बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मौखरी एवं उत्तर गुप्तों के सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
अथवा
मौखिरी - उत्तरगुप्त संघर्ष का अलोचनात्मक विवेचन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मौखरी तथा उत्तर गुप्तों के मैत्री सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
2. मौखरी तथा उत्तर गुप्त शासकों के मध्य संघर्ष को बताइये।
उत्तर-
मौखरी तथा उत्तर गुप्तों का सम्बन्ध
गुप्त साम्राज्य के विघटन के पश्चात् उत्तर भारत में जो शक्तियाँ स्वतन्त्र हुईं, उनमें कन्नौज के मौखरी तथा मगध और मालवा के उत्तर (परवर्ती) गुप्त विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन दोनों ही राजवंशों का इतिहास बहुत कुछ अंशों में एक-दूसरे से समानता रखता है। प्रारम्भ में दोनों ही सम्राट गुप्त वंश के सामन्त थे तथा उनके पारस्परिक सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण रहे। किन्तु जब दोनों ही स्वतन्त्र हुए तो उनका मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध युद्ध में परिणत हो गया जो छठी शताब्दी ईस्वी के द्वितीयार्ध की उत्तर भारत की प्रमुख घटना है।
मौखरी तथा उत्तर गुप्तों का मैत्री सम्बन्ध - प्रारम्भ में मौखरी तथा उत्तर गुप्त दोनों ही सम्राट गुप्त वंश के अधीन थे। तीन पीढ़ियों तक दोनों के सम्बन्ध मधुर बने रहे। मौखरी वंश का प्रथम शासक हरिवर्मा था जो लगभग 510 ईस्वी में शासन करता था। उसका समकालीन उत्तर गुप्त वंश का शासक कृष्णगुप्त हुआ जो उत्तर गुप्त वंश का संस्थापक राजा था। इस समय गुप्त साम्राज्य पतनोन्मुख था। अतः ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों ही शासकों ने एक-दूसरे के प्रभाव को बढ़ाने में सहयोग दिया होगा। असीरगढ़ लेख के अनुसार, उत्तर गुप्त नरेश कृष्णगुप्त ने अपनी कन्या हर्षगुप्त का विवाह मौखरी नरेश हरिवर्मा के पुत्र आदित्य वर्मा से किया था। इस सम्बन्ध से दोनों ही राजवंशों के सम्बन्ध और अधिक मृदुतापूर्ण हो गये।
मौखरी वंश का दूसरा राजा आदित्य वर्मा हुआ जो हरिवर्मा का पुत्र और उत्तराधिकारी था। उसका समकालीन उत्तर गुप्त शासक हर्षगुप्त था जो कृष्णगुप्त का पुत्र था। हर्षगुप्त की बहन का विवाह आदित्य वर्मा के साथ किया गया था अतः दोनों ही शासकों के सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण रहे।
मौखरी वंश का तीसरा शासक ईश्वरवर्मा हुआ और उसका समकालीन उत्तर गुप्त नरेश जीवित गुप्त प्रथम हुआ। असीरगढ़ मुद्रालेख से ज्ञात होता है कि ईश्वरवर्मा का विवाह जीवितगुप्त की बहन उपगुप्त से हुआ था जिससे दोनों वंशों के मधुर सम्बन्ध और भी घनिष्ठ हो गये थे।
इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रथम तीन राजाओं के काल तक मौखरी तथा उत्तर गुप्त राजवंशों के सम्बन्ध मित्रतापूर्ण बने रहे। यद्यपि दोनों राजवंश अपनी-अपनी शक्ति का विस्तार करने में लगे हुए थे तथापि दोनों ने एक-दूसरे के महत्व को समझा था।
मौखरी तथा उत्तर गुप्तों के मध्य संघर्ष - छठी शताब्दी के मध्यं गुप्त साम्राज्य के विखण्डन के फलस्वरूप विभिन्न भागों में नई-नई शक्तियों का उदय हुआ। इनमें मौखरी तथा उत्तर गुप्त भी थे। इस समय मौखरी शासक ईशानवर्मा तथा उत्तर गुप्त शासक कुमारगुप्त दोनों ही शासक साम्राज्य विस्तार की लालसा में एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी हो गये। अतः इस समय उनका तीन पीढ़ियों से चला आ रहा मैत्री सम्बन्ध संघर्ष में बदल गया।
मौखरी तथा उत्तर गुप्तों का प्रथम संघर्ष ईशानवर्मा तथा कुमारगुप्त के बीच हुआ जिसमें ईशानवर्मा की पराजय हुई तथा उसका परिणाम कुमारगुप्त के पक्ष में गया। कुमारगुप्त की इस विजय ने मौखरियों की साम्राज्यवादी आशाओं पर पानी फेर दिया। कुमारगुप्त का मगध के ऊपर अधिकार हो गया तथा उत्तर भारत में उसकी प्रभुसत्ता को चुनौती देने वाला कोई नहीं रहा।
ईशानवर्मा के पश्चात् उसका पुत्र सर्ववर्मा कन्नौज के मौखरी वंश की गद्दी पर बैठा। उधर उत्तर गुप्त वंश में दामोदरगुप्त ने अपने पिता कुमारगुप्त के पश्चात् सिंहासन प्राप्त किया। ऐसा अनुमान है कि सर्ववर्मा ने अपने पिता की पराजय का बदला लेने के लिए अपने उत्तर गुप्त प्रतिद्वन्द्वी दामोदरगुप्त पर आक्रमण किया। अफसढ़ के लेख के अनुसार इस युद्ध में विजयश्री मौखरी नरेश को ही मिली जिसके फलस्वरूप मगध पर उसका अधिकार स्थापित हो गया। मगध के मौखरी आधिपत्य में चले जाने से उत्तर गुप्तों का राज्य केवल मालवा क्षेत्र तक ही सीमित रह गया।
सर्ववर्मा के बाद उसका पुत्र अवन्तिवर्मा मौखरियों का राजा बना। उसका उत्तर गुप्त प्रतिद्वन्द्वी महासेनगुप्त था जो दामोदरगुप्त का पुत्र था। इतिहासकारों का मानना है कि मौखरियों के विरुद्ध अपनी स्थिति मजबूत करने के लिये ही महासेनगुप्त ने अपनी बहन महासेनगुप्ता का विवाह थानेश्वर के वर्धन नरेश राज्यवर्धन प्रथम के साथ कर दिया।
अवन्तिवर्मा के बाद उसका पुत्र ग्रहवर्मा कन्नौज के मौखरी वंश का राजा बना। इस समय तक मालवा में महासेनगुप्त की मृत्यु हो चुको थी तथा वहाँ देवगुप्त नामक व्यक्ति ने अधिकार स्थापित कर लिया था। देवगुप्त ने अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिये बंगाल के गौड़ नरेश शशांक के साथ सन्धि कर ली। हर्षचरित से ज्ञात होता है कि प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के साथ ही देवगुप्त ने कन्नौज पर आक्रमण कर ग्रहवर्मा को मार डाला। उसकी मृत्यु के साथ ही उसके राजवंश की स्वाधीनता का अन्त हो गया।
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- उत्तरमाला
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
- उत्तरमाला
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
- उत्तरमाला
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- उत्तरमाला
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- प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
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- प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
- उत्तरमाला
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- प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
- प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
- उत्तरमाला
- प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
- उत्तरमाला
- प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
- प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
- उत्तरमाला