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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2719
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

अध्याय - 5
प्रारूपण

प्रारूपण का अर्थ और सामान्य परिचय

प्रारूपण का शाब्दिक अर्थ - 'प्रारूपण' शब्द अंग्रेजी की 'ड्राफ्टिंग' (Drafting) शब्द . के लिए प्रयुक्त किया गया है। हिन्दी में इसके लिए प्रलेख, आलेख, प्रारूप, मसौदा आदि शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है। प्रलेखन, आलेखन, प्रारूपण आदि प्रारूप के ही क्रियात्मक शब्द हैं।

प्रारूपण का सामान्य परिचय - प्रारूपण कार्यालयों में प्रयुक्त होने वाले पत्राचार की एक प्रक्रिया है। इसका अभिप्राय सरकारी कार्यवाही में प्रयुक्त होने वाले पत्र, सूचना आदि का कच्चा चिट्ठा या रूप तैयार करने से है। इसे तैयार करना स्वेच्छा पर निर्भर नहीं करता, बल्कि आधिकारिक तौर पर दिए गए संकेत, निर्देश आदि के आधार पर प्रारूपण तैयार किया जाता है। संक्षेप में प्रारूपण का अर्थ है - सरकारी कार्यालयों में पत्र, परिपत्र एवं सूचना आदि का प्रारम्भिक कच्चा रूप तैयार करना; जो लिपिक या कनिष्ठ अधिकारी द्वारा तैयार किया जाता है। कभी-कभी जटिल विषय होने पर या अंतिम महत्त्वपूर्ण होने पर इसको उच्चाधिकारी द्वारा भी तैयार किया जाता है। प्रारूप तैयार हो जाने के पश्चात् इसे अनुमोदन के लिए उच्चाधिकारी के पास भेजा जाता है। वहाँ से अनुमोदन प्राप्त हो जाने के पश्चात् इसका संशोधित रूप टंकित, मुद्रित करा लिया जाता है।

प्रारूपण की परिभाषा - जैसा कि उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है कि 'प्रारूपण' अथवा 'आलेखन' अंग्रेजी शब्द 'ड्राफ्टिंग' के पर्याय के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। ड्राफ्टिंग का अर्थ है-किए जाने वाले कार्य की रूपरेखा, ढ़ाँचा बनाना या मसौदा तैयार करना । इस प्रकार " समस्त ज्ञात सूचनाओं के आधार पर किसी पत्रादि की प्रारम्भिक रूपरेखा, जिसे अनुमोदन के बाद अन्तिम रूप दिया जाता है, के तैयार करने की प्रक्रिया को प्रारूपण या आलेखन कहा जाता है।"

प्रारूपण की उपयोगिता

सरकारी कार्यालयों, गैर-सरकारी कार्यालयों की दैनन्दिन कार्यवाही को दृष्टिगत रखते हुए प्रारूपण के महत्त्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पत्र - व्यवहार में तथा सरकारी कार्यालयों एवं व्यावसायिक संस्थानों में इसकी आवश्यकता होती है। सरकारी तथा महत्त्वपूर्ण गैर-सरकारी कार्यालयों के विभिन्न प्रभागों में इसी के माध्यम से कार्य किया जाता है।

प्रारूपण निम्नलिखित के मध्य पत्र-व्यवहार में प्रयुक्त होता है-

1. एक मन्त्रालय से दूसरे मन्त्रालय को लिखे जाने वाले पत्र - प्रपत्र को तैयार करने के लिए।
2. केन्द्रीय सरकार के द्वारा राज्य सरकारों को लिखे जाने वाले पत्र - प्रपत्र को तैयार करने के लिए।
3. राज्य सरकारों द्वारा अपनी विभिन्न क्षेत्रीय प्रशासनिक इकाइयों को लिखे जाने वाले पत्र- प्रपत्र, सूचना एवं आदेश आदि को तैयार करने के लिए।

प्रारूपण - लेखन की विधि / पद्धति

आलेखन या प्रारूपण का मूल आधार टिप्पण होता है। सर्वप्रथम किसी कार्यालय या विभाग में दूसरे कार्यालय या विभाग से पत्र प्राप्त होता है। यह पत्र अन्य पत्रों के साथ रिकॉर्ड सेक्शन में रिकॉर्ड किया जाता है। तत्पश्चात् इसे सम्बन्धित अनुभाग (सेक्शन) में भेज दिया जाता है। अधिक महत्त्वपूर्ण पत्र वरिष्ठ अधिकारी को भेज दिए जाते हैं। इस विषय अथवा आवेदन प्रतिवेदन से सम्बन्धित कर्मचारी उस विषय अथवा आवेदन पर अपनी टिप्पणियाँ देते हैं। तत्पश्चात् कुशल अधिकारी के निर्देशन में लिपिक आदि उन अंकित टिप्पणियों के आधार पर प्रारूप तैयार करते हैं।

स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

1. पत्र से सम्बन्धित सभी मुख्य बातों का उचित क्रम में उल्लेख करना चाहिए।

2. फाइल में की गई नोटिंग टिप्पण पर आधारित होनी चाहिए।

3. सन्दर्भ का उचित उल्लेख भी अनिवार्य है।

4. जिन नियमों का उल्लेख किया गया हो, उनके विषय में तथ्यपूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए।

5. निष्कर्ष रूप में कही गई बात विशेष महत्वपूर्ण होती है, जिस पर आगे का पत्राचार निर्भर करता है।

6. दो पंक्तियों के बीच पर्याप्त स्थान छोड़ देना चाहिए। इसका टंकण डबल स्पेस में किया जाता है, जिससे संशोधन हेतु पर्याप्त स्थान मिले।

7. पत्र के स्थान यदि पूर्व पत्र, आदेश या विवरण की प्रति हो तो उसका स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। पहले से उसकी प्रतियाँ तैयार कर संलग्नक के रूप में लगानी चाहिए।

8. पहले अनुच्छेद को छोड़कर शेष में अनुच्छेद संख्या लिखी जानी चाहिए। प्रत्येक अनुच्छेद में अलग-अलग मुद्दे व उन पर टिप्पणी होनी चाहिए।

9. यदि पत्र पर तत्काल कार्यवाही अपेक्षित हो तो उस पर ऊपर 'तत्काल' या 'सर्वप्रथम शब्द लिख देना चाहिए अथवा 'सर्वप्रथम' की पर्ची लगा देनी चाहिए।

10. अनुमोदन के लिए पत्र पर पर्ची लगाकर ही उसे प्रस्तुत करना चाहिए।

11. अनुमोदन के बाद प्रारूप को टंकित रूप में या हाथ से स्वच्छ प्रति के रूप में तैयार कर हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत करना चाहिए। कार्यालय प्रति पर संक्षिप्त हस्ताक्षर तथा स्वच्छ प्रति पर पूर्ण हस्ताक्षर करवाना चाहिए ।

12. प्रारूप की कार्यालय प्रति में खाली स्थान पर प्रारूप - लेखक को पत्र की वे अतिरिक्त प्रतियाँ भी दर्ज कर लेनी चाहिए, जिन्हें सम्बन्धित अधिकारियों / कार्यालयों को भेजा गया है।

13. अधिकारी के आदेश हो जाने पर स्वच्छ प्रति जारी कर देनी चाहिए और निरर्थक सहपत्र हटा देने चाहिए। अगर प्रारूप तैयार करते समय वाले सहपत्र की भविष्य में आवश्यकता पड़ने की सम्भावना हो तो उसे फाइल में नीचे सुरक्षित रख लेना चाहिए।

14. पत्र के उत्तर के लिए यदि कोई तिथि निर्धारित हो तो उसका ध्यान रखना चाहिए। यदि उत्तर निश्चित तिथि के बाद विलम्ब से भेजा जा रहा है तो उसका सकारण उल्लेख है कर देना चाहिए।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 कार्यालयी हिन्दी का स्वरूप, उद्देश्य एवं क्षेत्र
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 कार्यालयी हिन्दी में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावली
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 संक्षेपण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 पल्लवन
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 प्रारूपण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 टिप्पण
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 कार्यालयी हिन्दी पत्राचार
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 हिन्दी भाषा और संगणक (कम्प्यूटर)
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 संगणक में हिन्दी का ई-लेखन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 हिन्दी और सूचना प्रौद्योगिकी
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 भाषा प्रौद्योगिकी और हिन्दी
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

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