बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- सशक्तीकरण के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सामाजिक सशक्तीकरण
सामाजिक सशक्तीकरण का अभिप्राय होता है— समाज प्रदत्त सभी असमानताओं, विषमताओं तथा अन्य समस्याओं को दूर करना और बुनियादी न्यूनतम सेवाओं के प्रति सुगम पहुंच निर्धारित करना।
सामाजिक बदलाव एक गतिशील प्रक्रिया है। जब समाज के किसी तबके, विशेषकर उपेक्षित जाति/जनजातियों और महिलाओं जैसे कमजोर तबकों को स्मरणीय और साक्षरता का अधिकाधिक लाभ मिलता है, तब सामाजिक सशक्तीकरण प्रदत्त होने की स्थिति उत्पन्न होती है। परिणामस्वरूप उस समाज में सामाजिक व्यवहार में आमूल-चूल परिवर्तन हो जाता है। जहाँ धन ने एक ऐसा "औपचारिक चरित्र" बना रखा है जो बाधकता और प्रभावी है। (मॉर्स) ग्रामीण भारत में इसका अधिकाधिक प्रभाव देखने को मिलता है। महिलाओं के सशक्तीकरण से समाज के उस "पितृसत्तात्मक" ढांचे के लिए चुनौती खड़ी हो जाएगी जिससे समाजिक के अधिकार, विशेषकर ग्रामीण के अधिकार और साक्षरता के समाज के हर सदस्य की बौद्धिक समझता जाता था।
आर्थिक सशक्तीकरण
इसका अभिप्राय होता है— "पश्चानुबन्धन" (backward linkage) और "अग्रानुबन्धन" (forward linkage), दोनों के साथ प्रशिक्षण और रोजगार-सह-आय सृजन गतिविधियों को व्यवस्थित करना। इसका चरम उद्देश्य होता है समुदाय को आर्थिक दृष्टि से स्वाधीन और आत्मनिर्भर बनाना। इसका अभिप्राय यह भी होता है कि आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को नीतियों के माध्यम से ऐसी मजबूती प्रदान की जाए कि उनकी गरीबी मिट जाए, उनका जीवन स्तर सुगम और सशक्तिशाली बनाने में उसकी मदद हो।
राजनीतिक सशक्तीकरण
राजनीतिक सशक्तीकरण का अभिप्राय होता है व्यक्तियों, जन समूहों अथवा समाज और स्वयं लोगों के प्रति सर्वोच्च अनुकूल विकास की प्राथमिकताओं तय करने हेतु अधिकार प्रदान करना। ऐसी स्थिति में सत्ता के ऊपर की ओर जाएगी और उसमें निर्णय करने की प्रक्रिया में कमजोर तबकों की बात को बराबर का महत्व दिया जाएगा।
सांस्कृतिक सशक्तीकरण
यह एक जटिल क्षेत्र है जो समाज की पहचान बताने वाली मान्यताओं, मूल्यों, भाषा, कला और प्रवृत्तियों को ईंट-गारे घुमाता है। सांस्कृतिक लोकाचारों को बदलने में अधिक समय लगता है और "सांस्कृतिक व्यवधान" (cultural lag) सशक्तीकरण की प्रक्रिया को धीमा कर देता है।
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