बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- बालिकाओं को सुरक्षित वातावरण किस प्रकार मिल सकता है?
उत्तर-
बालक एवं बालिका के लिंग में इसलिए भी भेद किया जाता है कि बालिकाओं की आयु में जैसे-जैसे वृद्धि होती है वैसे-वैसे माता-पिता की उनकी चिंता सताने लगती है, क्योंकि समाज अभी भी बालिकाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। देश की राजधानी दिल्ली समेत सम्पूर्ण भारत में आये दिन बलात्कार, छेड़छाड़, एसिड फेंकने जैसी घटनाएँ महिलाओं के साथ रहती हैं, जिससे कई माता-पिता पुत्री को चाह नहीं करते, परंतु ऐसा ही रहा तो पुरुष को जन्म देने वाली माता का ही अस्तित्व नहीं रहेगा। पुलिस तथा प्रशासन के साथ समाज को भी ऐसा सुरक्षात्मक वातावरण सृजित करना चाहिए, जिससे कि बालिकाएँ जब घर से बाहर निकलें तो उनके माता-पिता तथा अभिभावक निःशंक रह सकें। सुरक्षात्मक वातावरण के निर्माण में सामाजिक भागीदारी की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम सारा उत्तरदायित्व प्रशासन पर छोड़ देते हैं और स्त्रियों के साथ गाली, चोरी, घर, सड़क, बस, ट्रेन, कार्यालय आदि पर होने वाले दुर्व्यवहार को देखकर चुप्पी साधे रहते हैं, उनके साथ कोई अनहोनी दुर्घटना हो जाए तो कोई सप्ताह तक समाचार में बना रहता है। समाज को अपने इस दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना होगा। कितनी विडंबना है! जो अपने घरों की स्त्रियों और अपनी बहनों की रक्षा हेतु प्रयासरत रहते हैं वे ही अन्य परिवारों की स्त्रियों के शोषण का शिकार हैं? यदि इनमें से कोई हिम्मत दिखाए आवाज भी उठाए तो उसका अपमान किया जाता है, यहां ईर्ष्या के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। समाज को अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना चाहिए। दिल्ली की निर्भया घटना समाज एवं प्रशासन दोनों का बालिकाओं के प्रति चुप्पी का प्रदर्शन करता है, जिससे पूरा देश तथा बालिकाएँ सहमकर रह गईं। इस प्रकार घर तथा बाहर प्रत्येक स्थान पर सुरक्षात्मक वातावरण का सृजन होने से बालिकाएँ अपना अध्ययन और रोजगार निर्माण होकर करेंगी तथा आत्मनिर्भरता स्वावलंबन बढ़ेगा, जिससे वे पुरुषों की बराबरी कर पुरुष प्रधान में आ सकेंगी।
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