लेयर आदि की भी आवश्यकता होती है।

सर्च इंजन द्वारा इन्टरनेट पर वाँछित सूचनाएँ खोजी एवं प्राप्त की जाती हैं। सर्च इंजन इन्टरनेट पर ऑनलाइन सेवा है जोकि उपयोगकर्ता के अनुरोध पर वेब प्रपत्र को खोजता है।

विभिन्न वेबसाइट्स के सम्बन्ध में सूचना सर्च इंजनों पर उपलब्ध रहती है।

आई पी एड्रेस इन्टरनेट पर सर्वर का एड्रेस होता है। प्रत्येक सर्वर या हॉस्ट को 32  इन्टीगर संख्या दी जाती है जिसे आई पी एड्रेस कहा जाता है। यह 32 बिट संख्या आकार वाले 4 भागों में बँटी होती है। जैसे- डोमेन नेम - आई पी एड्रेस 161.24.56.100/ www.microsoft.com

डोमेन नेम को उपयोगकर्त्ता द्वारा उपयोग किया जाता है जबकि आई पी एड्रेस का उपयोग मशीन द्वारा किया जाता है।

डोमेन नेम एड्रेस को डोमेन नेम हॉस्ट एवं डोमेन नेम द्वारा बनाया जाता है। यह हॉस्ट के नाम के सम्बन्ध में सूचना देता है जैसे www.microsoft.com यह माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी का एड्रेस बताएगा । इसका आई पी एड्रेस मशीन के उद्देश्य से उपयोग किया जाता है। डोमेन नाम को अंग्रेजी में लिखा जाता है जबकि आई पी एड्रेस को संख्याओं में दिया जाता है ।

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