बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत : संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत : संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोगसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत - संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद
एक भाषा को दूसरी भाषा में परिवर्तित करने का नाम अनुवाद है। संस्कृत वाक्यों में कर्त्ता, क्रिया, कर्म आदि का स्थान क्रम स्थिर नहीं है । पद का अर्थ निश्चित होता है, इसलिए अपनी इच्छानुसार इन पदों को किसी भी स्थान पर रखा जा सकता है। यह संस्कृत भाषा की विशेषता है। जैसे राम पुस्तक पढ़ता है अर्थात् रामः पुस्तकं पठति, रामः पठति पुस्तकम्, पुस्तकम् पठति रामः यह कारक-प्रधान भाषा है।
अव्ययों को छोड़कर कोई भी शब्द या धातु ऐसी नहीं है जिसका बिना रूप चलाए प्रयोग किया जाता हो । अतः शुद्ध अनुवाद के लिए वचन, विभक्ति व पुरुष का ज्ञान अपेक्षित है। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय निम्नांकित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1. वाक्य में कर्ता कौन है ?
2. क्रिया किस लकार की है ?
3. कर्ता किस वचन को है ?
4. कर्ता किस पुरुष का है ?
5. कर्ता किस लिंग का है ?
संस्कृत में तीन बचन, तीन लिंग तथा तीन पुरुष होते हैं। जिनका संस्कृत अनुवाद में विशेष ध्यान रखना होता है।
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