बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन
प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक -
सम्प्रेषण-प्रक्रिया के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं
(1) सम्प्रेषण के लक्ष्य - प्रायः लक्ष्य के अनुरूप ही संदेश तय किया जाता है। यदि संदेश त्वरित देना है, तब त्वरित माध्यम, यथा - तार, फोन, फैक्स और तद्नुसार ही भाषा संक्षिप्त, परन्तु अर्थ को स्पष्ट करने वाली होगी। सैनिक संदेश कूटभाषा में हो सकता है। यदि कोई आदेश देना है तो भाषा भी आदेशात्मक होगी। यदि उच्च अधिकारी को संदेश भेजना है तो स्पष्ट एवं विस्तृत संदेश दिया जाना चाहिए।
(2) सम्प्रेषक - संदेश भेजने वाला सम्प्रेषक कहलाता है जो मूलतः संदेश का कारण होता है। संदेश भेजने वाला व्यक्ति समूह संगठन या सरकार हो सकता है। वह उच्च अधिकारी से लेकर समान पद पर आसीन या निम्नाधिकारी भी हो सकता है। सम्प्रेषक जितना महत्त्वपूर्ण होगा, संदेश का महत्व उतना ही अधिक होगा। संदेश प्रेषक की स्थिति व विश्वसनीयता संदेश के महत्व को कम या अधिक कर सकता है।
(3) संदेश प्राप्तकर्त्ता - संदेश की सही समझ के लिए संदेश भेजने वाले की स्थिति, संदेश भेजने वाले व्यक्ति के प्रति संदेश पाने की धारणा, पूर्व पृष्ठभूमि या अनुभव तथा अन्य संदर्भ प्रभाव डाल सकते हैं। अविश्वसनीय प्रेषक के संदेशों अथवा संदिग्ध संदेशों को प्रायः संदेश प्राप्तकर्ता अस्वीकृत कर देता है।
(4) संदेश - श्रृंखलाएँ - संदेश- सम्प्रेषण में अनेक प्रकार की शृंखलाएँ ( चैनल) अपनानी होता है। जब संदेश उच्च अधिकारी द्वारा संगठन के निम्न स्तर पर आसीन व्यक्ति को भेजा जाता है तब ऊपर से नीचे की श्रृंखला, जब संगठन में कार्यरत समान स्तर के व्यक्ति को संदेश दिया जाता है तब क्षैतिज श्रृंखला और जब निचले स्तर से संदेश भेजा जाता है तब यह नीचे से ऊपर संदेश श्रृंखला होती है। इनके अतिरिक्त प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष, चक्रीय व क्रमिक प्रकार की भी श्रृंखलाएँ होती हैं जिन्हें प्रबन्धक आवश्यकतानुसार संदेश- सम्प्रेषण में अपनाता है।
(5) संदेश की विषयवस्तु - संदेश की विषयवस्तु उद्देश्यानुरूप होती है। गोपनीय उद्देश्य का संदेश - विषयवस्तु आम संदेश की विषयवस्तु से भिन्न होगा। इसी प्रकार प्रशासनिक उद्देश्य से भेजे गये संदेश, जब सामान्य के लिए प्रसारित विषयवस्तु से सर्वथा भिन्न होंगे। जहाँ अनुसंधान या गवेषणापूर्ण संदेश संक्षिप्त, स्पष्ट एवं प्रकार्थी होगा, वहीं साहित्यिक संदेश व्यापक, बहुअर्थी, लक्षणा या व्यंजना की अभिव्यक्ति शैली में हो सकता है जिससे विषयवस्तु (अर्थ) भिन्नता लिये हो सकती है।
(6) संदेश माध्यम - संदेश सम्प्रेषण के लिए संदेश भेजने वाला (प्रबंधक) अनेक माध्यम अपनाता है। एक प्रबन्धक कभी व्यक्तिगत, लिखित, कभी मौखिक, कभी नोटिस बोर्ड पर, आम सूचना पत्र वाहक द्वारा, पत्र-वाहक पुस्तिका द्वारा तथा त्वरित संदेश तार द्वारा भेजता है। व्यापक संदेश, प्रसारार्थ वह रेडियो एवं टेलीविजन का भी सहारा ले सकता है।
(7) संदेश की भाषा - विषयवस्तु के समान सम्प्रेषण की भाषा भी उद्देश्यानुरूप भिन्न-भिन्न और विविधता लिये हो सकती है। सैनिक या गोपनीय प्रशासनिक भाषा कूटभाषा (कोड) में भी हो सकती है, जिसे सम्बन्धित व्यक्ति ही समझ सकता है। इसके अतिरिक्त यह भी देखा जाता है कि संदेश पाने वाला किस भाषा एवं किस भाषाई स्तर को समझ सकता है। संदेश की भाषा आवश्यकतानुसार पारम्परित व विशिष्ट भी हो सकती है।
सम्प्रेषण के स्तर
इस समय शिक्षा - प्रशासन और शिक्षा प्रबंधन में सम्प्रेषण की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है। शिक्षा प्रबन्ध के सभी स्तरों पर सम्प्रेषण आवश्यक हो गया है। कक्षा प्रबंध से लेकर विद्यालय के प्रशासन तथा प्रबंधन स्तर तक सम्प्रेषण का उपयोग किया जाता है।
विद्यालय प्रशासन और प्रबन्धन में उपयोगिता की दृष्टि से सम्प्रेषण के निम्नलिखित चार स्तर हैं -
(1) कक्षा के अन्तर्गत सम्प्रेषण ( शिक्षक एवं छात्रों के मध्य )
(2) विद्यालय स्तरीय सम्प्रेषण (प्रधानाचार्य एवं अध्यापकों के मध्य )
(3) प्रबंधन स्तरीय सम्प्रेषण (प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य के मध्य )
(4) प्रशासनिक स्तरीय सम्प्रेषण (प्रधानाचार्य एवं शिक्षाधिकारियों के मध्य)
(1) कक्षा के अन्तर्गत सम्प्रेषण - कक्षा के अन्तर्गत सम्प्रेषण छात्र तथा अध्यापक के बीच में होता है जिसे अन्तः क्रिया कहते हैं। यद्यपि कि इस सम्प्रेषण में अध्यापक की भूमिका प्रमुख होती है, परन्तु अधिगम की दृष्टि से छात्र का क्रियाशील होना अधिक आवश्यक और महत्वपूर्ण होता है। कक्षा के अंतर्गत सम्प्रेषण में तीन घटक सम्मिलित होते हैं
(1) पाठ्यवस्तु,
(2) शिक्षण - विधि तथा
(3) शिक्षण सहायक सामग्री।
इसी प्रकार कक्षा के अंतर्गत सम्प्रेषण में चार प्रक्रियाएँ प्रमुख होती हैं -
(1) पढ़ना,
(2) लिखना,
(3) बोलना और
(4) सुनना।
पढ़ना और लिखना मुद्रित सम्प्रेषण की तथा बोलना और सुनना मौखिक सम्प्रेषण की क्रियाएँ हैं। कक्षान्तर्गत सम्प्रेषण प्रक्रिया का स्वरूप प्रस्तुत रेखाचित्र से स्पष्ट है -
शिक्षण द्वारा छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन होता है। व्यवहार परिवर्तन से ही उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है। एक कुशल शिक्षक छात्रों के लिए अधिगम परिस्थितियों का निर्माण करता है जिनके द्वारा उनके व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाया जा सके।
अधिगम परिस्थितियाँ उत्पन्न करने के लिए निम्नलिखित साधनों का प्रयोग किया जाता है -
(i) समुचित युक्तियों का चयन
(ii) समुचित सम्प्रेषण आव्यूहों का चयन।
(iii) समुचित दृश्य-श्रव्य सामग्री का चयन।
समुचित युक्तियों का चयन कार्य - विश्लेषण तथा उद्देश्यों पर आधारित होता है। प्रत्येक अधिगम परिस्थिति के लिए भिन्न-भिन्न शिक्षण युक्तियाँ प्रयुक्त की जाती हैं। जैसे- संकेत अधिगम में छात्र को विशिष्ट उद्दीपन मिलने पर वह विशिष्ट अनुक्रिया करता है। यदि वह गलत अनुक्रिया करता है, तो सही अनुक्रिया का पुनर्बलन प्राप्त होने पर गलत अनुक्रिया को छोड़ देता है। इसी प्रकार श्रृंखला अधिगम, बहुभेदीय अधिगम, प्रत्यय-अधिगम और सिद्धान्त - अधिगम की परिस्थिति में भी समुचित युक्तियों का प्रयोग किया जाता है।
समुचित सम्प्रेषण आव्यूहों के चयन में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि पाठ्य-वस्तु के प्रस्तुतीकरण को प्रभावशाली बनाने के लिए सम्प्रेषण का क्या रूप होना चाहिए? इस दृष्टि से अनुदेशन में दो प्रकार का सम्प्रेषण प्रस्तुत किया जाता है मौखिक सम्प्रेषण और लिखित सम्प्रेषण। मौखिक सम्प्रेषण में गद्य सम्प्रेषण और अन्वेषण सम्प्रेषण को सम्मिलित किया जाता है तथा लिखित सम्प्रेषण में एलगोरदिमस तथा निर्णय तालिका सम्मिलित हैं।
अधिगम की सम्पूर्ण परिस्थिति को प्रभावशाली बनाने के लिए दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री का प्रयोग किया जाता है। समुचित दृश्य-श्रव्य के चयन से छात्रों के लिए पाठ रोचक हो जाता है और वे सफल अधिगम में तत्परतापूर्वक प्रवृत्त होते हैं। इस समय कक्षा में चित्र, मानचित्र के साथ फिल्म प्रोजेक्ट, वीडियो टेप, दूरदर्शन आदि हार्डवेयर उपागमों ने सम्प्रेषणों को अत्यधिक प्रभावशाली बना दिया है।
(2) विद्यालय स्तरीय सम्प्रेषण - विद्यालय स्तरीय सम्प्रेषण विद्यालय के प्रधानाचार्य और अध्यापकों के मध्य होता है। इसमें भी विद्यालय के प्रधानाचार्य की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि उसे अनेक दायित्वों का निर्वाह करना पड़ता है। विद्यालय के संचालन में प्रायः प्रधानाध्यापक मौखिक तथा लिखित सम्प्रेषण की सहायता लेते हैं। भारत के अधिकांश विद्यालयों में इसी प्रकार की सम्प्रेषण स्थिति प्रधानाचार्यों की है। कक्षा शिक्षण का पर्यवेक्षण, अध्यापकों के साथ बैठक, विद्यार्थियों को सम्बोधन, अभिभावकों के साथ सम्पर्क आदि में प्रधानाध्यापक मौखिक तथा लिखित सम्प्रेषण की सहायता लेते हैं।
भारत में बहुत कम विद्यालय ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है। जिन विद्यालयों की आर्थिक स्थिति है वे सम्प्रेषण माध्यमों का उपयोग करते हैं। सामूहिक प्रार्थना सभा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि में माइक और स्पीकर की व्यवस्था के कारण सम्प्रेषण प्रभावशाली और सर्वश्रव्य हो जाता है। जहाँ कक्षाओं में स्पीकर तथा कैमरा लगा हुआ है, वहाँ प्रधानाचार्य इन माध्यमों की सहायता से अपने कक्ष में बैठे ही बैठे पर्यवेक्षण का काम पूरा कर लेता है और समुचित आदेश/निर्देश दे देता है। विद्यालय के नियंत्रण तथा संचालन में सम्प्रेषण माध्यमों के उपयोग से बहुत सहायता मिलती है। जो शिक्षा संस्थाएँ उच्च स्तरीय हैं, जैसे- केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सी. बी. एस. ई. बोर्ड से सम्बद्ध संस्थाएँ हैं। इनमें प्रधानाचार्य द्वारा सम्प्रेषण के बहुमाध्यम आयामों का उपयोग किया जाता है। सम्प्रेषण माध्यमों के उपयोग से प्रधानाचार्य की कार्यकुशलता बढ़ जाती है।
(3) प्रबंध स्तरीय सम्प्रेषण - अशासकीय विद्यालयों में विद्यालय नियोजन तथा विकास का उत्तरदायित्व प्रबंधक का होता है। प्रधानाचार्य स्वयं प्रबंध समिति का पदेन सदस्य होता है। प्रबंध तंत्र के संचालन में लिखित तथा मौखिक सम्प्रेषण की आवश्यकता होती है। प्रभावी सम्प्रेषण हेतु माध्यमों का उपयोग करने से प्रबंधन की कुशलता में वृद्धि होती है।
प्रबंधन के विकास हेतु अनुदेशनात्मक प्रारूप का उपयोग किया जाता है। प्रणाली - विश्लेषण से संस्था की प्रथा का आकलन किया जाता है। इससे प्रबन्ध के उद्देश्यों की प्राप्ति का बोध होता है। प्रबंधन प्रणाली के अन्य घटकों-प्रशिक्षण मनोविज्ञान तथा सम्प्रेषण मनोविज्ञान की प्रभावशीलता का बोध होता है। सम्प्रेषण मनोविज्ञान के अन्तर्गत विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जाता है और उनका मूल्यांकन किया जाता है। प्रबन्धतंत्र में सम्प्रेषण मनोविज्ञान का विशेष महत्व है जिससे प्रबन्धन तंत्र का विकास एवं सुधार वैज्ञानिक आधार पर किया जाता है। प्रबन्धन प्रणाली में बहुमाध्यम आयामों का उपयोग किया जाता है। आज विद्यालय के आलेखों में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाने लगा है। कम्प्यूटर सम्प्रेषण का मुद्रित तथा अमुद्रित माध्यम है। विद्यालय प्रबन्धन की कार्य कुशलता को कम्प्यूटर तथा अन्य माध्यमों के उपयोग से प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
(4) प्रशासनिक स्तरीय सम्प्रेषण - प्रशासनिक स्तर पर सम्प्रेषण प्रधानाध्यापक तथा शिक्षा- प्रशासन के अधिकारियों के मध्य होता है।
प्रधानाध्यापक को सदैव जिला विद्यालय निरीक्षक, संयुक्त शिक्षा निदेशक, सचिव माध्यमिक परिषद के साथ पत्र-व्यवहार करना पड़ता है। आगत-पत्रों का त्वरित उत्तर भेजना, समय-समय पर आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त करना आदि कार्य उसे तत्परतापूर्वक करने होते हैं जो उसकी सम्प्रेषण कुशलता के परिचायक होते हैं।
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- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
- प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
- प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
- प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
- प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
- प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
- प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
- प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
- प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
- प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
- प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
- प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
- प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
- प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
- प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
- प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
- प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
- प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )