बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन
प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्त
शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्त निम्नलिखित हैं
(1) व्यक्ति की महत्ता का सिद्धान्त - शिक्षा 'फाईल केन्द्रित' न होकर व्यक्ति केन्द्रित होनी चाहिए, जिसके लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा द्वारा व्यक्तियों के शारीरिक, मानसिक, भावात्मक, आध्यात्मिक और सौन्दर्यात्मक गुणों का विकास किया जाये। बालक की प्राकृतिक शक्तियों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा रुचियों आदि का ज्ञान प्राप्त कर विद्यालयों के पाठ्यक्रमों, समय सारणी, शिक्षण विधियाँ, शैक्षिक सामग्री, साज-सज्जा, फर्नीचर आदि का प्रबन्ध करने से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास सम्भव है। इसके अतिरिक्त शैक्षिक प्रशासकों की क्षमताओं तथा रुचियों आदि का विकास करने से उनकी भी कार्यकुशलता का विकास होगा।
(2) सामाजिक तथा राष्ट्रीय हित का सिद्धान्त - मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वहु सामाजिक बंधनों के जाल में फँसा रहता है। बालक अपने सामाजिक वातावरण के मध्य में रहकर अपना सर्वांगीण विकास करता है। इसलिए प्रशासक का यह महान् कर्तव्य हो जाता है कि वह विद्यालयों का संगठन राष्ट्रीय तथा सामाजिक वातावरण के उद्देश्यों, आदर्शों, क्रियाओं, भागों तथा उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर करे जिससे समाज और राष्ट्र की उन्नति सम्भव हो सके। उसके दैनिक कार्यक्रमों को भी उन्हीं के अनुसार नियोजित करे। इस सत्य की पुष्टि में कोठारी कमीशन ने अपनी सिफारिश में लिखा है- "शिक्षा में सबसे प्रमुख और आवश्यक सुधार यह है कि उसको परिवर्तित करके व्यक्तियों के जीवन, आवश्यकताओं, आकांक्षाओं से इसका सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयत्न किया जाये और इस प्रकार इसको उस सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन का शक्तिशाली साधन बनाया जाये जो राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक है। "
(3) प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप का सिद्धान्त - शिक्षा का सारा कार्यक्रम तथा योजनाएँ देश के ढाँचे के आधार पर आधारित होती हैं। हमारा समाज जनतांत्रिक है। अतः शैक्षिक प्रशासक को समाज के राजनीतिक ढाँचे के अनुरूप ही अपने उद्देश्यों, कार्यक्रमों, योजनाओं तथा नीतियों को अपनाना चाहिए, तभी योजनाएँ सफल होंगी तथा देश और समाज को लाभ पहुँचेगा और लोगों की आस्था भी उनमें रहेगी। अन्यथा वे सब कोरी कल्पना के समान नष्ट-भ्रष्ट हो जायेंगी। इसलिए समानता और स्वतंत्रता के मूल सिद्धान्तों का पालन करें जिससे छात्र, अध्यापक तथा प्रशासक अपना कार्य भली प्रकार निभा सकें और समाज के विकास से सम्बन्धित सभी व्यक्तियों के ऊपर उत्तरदायित्व हो जिससे वे अपने को सम्मानित समझें और कार्य में रुचि लें अन्यथा समाज की प्रगति नहीं हो पायेगी।
(4) शिक्षा दर्शन पर आधारित - शिक्षा प्रशासन उचित शिक्षा दर्शन पर आधारित होना चाहिए। दर्शन शिक्षा प्रशासन का पथ-प्रदर्शक है तथा उद्देश्यों का निर्धारण करता है जिसके आधार पर विद्यालय का मार्गदर्शन होता है जिससे वह उचित वातावरण उपस्थित कर अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।
(5) क्षमताओं के अनुसार कार्य विभाजन का सिद्धान्त - प्रजातांत्रिक समाज में सबसे कठिन कार्य क्षमता के अनुसार कार्य विभाजन करना है। यदि इस कार्य को भली प्रकार न किया गया तो वह समाज शिक्षा जगत् में कभी प्रगति नहीं कर सकेगा। अतः शैक्षिक प्रशासक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य हो जाता है कि शिक्षा से सम्बन्धित जैसे- प्रधानाचार्य, शिक्षक तथा प्रबन्धक आदि की क्षमता के अनुसार कार्य विभाजन करे जिससे वे लोग अपने-अपने कर्तव्यों को पूर्ण रूप से निभायें और यह तभी सम्भव होगा जबकि कार्य उनकी रुचियों, रुझान, योग्यता, क्षमताओं तथा उनके सम्मान व साथ मान-मर्यादा बनाये रखने वाले हों जिससे किसी प्रकार
(6) प्रयासों के समन्वय का सिद्धान्त - विद्यालय का प्रबन्ध इस प्रकार का होना चाहिए कि जितने व्यक्ति विद्यालयों से सम्बन्धित जैसे प्रबन्धक, प्रधानाचार्य, अध्यापक, कार्यकारिणी के सदस्य, लिपिक तथा छात्र आदि सभी एकजुट होकर समन्वित रूप से विद्यालय के लाभ के लिए प्रयत्न करें जिससे स्कूल का सर्वांगीण विकास हो सके। अलग-अलग ढंग से काम करने से किसी को भी सफलता न मिलेगी और विद्यालय का अहित होगा और उसका उत्तरदायी कोई न होगा, क्योंकि सब प्रयत्न भिन्न-भिन्न होंगे और स्कूल अपने उद्देश्यों की प्राप्ति कभी प्राप्त न कर पायेगा, क्योंकि 'United we Stand divided we fall. '
(7) सम्पूर्ण विद्यालय के विकास का सिद्धान्त - स्कूल के प्रबन्धकों का यह प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए कि विद्यालय का विकास एकांगी न होकर सर्वांगीण हो। यदि ऐसा दृष्टिकोण न रखा गया तो विद्यालयों में ईर्ष्यापूर्ण भावना जाग्रत हो जायेगा जिससे सम्पूर्ण विद्यालय का पतन हो जायेगा और वह अपने उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर पायेगा। अतः किसी कार्यक्रम को बनाने में यह ध्यान रखना चाहिए कि स्कूलों का सम्पूर्ण विकास हो।
(8) बालक प्रधान शैक्षिक प्रशासन का सिद्धान्त - मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुसार सारा शैक्षिक ढाँचा बालक प्रधान होता जा रहा है जिसका अर्थ यह हुआ है कि आधुनिक शिक्षा 'फाइल केन्द्रित' न होकर बाल-केन्द्रित हो गयी है, क्योंकि मनोविज्ञान की सहायता से अब बालक के मानसिक तथा प्राकृतिक शक्तियों का पूरा ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं, जैसे उसकी मूल प्रवृत्तियों, बुद्धि - लब्धि (IQ) क्षमताओं, रुचियों, योग्यता, स्मृति, कल्पना शक्ति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और तब विद्यालयों को पाठ्यक्रम, पाठन विधि, समय विभाग चक्र, पाठ्य-पुस्तकें, शैक्षिक- उपकरण, फर्नीचर आदि उसी के अनुसार बनायी जायें जिससे बालक का सर्वांगीण विकास हो, जो कि आज की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।
(9) परिवर्तनशील आवश्यकताओं के अनुकूलन का सिद्धान्त - परिवर्तन प्रकृति का नियम है। इसलिए शैक्षिक प्रशासन को समय के परिवर्तन के साथ शैक्षिक कार्यक्रमों, उद्देश्यों, नीतियों तथा योजनाओं आदि के समय के साथ परिवर्तित करता चले। उनमें रूढ़िवादिता न हो अन्यथा न केवल शिक्षा वरन् सम्पूर्ण देश और समाज पिछड़ा रह जायेगा और दूसरे समाज तथा देश की उन्नति करते जायेंगे। इस प्रकार की पुरानी शिक्षा हमारे समाज को नर्क में ढकेल देगी। अतः आवश्यकता और समाज के साथ हमारे शैक्षिक जगत् में भी परिवर्तन होना चाहिए। इसलिए हमारी नीतियाँ बड़ी परिवर्तनशील तथा लचीली होनी चाहिए जिससे यदि आवश्यकता हो तो स्थिर रखें अन्यथा परिवर्तित किया जा सके।
(10) स्वास्थ्य कुशलता तथा चरित्र निर्माण का सिद्धान्त - सभी विद्यालयों का प्रमुख सिद्धान्त है कि वे विद्यार्थियों का अच्छा स्वास्थ्य, सामाजिक तथा व्यावसायिक कुशलता तथा चरित्र- निर्माण का प्रबन्ध करें क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। इसके लिए स्कूलों में खेल-कूद, पी. टी., शारीरिक व्यायाम, दोपहर का नाश्ता, समय-समय पर डॉक्टरी निरीक्षण, सफाई का प्रबन्ध हो।
(11) शक्ति का विकेन्द्रीकरण - आज का युग प्रजातंत्र का युग है जिसमंद समाज के सभी व्यक्ति बराबर हैं और वे विद्यालयों के विकास में अपना सहयोग प्रदान कर सकते हैं जो तभी संभव * होगा जबकि विद्यालयों का प्रशासन न केवल प्रबन्धक के हाथों में एकमात्र हो वरन् समाज के सभी वर्गों तथा व्यक्तियों के कन्धों पर कुछ न कुछ उत्तरदायित्व अवश्य होना चाहिए जिससे उसको अपना समझकर तन, मन, धन से उसकी सेवा कर सकें। अतः शक्तियों का विकेंद्रीकरण कर देना चाहिए न कि सारी शक्तियाँ केवल एक ही व्यक्ति के हाथों में हों जिससे अभिभावक बालकों तथा सभी को अपने-अपने सुझाव देने के समान अधिकार प्राप्त हों तथा विद्यालयों का प्रशासन एक आदर्श तथा सुचारू पूर्ण ढंग से होगा।
अतः विद्यालयों के प्रबन्ध के लिए उपर्युक्त सभी सिद्धान्तों को अपनाया जाये जिससे छात्रों को एक कुशल तथा योग्य नागरिक बनाया जा सके। विद्यालयों को एक जनतांत्रिक आधार पर आधारित होना चाहिए जो हमारे समाज में आजकल नहीं है। इसीलिए शिक्षा के क्षेत्र में हमारा देश पिछड़ा हुआ है।
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- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
- प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
- प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
- प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
- प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
- प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
- प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
- प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
- प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
- प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
- प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
- प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
- प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
- प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
- प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
- प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
- प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
- प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
- प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
- प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
- प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
- प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )