बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
इकाई : 2
लिंग का सामाजिक निर्माण
[Social Construction of Gender]
अध्याय 6 - परिवार एवं स्कूल में समाजीकरण
[Socialization in Family and School]
प्रश्न- समाजीकरण का अर्थ बताते हुए इसकी परिभाषाओं का भी वर्णन कीजिए। तथा समाजीकरण की प्रक्रिया में शिक्षकों काक्या योगदान है?
लघु उत्तरीय प्रश्न
- बोगार्डस महोदय द्वारा दी हुई समाजीकरण की परिभाषा दीजिए।
- समाजीकरण की प्रक्रिया में शिक्षकों के योगदान की चर्चा करें।
उत्तर-
"समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बालक अपने समाज में स्वीकृत ढंगों को अपने व्यक्तित्व का एक अंग बना लेते हैं।"
समाजीकरण का अर्थ एवं परिभाषा
जन्म के समय मानव शिशु मात्र एक प्राणिशास्त्रीय अथवा जैविकीय इकाई के रूप में होता है। इस समय वह रक्त, मांस एवं हड्डियों से बना एक जीवित पुतला मात्र होता है। उसमें कोई भी सामाजिक गुण नहीं होता। समाज के रीति-रिवाजों, प्रथाओं, मूल्यों एवं संस्कृति से वह अनभिज्ञ होता है किंतु वह कुछ शारीरिक क्षमताओं के साथ जन्म लेता है इन क्षमताओं के कारण भी वह बहुत कुछ सीख लेता है, समाज का क्रियाशील सदस्य बन जाता है एवं संस्कृति को ग्रहण करता है। सीखने की यह क्षमता व्यक्ति में समाज में रहने तथा समाज के अन्य लोगों के साथ संबंध स्थापित करने में सहायता करती है। फ्रेंकफर्टशायर प्रणाली से समाजीकरण को समझाया जाता है। समाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा मानव पशु स्तर से ऊंचा उठकर मानव की संज्ञा प्राप्त करता है।
समाजीकरण की परिभाषा
समाजीकरण की प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं—
बोगार्डस "समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग मानव कल्याण के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होकर व्यवहार करना सीखते हैं और ऐसा करने से सामाजिक आत्म-नियंत्रण, सामाजिक उत्तरदायित्व तथा संतुलित व्यक्तित्व का अनुभव होता है।"
ग्रीन "समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक सांस्कृतिक विशेषताओं, आत्मपन और व्यक्तित्व को प्राप्त करता है।"रॉस "समाजीकरण सहायता करने वाले व्यक्तियों में हम की भावना का विकास करता है और उनमें एक साथ कार्य करने की इच्छा तथा क्षमता में वृद्धि करता है।"
स्मिथ "बालक का समाजीकरण बालकों के समूह में सर्वोत्तम रूप से होता है और बालक दूसरे बालकों का सर्वोत्तम शिक्षक है।"
स्वीडर एवं ग्रीन "समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग अपनी संस्कृति के विश्वासों, मान्यताओं, मूल्यों एवं प्रथाओं का ग्रहण करते हैं।"
डुवर "समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिससे द्वारा व्यक्ति सामाजिक आदर्शों को स्वीकार करके अपने सामाजिक वातावरण के साथ अनुकूल करता है और इस प्रकार वह उस समाज का मान्य सदस्य और कुशल सदस्य बनता है।"
न्यूमेयर "एक व्यक्ति के सामाजिक प्राणी के रूप में परिवर्तन होने की प्रक्रिया का नाम ही समाजीकरण है।"
फिचर "समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों को स्वीकार करता है और उनसे अनुकूलन करना सीखता है।"
उपयुक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि समाजीकरण सीखने की एक प्रक्रिया है जिससे द्वारा मानव शिशु अपने व्यक्तित्व का विकास करता है। समाज का क्रियाशील सदस्य बनता है तथा सामाजिक आदर्शों, मूल्यों एवं प्रतिमानों को सीखकर उनके अनुसार आचरण करता है।
समाजीकरण की प्रक्रिया में शिक्षक का कार्य
समाजीकरण की प्रक्रिया को तीव्र गति देने हेतु शिक्षकों को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए—
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शिक्षकों को चाहिए कि वे सामाजिक मूल्यों एवं आदर्शों को अपने कर्तव्यों एवं क्रियाओं के माध्यम से बालक के समक्ष प्रस्तुत करें। वे वस्तुतः बालकों के समक्ष सामाजिक व्यवहार के उच्च आदर्श उपस्थित करें।
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क्योंकि संस्कृति बालक के आचरण को प्रभावित करती है अतः शिक्षकों को बालकों को समाज की संस्कृति से परिचित कराना चाहिए। वे बालकों में ऐसी भावना उत्पन्न करें जिससे वे अपनी संस्कृति का सम्मान करना सीखें इससे बालकों को समाजीकरण उचित दिशा में संभव हो सकेगा।
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शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे बालकों में अंतर-सांस्कृतिक भावना का विकास करें जिससे वे केवल अपनी संस्कृति की परिधि तक सीमित न रहकर विभिन्न संस्कृतियों का आदर करना सीखें वे अपने साथ पढ़ने वाले विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों वाले बालकों के साथ घुल-मिलकर रहें और संकीर्ण विचारों से दूर रहें।
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प्रत्येक बालक की कुछ परम्पराएँ होती हैं। वे परम्पराएँ सामाजिक दृष्टि से उपयोगी एवं श्रेष्ठ होती हैं तो शिक्षकों का कर्तव्य है कि बालकों में इन परंपराओं में विश्वास उत्पन्न करें तथा उन्हीं के अनुसार कार्य करने को प्रोत्साहित करें।
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बालकों के चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक है कि शिक्षक पहले उनके चित्रण एवं मनोवृत्तियों आदि को समझें इसके लिए उन्हें बालकों के माता-पिता से घनिष्ठ सम्बन्ध रखने आवश्यक हैं। इसका सुखद परिणाम यह होगा कि एक ही प्रकार के विश्वासों व दृष्टिकोणों को अपनाकर बालक का उचित दिशा में समाजीकरण किया जा सकता है।
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समाजीकरण की दृष्टि से स्वस्थ मानवीय सम्बन्धों का बहुत महत्व है। इसलिए शिक्षक का यह पुण्य कर्तव्य है कि वह अपने छात्रां, अन्य अध्यापकों एवं प्रधानाचार्य के साथ स्वस्थ मानवीय सम्बन्ध स्थापित करें। इससे विद्यालय का सामाजिक वातावरण स्वस्थ होगा, फलस्वरूप बालक का समाजीकरण सही दिशा में होगा। इसका प्रमुख लाभ यह होगा कि बालक तो किसी शिक्षक की बुराई कर सकेंगे और वे नैतिक शिक्षक की प्रेरणा से अपना समाजीकरण सही दिशा में कर सकेंगे।
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बालकों के समाजीकरण को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से विद्यालय को सामूहिक केन्द्र के रूप में संगठित करना चाहिए। दूसरे शब्दों में, विद्यालय में सामूहिक कार्यों को संगठित एवं प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे बालकों में सामूहिक भावना का उदय होता है।
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समाजीकरण में प्रतियोगिता की भी अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अतः शिक्षकों को बालकों में स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना का विकास करना चाहिए।
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शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे कक्षा में होने वाले नैतिक एवं समाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों के द्वारा बालकों के समक्ष सामाजिक आदर्शों को प्रस्तुत करें, जिससे उनका समाजीकरण सही दिशा में हो।
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